
रायपुर / छत्तीसगढ़ में राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पटखनी देने के लिए सीबीआई ने नया पैतरा खेला है | इस पैतरे के पीछे राज्य के कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है | सूत्र दावा कर रहे है कि सीबीआई यदि अपनी चाल में कामयाब रही , तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि सेक्स सीडीकांड में नामजद किये गए आरोपियों के खिलाफ सजा का भी ऐलान हो सकता है | बशर्ते कि मामले की अगली सुनवाई छत्तीसगढ़ के बाहर की किसी भी अदालत में हो ? सूत्रों का दावा है कि सबूतों और बयानों के आधार पर सीबीआई ने तमाम आरोपियों के खिलाफ केस इतना पुख्ता कर दिया है कि कानून के तकाजे में आरोपियों की दलीले कारगर साबित होती नजर नहीं आ रही है | लिहाजा सीबीआई के हौसले बुलंद है | उसके विवेचना अधिकारियों को उम्मीद है कि इस मामले के नामजद आरोपियों के खिलाफ सजा के पर्याप्त आधार है | हालांकि फैसला अदालत को करना है | काफी सोच समझकर सीबीआई ने सेक्स सीडी कांड के मामले को छत्तीसगढ़ से स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका देश की सबसे बड़ी अदालत में दायर की है |

छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले लगभग तीन सालों से घमासान मचाने वाले कथित अश्लील सीडी कांड ने एक बार फिर गहमा गहमी मचा दी है | इस बार मामला कुछ पेचीदा हो चला है | दरअसल सीबीआई ने इस मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ के बजाए अन्य किसी भी राज्य में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है | इस मामले में सीबीआई ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल , बीजेपी नेता कैलाश मुरारका, विजय पांडेय , पत्रकार विनोद वर्मा , विजय भाटिया और रिंकू खनूजा को IPC की धारा 469 , 471 ,120B और आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत आरोपी बनाया था | हालांकि मामला पंजीबद्ध होने के उपरांत रिंकू खनूजा ने आत्महत्या कर ली थी |
मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत कर ली गई | इस पर सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच 21 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगी | सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 406 के तहत बकायदा आवेदन देकर मामले को छत्तीसगढ़ के अलावा देश के किसी भी राज्य में स्थांतरित करने की मांग की है |
गौरतलब है कि 27 अक्टूबर 2017 को कथित अश्लील सीडी का मामला सामने आया था, इससे प्रदेश की राजनीति गरमा गई थी। इस मामले में तत्कालीन बीजेपी सरकार को केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार सीबीआई जांच का ऐलान करना पड़ा था | मामला पंजीबद्ध करने के उपरांत सीबीआई ने मामले की विवेचना शुरू की थी | प्रारंभिक रूप में उसने कथित सेक्स सीडी के सूत्रधार और षड्यंत्र को लेकर पांच आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया था |
कानून के जानकर मानते है कि सीबीआई ने अपनी चार्जसीट में सेक्स सीडीकांड की तह तक पहुंचने का प्रयास किया है | कानून के जानकारों के मुताबिक विवेचना लगभग पूर्ण हो चुकी है | प्राप्त सबूतों और गवाहों के बयानों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीबीआई के निशाने पर है , यदि सब कुछ सामान्य रहा तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ सकती है |

प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में मंथन उन तथ्यों को लेकर भी हो रहा है कि आखिर क्यों सीबीआई को मामले को स्थानांतरित करने का फैसला लेना पड़ा | आमतौर पर ऐसा बहुत कम होता है कि सीबीआई किसी भी प्रकरण को उस प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने की मांग करती है | प्रदेश में यह पहला मौका होगा जब सीबीआई को किसी भी प्रकरण को प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने के पर्याप्त आधार प्राप्त हुए है | इस प्रकरण को विपक्ष की चाल से ज्यादा कांग्रेस की भीतर की राजनीती से जोड़कर भी देखा जा रहा है | यह भी बताया जा रहा है कि राज्य की एक प्रशानिक लॉबी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ लगातार लामबंद होती जा रही है | इसके चलते ही सीबीआई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ मोर्चा खोलने का वैधानिक मौका मिला है | फ़िलहाल तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक नए संकट में घिरते नजर आ रहे है | हालांकि भूपेश बघेल को बतौर मुख्यमंत्री पसंद करने वाले अफसरों की भी कोई कमी नहीं है | उनकी कार्यप्रणाली से खुश प्रशासनिक अफसरों का मानना है कि यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सूझबूझ का परिचय दिया तो सीबीआई के अरमानों पर पानी भी फिर सकता है |