बालोद जिला न्यायालय ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला , दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को फांसी की सजा |

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किशोर साहू  [Edited by: ऋतुराज वैष्णव ]

बालोद / अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के आरोपी को बालोद जिला सत्र न्यायालय ने  फांसी की सजा सुनाई है। जिले के इतिहास में पहली बार किसी को फांसी की सजा सुनाई गई है। सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने अपने फैसले में लिखा कि इस प्रकार के अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मृत्युदंड का यह फैसला इसलिए है ताकि इस तरह का अपराध करने से पहले अपराधी सौ बार सोचें और अबोध बालिकाओं के साथ इसकी पुनरावृत्ति कभी न हो।

घटना पांच जून 2017 दल्लीराजहरा थाना क्षेत्र की है। स्थानीय निवासी झग्गर सिंह यादव ने पड़ोस में रहने वाली 11 वर्षीय बालिका को बाहर घुमाने के बहाने फुसलाकर जंगल की ओर ले गया। वहां बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी। इसके बाद लाश जंगल में फेंक दिया। जब शाम तक बच्ची घर नही आई तो बच्ची के माता-पिता ने इसकी रिपोर्ट दल्लीराजहरा थाने में लिखाई। पुलिस रातभर बच्ची को खोजती रही। अगले दिन 6 जून को जंगल में बच्ची का झाडिय़ों से ढंका शव मिला। इसके बाद आरोपी की तलाश शुरू हुई। 9  जून 2017 को पुलिस ने झग्गर सिंह यादव को गिरफ्तार कर आरोपी के खिलाफ धारा 302, 366, 376, 201 व् पॉक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज  कर उसे जिला सत्र न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था।  सोमवार को इस मामले की सुनवाई में साक्ष्य के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने झग्गर सिंह यादव को अपहरण, दुष्कर्म व हत्या का दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा सुनाई है। 


न्यायालय के इस फैसले के बाद  हैवानियत का शिकार हुई बच्ची की  माता रेणुका साहू व पिता पुराणिक साहू ने अपना दर्द बया करते हुए बताया कि लगभग दो साल की लड़ाई लड़ने के बाद आज न्यायालय ने  उनके पक्ष में फैसला सुनाया है , जिससे वो संतुस्ट है | न्यायालय के फैसले के बाद किसी बेटी या बहन के साथ इस तरह का कृत्य करने वाले आरोपी इस तरह का घटना को अंजाम देने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर हो जाएंगे