महत्वपूर्ण मोड़ पर नान घोटाला , बयानों से मुकरने वाले अधिकारियों को तलब किया EOW ने | सस्पेंड डीजी मुकेश गुप्ता के MGM ट्रस्ट में जमा होती थी घोटाले की रकम | घोटाले की जांच को लेकर अदालत भी सख्त |

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रायपुर / छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर MGM ट्रस्ट लगभग दो हजार करोड़ का यूँ ही नहीं आसामी बन गया था , बल्कि उसे मालदार बनाने के लिए पुलिस तंत्र का जमकर इस्तेमाल हुआ | सरकार के नागरिक आपूर्ति निगम के घोटाले और कमीशन की रकम इस ट्रस्ट के खातों में जमा होती थी | इसके लिए ही MGM ट्रस्ट ने रायपुर के स्टेट बैंक की एक ही शाखा में 97 बैंक अकाउंट खुलवाए थे | नान घोटाले की जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया है कि  निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के द्वारा संचालित MGM ट्रस्ट के खातों में नान घोटाले से अर्जित की गई रकम जमा होती थी | बकायदा इसके लेनदेन का हिसाब के लिए डायरी रखी गई थी | यह डायरी SIT के हाथ लगी है |  इसमें रकम के स्रोत से लेकर उसमे हिस्सा लेने वाले सभी लोगों के नाम और उनके कोड नंबर लिखे हुए है | यह सनसनीखेज डायरी SIT के हाथों में लगने के बाद आईएफएस अधिकारी कौशलेन्द्र सिंह , नान के तत्कालीन कांकेर जिला प्रबंधक चिंतामणि चंद्राकर , घोटाले में जेल की हवा खाने वाले शिवशंकर भट्ट और उनके पीए के.के. बारीक़ एवं गिरीश शर्मा को 23 मई को पूछताछ के लिए EOW ने तलब किया है | नान घोटाले में शामिल संदेहियों में से एक चिंतामणि चंद्राकर का नाम भी  MGM ट्रस्ट से जुड़े होने की जानकारी लगी है | इससे EOW के अधिकारी हैरान है | 

नान घोटाले की जांच को लेकर अदालत सख्त :- 

 छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े लगभग 36 हजार करोड़ का नान घोटाला 12 फरवरी 2015 को उस वक्त सामने आया था जब ACB ने नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय में छापेमारी की थी | इस दौरान नान के तत्कालीन एमडी और आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के कैबिन से कमीशन की एक करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद की गई थी | ACB ने एक डायरी भी बरामद की थी , जिसमे घोटाले की रकम की बंदरबाट का पूरा ब्योरा था | दिलचस्प बात यह है कि ACB और EOW ने जांच के दौरान इस घोटाले को लेकर दर्जनभर अधिकारियों और कर्मियों को सालों तक जेल की हवा खिलवाई | लेकिन जैसे ही तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके करीबियों के साथ साथ EOW के तत्कालीन ADG मुकेश गुप्ता के फंसने की बारी आई ,  राज्य सरकार ने अदालत में बकायदा अर्जी लगाकर घोटाले से ही इनकार कर दिया | यही नहीं अदालत में मामले को कमजोर करने के लिए गवाह बनाये गए कई महत्वपूर्ण अधिकारी अपने बयानों से पलट गए थे | अब अदालत ने ऐसे अफसरों को तलब किया है | दरअसल गवाहों के पलटने से पूरा मामला और भी अधिक संदेहजनक हो गया है |  स्पेशल मजिस्ट्रेट लीना अग्रवाल की अदालत ने 28 से 31 मई तक बयान दर्ज कराने के लिए जांच टीम को नोटिस किया है | टीम के उपस्थिति दर्ज कराने पर रोजाना तीन-तीन गवाहों के बयान लिए जायेंगे | इसके अलावा घोटाले के अन्य गवाहों के रूप में  28 मई को कर्मचारी जीतराम यादव , पुलिस निरीक्षक नरेंद्र बंछोर और जेपी कुजूर , 29 मई को नान कर्मी अरविन्द ध्रुव , निजी मोबाइल कंपनी के कर्मचारी भार्गव शर्मा , तत्कालीन पुलिस निरीक्षक आर.के. दुबे , 30  मई को आईएएस बृजेश चंद्र , पुलिस  निरीक्षक रवि तिवारी और फरहान कुरैशी , 31 मई को निरीक्षक चंद्रशेखर ध्रुव , एस.के. सेन और पुलिस  निरीक्षक कदिर खान की गवाही होगी | यह सभी नान घोटाले में छापेमारी से लेकर विवेचना टीम में शामिल थे |  गौरतलब है कि EOW और ACB ने नान घोटाले की जांच करने के बाद अदालत में 317 गवाहों की सूची सौंपी थी | इसमें 213 गवाहों की पहली और 104 गवाहों की दूसरी सूची है | फ़िलहाल “नान घोटाले ” की जांच अंजाम तक पहुँच पायेगी या नहीं , इस ओर सबकी निगाहे लगी हुई है | कानून के जानकारों की दलील है कि MGM ट्रस्ट में जल्द ही रिसीवर की नियुक्ति की जानी चाहिए | अन्यथा नान घोटाले से जुड़े कई तथ्य और सबूत नष्ट होने में देर नहीं लगेगी |