बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में “संजीवनी” 108 के संचालन के टेंडर में बड़ा गोलमाल ,”जय अंबे इमरजेंसी” सर्विस के निर्देश पर बदली गई टेंडर की “नियम-शर्ते” ,”दो करोड़” का लेन-देन ,जांच की मांग | 

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रायपुर | छत्तीसगढ़ में संजीवनी 108 के संचालन के ठेके में “दो करोड़ ” के लेन -देन के आरोपों को लेकर जांच की मांग की गई है | बताया जा रहा है कि महकमे के एक प्रभावशील अधिकारी को टेंडर प्रक्रिया में नियम शर्तो को “लचीला” बनाने के लिए “दो करोड़ “की रकम दी गई थी | यह रकम दिल्ली के एक “रैकेटियर” के जरिये “बिहार” के एक शख्स ने दी थी | रकम मिलने के बाद जिम्मेदार अफसर ने टेंडर के  नियम शर्तो में “तीन” ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव किए जो कि “भ्रष्टाचार” की ओर इशारा करते है | शिकायतकर्ताओं ने इस जिम्मेदार अफसर की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है | शिकतकर्ताओ ने “न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़” को टेंडर प्रक्रिया की पूर्व निर्धारित एंव वर्तमान शर्तो का ब्यौरा सौपा है |  

  
शिकायतकर्ताओं की दलील है कि नियम- शर्तो में बदलाव के बाद “जय अंबे इमरजेंसी” सर्विसेस का टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने का रास्ता “साफ” हो गया | जानकारी के मुताबिक पूर्व निर्धारित “टेंडर प्रक्रिया” में पहली शर्त ,दो वर्ष के अनुभव के साथ सौ एंबुलेंस के संचालन ,जिसमे दस फीसदी एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ALS) एवं बाकी BLS की शर्त रखी गई थी | जबकि दूसरी शर्त में,  बिना किसी रूकावट ,दो वर्षो के लिए 20 सीट वाला “कॉल सेंटर” सर्विस (EMS ) होना “अनिवार्य” किया गया था | जबकि तीसरी महत्वपूर्ण शर्त में, बिडर का पिछले तीन वित्तीय वर्षो में सिमिलर सर्विस  (Ambulatory Services )   ,क्रमशः 2015 -16, 2016 -17 और 2017-18 का “वार्षिक टर्न ओवर” किसी भी सूरत में कम से कम 45 करोड से कम नहीं होना निर्धारित किया गया था  | इन्ही शर्तो के आधार पर “टेंडर प्रक्रिया” की नियम शर्ते “तय” की गई थी |


शिकायतकर्ताओं के मुताबिक  “बिहार” के एक शख्स के “हस्ताक्षेप” के बाद नियम शर्तो को रातो -रात  बदल दिया गया | शिकायकर्ताओं ने “लेन देन” के कुछ सबूत भी जुटाए है | उनके मुताबिक “लेन देन” के बाद “जय अंबे इमरजेंसी ” सर्विसेस की एंट्री के लिए “नई शर्ते”, इस तरह से निर्धारित की गई | 


इसमें पहली शर्त को लचीला बनाते हुए एक वर्ष में 250 एंबुलेंस के संचालन के आलावा दस फीसदी ALS  और शेष BLS एंबुलेंस निर्धारित की गई | जबकि दूसरी शर्त में ,तब्दीली करते हुए  EMS ,30 सीट के संचालन का अनुभव मात्र “एक वर्ष” कर दिया गया | जबकि तीसरी शर्त में , भारी गोलमाल करते हुए सिमिलर सर्विस  (Ambulatory Services ) की शर्त को हटा दिया गया | उसके स्थान पर सिर्फ 45 करोड़ के “टर्न ओवर” की शर्त रखी गई | शर्तो के बदलाव के लिए एक प्रभावशील अधिकारी को ‘दो करोड़” की रिश्वत दिए जाने की खबर है | 


बताया जाता है कि “जय अंबे इमरजेंसी” सर्विस स्वास्थ्य विभाग में मात्र दस “शव” वाहनों के जरिए अपनी सेवाए दे रही थी | इस कंपनी के पास ,इस सेवा क्षेत्र में ना तो पूर्व टेंडर प्रक्रिया की शर्तो के अनुरूप अनुभव था और ना ही पिछले तीन वित्तीय वर्षो का “सालाना टर्न ओवर”, किसी भी सूरत में 45 करोड़ से कम के ‘मापदंडो” पर वो खरा उतर पा रही थी |  यह भी बताया जा रहा है कि यह कंपनी छत्तीसगढ़ में रायगढ़ और अंबिकापुर के कुछ कारखानों में “डंपरों” का संचालन करती है | कंपनी के पास विभिन्न श्रोतो से सैकड़ो की तादाद में “डंपरों” के अलावा अन्य बड़े वाहन है ,ना की कोई रजिस्टर्ड एंबुलेंस | बावजूद इसके  इस कंपनी को इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल कराने के लिए जिम्मेदार अफसरों ने बड़े पैमाने पर ‘नियम -शर्तो” के साथ खिलवाड़ किया | 


शिकायतकर्ता राज्य सरकार से सवाल कर रहे है कि क्या वो 108 इमरजेंसी सर्विस के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रही है ? उनकी दलील है कि “जय अंबे इमरजेंसी” सर्विस के पास ना तो इस क्षेत्र का व्यापक अनुभव है ,ना ही टेक्निशयन  | इस कंपनी ने एंबुलेंस के संचालन को  लेकर देश के किसी भी हिस्से में ना तो कोई ठोस कार्य किया है और ना ही उसके पास पेशेवर “मैन पॉवर” है |    


गौरतलब है कि इन दिनों 108 सर्विस में कर्मचारियों के 1371 पदों पर भर्ती के लिए “बेरोजगारों” से नौकरी दिलाने के नाम पर 20 से 25 हजार रुपए की वसूली के आरोप लग रहे है | भर्ती में शामिल हुए कई उम्मीदवारों ने खुलेआम यह आरोप लगाए है  | हालांकि “न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़” ऐसे किसी भी आरोपों की पुष्टि नहीं करता |  शिकायतकर्ताओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से  “जय अंबे इमरजेंसी” सर्विस के तमाम दस्तावेजों के अलावा टेंडर प्रक्रिया के साथ हुई “छेड़छाड़” की जांच पड़ताल करने की मांग की है |