बेटी को लक्ष्मी मानकर पूजा कर करवाया गृह प्रवेश, परिवार वालों ने कहा बेटी है तो कल है |

0
8

किशोर साहू /

बालोद /  जिला मुख्यालय बालोद से लगभग 12 किलोमीटर दूर ग्राम जगन्नाथपुर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरित होकर यहां के यादव परिवार ने एक अनूठी पहल की है। पिछले दिनों मां माधुरी यादव ने सांकरा ज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक बच्ची को जन्म दिया। अस्पताल से 3 दिनों की छुट्टी के बाद जब बच्चे को मां सहित घर लाया गया तो बच्ची की दादी मधु यादव ने मां और बेटी की पूजा करके गृह प्रवेश करवाया। दादी ने कहा कि बेटी है तो कल है। बेटियों का इसी तरह हर परिवार में सम्मान होना चाहिए। बेटा बेटी के प्रति भेदभाव को दूर करने से ही समाज में जागरूकता आएगी और कई तरह के सामाजिक कुप्रथा पर भी विराम लगेगा। आज भी यह देखने को मिलता है कि परिवार में बेटा होने पर ज्यादा खुशी होती है। बेटी होने पर वह खुशी कम होती है। लेकिन इस यादव परिवार ने दोनों को समानता देने के साथ लोगों को भी प्रेरित किया कि बेटी बेटा में कोई फर्क नहीं है। अब जमाना बेटियों का भी है।

चाहत थी एक बेटी , बेटे को राखी बांधने वाली एक बहन हो जाए ,भगवान ने सुन ली
बच्ची के पिता दीपक यादव व मां माधुरी यादव ने कहा कि यह उनकी दूसरी संतान है। पहले संतान में एक बेटा विजय है। दोनों और पूरे परिवार वालों की चाहत थी कि विजय बेटे को राखी बांधने वाली एक बहन हो जाए और भगवान ने उनकी सुन ली। बेटी होने के साथ उनकी खुशी दुगनी हो गई। विजय को एक बहन मिल गई और पूरे परिवार को एक नन्ही परी सी बेटी। पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। खास बात यह है कि यादव परिवार में बेटियों की कमी थी। जो इस मासूम के जन्म के साथ दूर हो गई।

सोच बदलने की एक कोशिश : 


यादव परिवार की यह पहल समाज के लोगों की सोच बदलने की एक कोशिश है। इस तरह बेटी के जन्म पर मां के साथ उसके पहले प्रवेश पर पूजा आरती करके दादी ने कहा कि हमारे इस पहल से अगर किसी की भी सोच बदलती है तो यह खुशी की बात होगी। आज कई लोगों में बेटी और बहु में भी फर्क समझा जाता है। जिस दिन बहू को बेटी की तरह माना जाने लगेगा। उस दिन कई परिवारिक कलह अपने आप दूर हो जाएंगे और हर परिवार में खुशियों का आलम होगा। जिस तरह से नई बहू आने पर लोग थाल सजाकर आरती करते हुए उनका फूलों से स्वागत करते हैं। उसी तरह परिवार में पहली बेटी होने पर भी इस यादव परिवार के सदस्यों में बेटी की आरती पूजा करके स्वागत किया। मां और बेटी दोनों का सम्मान करते हुए उन्हें गृह प्रवेश करवाया।