बीजापुर के एडसमेटा कांड की जांच राज्य से बाहर की एजेंसी करे सुप्रीम कोर्ट |

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सुप्रीम कोर्ट ने बीजापुर के एडसमेटा कांड की जांच छत्तीसगढ़ के बाहर की एजेंसी से कराने के आदेश दिए हैं । डीपी चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया । जस्टिस नागेश्लर राव और केबी शाह की बेंच में यह सुनवाई हुई ।  

 याचिकाकर्ता डी.पी. चौहान ने ‘पत्रिका’ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस नागेश्लर राव और के.बी. शाह शामिल थे, जिसमे यह आदेश दिया गया है । गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करती रही है,  लेकिन सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य के मामलों में सीबीआई को दखल देने पर रोक लगा दी थी । माना जा रहा है कि अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया जा सकता है ।

गौरतलब है कि दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास वर्ष 2013 में 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चों और CRPF  की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी । ग्रामीणों अनुसार वे सभी देवगुडी में बीज त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे ,  तभी पुलिस मौके पर पहुंची और निरोधो को दौड़ा दौड़ा कर मारा । कर्मा पाडू ,कर्मा गुड्डू ,कर्मा जोगा ,कर्मा बदरू ,कर्मा शम्भू ,कर्मा मासा ,पूनम लाकु ,पूनम सोलू की मौत हो गई । इसमें तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे । इसके अलावा ,छोटू ,कर्मा छन्नू , पूनम शम्भु और करा मायलु घायल हुए थे । घटना के बाद राज्य सरकार ने ग्रामीणों के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद घटना की जांच के लिए न्यायमूर्ति वी.के. अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया था, लेकिन नतीजा सिफर रहा । इस घटना के बाद तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच पांच लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था ।जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि अगर सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे रही है तो उन्हें माओवादी कैसे माना जा सकता है ।