मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विद्या मितान को मिलने वाली मानदेय राशि पर हो रहे घोटाले की जांच कराने के दिए आदेश |

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   राज्य में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिये नियुक्त हुए विद्या मितान का मामला आज सदन में खूब गूंजा । इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के विद्या मितानो को मिलने वाली मानदेय राशि पर हो रहे घोटाले की जांच कराने की आदेश दिये । प्रश्नकाल में रामानुजगंज के विधायक बृहस्पत सिंह ने विद्या मितान की नियुक्ति और उन्हें मिलने वाले मानदेय में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया ।  उन्होंने कहा कि प्रति शिक्षक मितान के नाम पर 28 हजार हजार रुपए सरकारी खजाने से निकल रहा है,  लेकिन शिक्षक को सिर्फ 10 से 15 हजार रुपये ही मानदेय दिया जा रहा है । इस मामले में सदन में खूब हंगामा हुआ | इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 2185 विद्या मितान है तथा प्रति मितान को 10 से 15 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है ।


उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा इसमें कमीशनखोरी की जा रही है । सरकार द्वारा शिक्षक के लिए दी जा रही 28 हजार राशि मे से 10 से 15 हजार कमीशन एजेंसी द्वारा लिया जा रहा है । उन्होंने विभागीय मंत्री से मांग की कि क्या कमीशनखोरी रोकने की दिशा में कोई कदम सरकार उठाएगी और प्रदेश के विद्या मितान को 28 हजार रुपये मानदेय मिले इसकी व्यवस्था करेंगे । इस मामले में जनता कांग्रेस से धर्मजीत सिंह ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री ने ओउटसोर्सिंग खत्म करने की बात कही है । फिर शिक्षक मितान की भर्ती के लिए जारी ठेका पद्धति को खत्म किया जाना चाहिए ताकि प्रदेश के शिक्षकों को उनका सही मानदेय मिल सके ।


      विपक्ष की तरफ से भाजपा विधायक अजय चंद्राकर, जोगी कांग्रेस सुप्रीमो अजीत जोगी और धर्मजीत सिंह ने इस मामले में सरकार को जमकर घेरा और आउटसोर्सिंग के जरिये भर्ती को रोकने की घोषणा सदन में करने की मांग की । काफी हो-हंगामा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्लेसमेंट एजेंसी की तरफ से गड़बड़ी की जो शिकायत आ रही है, कि उन्हें 12 से 15 हजार मिलता है सिग्नेचर अलग कराया जाता , जबकि सरकारी खजाने से 28 हजार रुपये जारी होता है, इस पूरे मामले की जांच की घोषणा मैं सदन में करता हूं, और आउटसोर्सिंग के मुद्दे पर प्रशासकीय प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही इस पर फैसला लेंगे |