रायपुर | छत्तीसगढ़ में आतंक ,लूटमार , डकैती और ठगी के पर्याय बन चूके 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की अग्रिम जमानत को लेकर छत्तीसगढ़ के “महाधिवक्ता कार्यालय” की “साख” दांव पर लगी है | यह कार्यालय अपनी “कार्यप्रणाली” को लेकर लगातार “साख” खोता जा रहा है | “महाधिवक्ता कार्यालय” की बदनामी की वजह , मुख्य रूप से अदालत में राज्य सरकार का सकारात्मक पक्ष मजबूती से ना रख पाना बताई जा रही है | यह भी बताया जा रहा है कि “महाधिवक्ता कार्यालय” की निष्क्रियता की वजह से क़ानूनी दांव पेंचो का सहारा लेकर कई विवादित नौकरशाह हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से बच निकलने में कामयाब रहे है | ये वो नौकरशाह है ,जिनके खिलाफ “छत्तीसगढ़ सरकार” के निर्देश पर या तो “FIR” दर्ज हुई है या फिर “SIT” का गठन किया गया था | अदालत में एक के बाद एक प्रकरणो में मुँह की खानी के चलते छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अरमानो पर पानी फेरने के लिए “महाधिवक्ता कार्यालय” की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि सबसे महत्वपूर्ण आरोपी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी को लेकर “महाधिवक्ता कार्यालय” की कोई भी चूक अथवा लापरवाही आरोपियों को अनुचित लाभ पंहुचा सकती है |
चार सौ बीसी के आरोपी निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता की अग्रिम जमानत को लेकर मंगलवार को “छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट” में सुनवाई हुई थी | इस दौरान आरोपी ने एक बार फिर बच निकलने के लिए कई तरह के प्रपंच रचे थे | लेकिन वो अपने इरादों पर कामयाब नहीं हो पाया | आखिरकर ,अदलात में आरोपी मुकेश गुप्ता के वकीलों ने गुहार लगाईं कि एक बड़े “वकील साहब” के आने तक सुनवाई का अंतिम मौका दिया जाए | प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अंतिम मौका देते हुए न्यायालय ने आरोपी-पक्ष को 19 अगस्त 2019 का अंतिम अवसर दिया है | अदालत ने अपने पूर्व के “नो कोरोसिव एक्शन” को 19 तक यथावत रखा है । आगामी तारीख 19 अगस्त को किसी भी कारण से एड़जोरमेंट न करने का फैसला भी “आडरशीट” पर अंकित किया गया है । एक बार फिर “महाधिवक्ता कार्यालय” को अपने दम ख़म का परिचय देना है |
बुधवार दिनांक 14 /08 /2019 को इसी अपराध में गिरफ्तार एक अन्य “आरोपी” की जमानत अर्जी पर भी उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है । लिहाजा “महाधिवक्ता कार्यालय” की सक्रियता और शासन का पक्ष रखने को लेकर दी जानी उसकी वाली दलीलों पर जनता की नजर रहेगी | इस दौरान “महाधिवक्ता कार्यालय” की कोई भी चूक अथवा लापरवाही, आरोपी मुकेश गुप्ता जैसे “वर्दीधारी ठग” और कई गंभीर मामलो के आरोपी को अनुचित लाभ पहुंचा सकती है । लोगो को उम्मीद है कि “महाधिवक्ता कार्यालय” सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं बल्कि प्रदेश की जनता के नजरो में भी खरा उतरेगा |
गौरतलब है कि भारतीय पुलिस सेवा में रहते आरोपी मुकेश गुप्ता ने कई गंभीर अपराधों को अंजाम दिया है | खाकी वर्दी और पद व प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस कुख्यात आरोपी ने लगभग दो हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति अर्जित की है | इसमें “एमजीएम ट्रस्ट” के आलावा अपनी “खसम- ख़ास” हवलदार रेखा नायर और उसके परिजनों के नाम से खरीदी गई संपत्ति शामिल है |


