छत्तीसगढ़ के महासमुंद में ग्राम जामली और कोसरंगी समेत पांच गांवो के लोगो का जीना दुश्वार हो गया है । हालात ये है कि इन गावो के लोगो को खाना भी मच्छरदानी लगाकर खाना पड़ता है । मक्खियों से करीब पांच हजार की आबादी परेशान है । गांव वाले कहते है कि खुले में कपडे सूखने को डाले तो कुछ घंटो में मक्खियों का बीट के दाग से वे गंदे हो जा रहे है ।
पंचायत का कहना है कि महीने में दो बार मक्खियां भागने व मारने के लिए स्प्रे करवाए जा रहे है । मगर कोई फायदा नही दिख रहा है । जमली की सरपंच कुमारी ठाकुर कहती है कि अभी स्प्रे करे लेकिन कोई लाभ नहीं मिला । इलाके में डी हाइड्रेशन और सांस की बिमारी की शिकायत बढ़ी है । स्कूलों के मध्यान्ह भोजन मक्खियों के कारण उल्टी दस्त और टाइफायड से पीड़ित बच्चो को आए दिन महासमुंद के अस्पतालों में दाखिल कराया जा रहा है ।
जामली के हैचरी से हफ्ते में 40 – 50 हजार चूजे तैयार होते है । चूजे निकालने के बाद अंडो के छिलको को खुले में डिस्पोज कर दिया जाता है । कमरौद , हिच्छा और कोसरंगी के पोल्ट्री फॉर्म से रोजाना करीब 1500 मुर्गिया मरती है । उन्हें खुले में फेंक दिया जाता है । इसके कारण मक्खियां पनप रही है । ग्रामीणों के मुताबिक मक्खियों से बचने के लिए गांव वाले के सभी घर मच्छरदानी खरीदी गई है । इसके बावजूद घर में मेहमान आने में कतराने लगे है । डॉ श्री प्रकाश के मुताबिक भोजन और पानी में मक्खियां संक्रमण फैलाती है । इससे टाइफायड , डी हाइड्रेशन , अस्थमा और चार्म रोग की शिकायत बढती है । वीएचपीसीएल ग्रुप ऑफ़ हेचरी के मैनेजर रागाव राव का कहना है कि अपशिष्ट डिस्पोज करने के उपाय कर रहे है ।