मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आस्तीन में साँप – बड़ा खुलासा |

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# SIT जांच को लेकर भूपेश बघेल सरकार को अदालत से फटकार लगना तय | अदालत में अमन सिंह की जीत सुनिश्चित |  

बिलासपुर के अदालतीय गलियारों से यह तथ्य सामने आया है कि पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह के खिलाफ गठित SIT जांच को लेकर भूपेश बघेल और उनकी कांग्रेस सरकार को तगड़ा झटका लग सकता है | इस मामले में बिलासपुर हाई कोर्ट पहले ही SIT की जांच पर रोक लगा चूका है | और अब उसके क़ानूनी पहलुओं की पड़ताल हो रही है | अदालत बारीकी से दोनों पक्षों के तथ्यों पर गौर फरमा रही है | इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार अपना पक्ष पहले ही रख चुकी है जबकि SIT के गठन को चुनौती देने वाले पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की ओर से अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए तीन दिन का अतिरिक्त समय माँगा गया था | मामले की अगली सुनवाई नौ अप्रेल को होगी | लेकिन उसके पहले ही एक बड़ा खुलासा हुआ है |  बताया जाता है कि एक षडयंत्र  के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विश्वाशपात्र अफसरों ने उन्हें गुमराह करने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी | दरअसल ये अफसर तत्कालीन बीजेपी सरकार के खाये नमक का फर्ज अदा करना चाहते है | इसलिए उन्होंने भूपेश बघेल के अरमानो पर पानी फेरने का फैसला लिया था | उनका यह फैसला अब  अदालत के तकाजे पर कंसा  जा रहा है | जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी साफ़ हो जाएगा | पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह को वो तुरुप का पत्ता हाथ लगा है , जो जल्द ही अदालत के समक्ष पेश होगा | पटल में आते ही साफ़ हो जाएगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी कांग्रेस सरकार अमन सिंह का बाल भी बाक़ा नहीं बिगाड़ सकती |  

  
              यह तथ्य सामने आया है कि  पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह को राहत देने के लिए पहले से ही योजना तैयार हो चुकी थी | चुकि उनके खिलाफ SIT के गठन को लेकर काफी पहले चर्चा आम हो चुकी थी | लिहाजा नौकरशाहों ने सुनियोजित रूप से अमन सिंह का पलड़ा भारी करने  के लिए ऐसी व्यू रचना रची कि उनके खिलाफ SIT के गठन का मामला अदालत में टांय टांय फिस्स हो जाए | इसकी बानगी पहले ही देखने को मिल चुकी है , जब अदालत ने अमन सिंह की  दलीलों को मान्य करते हुए उनके खिलाफ SIT की जांच पर रोक लगा दी थी | अब उनके पक्ष में कई ऐसे तथ्य सामने आये है , जिससे अदालत में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की भद्द पिटना तय है | क़ानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत में राज्य सरकार को अपना पक्ष रखना अब भारी पड़ेगा | 
         

  दरअसल अमन सिंह के खिलाफ SIT के गठन में सुनियोजित रूप से बड़ी त्रुटि बरते जाने का मामला सामने आया है | यह मामला CRPC के उल्लंघन का तो है ही  साथ ही कानून की नजरो में असंवैधानिक भी है | बताया जाता है कि अमन सिंह के खिलाफ गठित SIT की टीम में बतौर सदस्य राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा का नाम भी शामिल कर लिया गया है | वो भी बगैर उनके अनुमति के |  नियमानुसार किसी भी महाधिवक्ता या अतिरिक्त महाधिवक्ता को किसी भी SIT का सदस्य नहीं बनाया जा सकता | यह दोनों ही पद संवैधानिक है और वो पदेन रूप से अदालत में राज्य सरकार का पक्ष रखते है | जबकि SIT के गठन में सतीशचंद्र वर्मा का नाम शामिल कर उन्हें राज्य सरकार ने एक तरह से पार्टी बना दिया है | बताया जाता है कि इतनी गंभीर चूक या त्रुटि साधारण तौर पर नहीं बल्कि सुनियोजित रूप से बरती गयी है ताकि अदालत में छत्तीसगढ़ सरकार की तमाम दलीले कमजोर पड़ जाये  और अमन सिंह अपने इरादों में कामयाब रहे |  कानून की भाषा में इसे ” कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट ” की संज्ञा दी गयी है | इसी तथ्य के आधार पर अमन सिंह के खिलाफ SIT के गठन का मामला काफी कमजोर हो गया है |  

 ये है मामला :-  राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले एक पत्र के आधार पर अमन सिंह के खिलाफ जांच के निर्देश दिए थे । डीजीपी डीएम अवस्थी ने आइपीएस अधिकारी  दीपक झा के नेतृत्व में चार सदस्यीय एसआईटी के गठन के निर्देश दिए थे | पीएमओ से की गई शिकायत में सिंह पर छत्तीसगढ़ में संविदा नियुक्ति के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया था कि बेंगलुरु में डिप्टी कमिश्नर कस्टम रहने के दौरान उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत हुई थी। सीबीआई ने भी उनके खिलाफ जांच की थी।  

        राज्य सरकार ने पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह के खिलाफ आईपीएस अधिकारी दीपक झा के नेतृत्व में चार सदस्यीय  SIT का गठन किया है | इन सदस्यों में DSP और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों के अलावा राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा का नाम शामिल है | यह भी जानकारी लगी है कि  SIT में बतौर सदस्य शामिल होने के लिए  सतीशचंद्र वर्मा से कोई पुर्वानुमति भी नहीं ली गयी थी | यह देखना भी गौरतलब होगा कि अमन सिंह को पिछले दरवाजे से दी गयी भारी राहत को लेकर राज्य सरकार किस तरह से अब अपना पक्ष रखेगी |  फिलहाल दोनों ही पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत क्या फैसला देगी यह तो वक्त ही बताएगा |