महारष्ट्र में एनसीपी के भीतर पार्टी विह्प को लेकर खतरे की घंटी बज रही है | चाचा और भतीजे के बीच चल रही रस्सा कस्सी कही एनसीपी के तमाम विधायकों पर भारी ना पड़ जाए | राजनैतिक गलियारों से आयी खबर के मुताबिक पार्टी विधायक दल के प्रमुख होने के नाते अजित पवार के पास पार्टी विह्प जारी करने की वैधानिक शक्तियां है | वो इसका इस्तेमाल उस वक्त करेंगे जब फ्लो टेस्ट के दौरान विशवास मत डाले जाने की बारी आएगी | जाहिर है इस वक्त अजित पवार बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दे रहे है | यहाँ तक की उन्होंने उप मुख्यमंत्री के पद की शपथ भी ले ली है | ऐसे में अजित पवार का पूरा समर्थन बीजेपी सरकार के पक्ष में खड़ा दिखाई देगा | यदि वो पार्टी विह्प जारी कर बीजेपी के पक्ष में मतदान करने का निर्देश देंगे तो एनसीपी विधायकों को उनके पक्ष में मतदान करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा | पार्टी विह्प का उल्लंघन करना उन पर भारी भी पड़ सकता है | इसके चलते उनकी विधान सभा सदस्य्ता भी समाप्त हो सकती है | विह्प की शक्तियों के चलते अजित पवार और हाल ही में उनकी जगह लेने वाले जयंत पाटिल की वैधानिक स्थिति को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा छिड़ी हुई है |
अजित पवार को विधायक दल के नेता से हटाना इतना आसान भी नहीं है, जितना लोग समझ रहे हैं । जब कोई प्रक्रिया चल रही हो उस बींच में राष्ट्रीकृत राजनैतिक दल किसी को हटा नहीं सकते जब तक कि वह स्वयं ही इस्तीफ़ा न दे | चैलेन्ज किये जाने की सूरत में कोर्ट इसे ग़ैरक़ानूनी मानेंगा इसीलिए शरद पवार चाहते थे अजित पवार विधायक दल के अध्यक्ष पद से स्वयं इस्तीफ़ा दें । लेकिन चतुर अजित पवार ने इस्तीफ़ा नहीं दिया है | मौजूदा राजनैतिक हालात को देखते हुए उन्हे पवार ने हटाया है जो कि ग़ैरक़ानूनी है ।जब विधानसभा में मत विभाजन होगा तब अजित पवार व्हिप जारी करेंगे जिसे मानना एनसीपी के विधायकों को अनिवार्य होगा अन्यथा उनकी विधायिकी चली जाएगी ।यह पेंच फँस गया है | ऐसे में राजनीतिक पंडित बता रहे है कि एनसीपी के लिए और बीजेपी की सरकार बनना तय है | यह कूटनीति पवार जानते हैं और अब उद्धव को बस लॉलीपॉप से ही संतुष्ट होना पड़ेगा।