प्रदुषण से आम जनजीवन हो रहा प्रभावित चिंता का विषय बन गया प्रदुषण

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उपेंद्र डनसेना रायगढ़. \   रायगढ़ ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में पर्यावरण प्रदूषण खतरनाक सीमा को पार कर प्राणी जगत के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहा। लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है। रायगढ़ जिला तो डेंजर जोन में है। हवा पानी कुछ भी शुद्ध नहीं। शासकीय एवं सामाजिक संगठनों तथा चिकित्सकों की रिपोर्ट अलार्म दे रही है। स्वांस दमा, लिव्हर, हृदय ,एवं केंसर जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रसित हो कर लोग मर रहे हैं। पशु पक्षी भी यहां से पलायन कर रहे हैं।

जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़, जन संगठनों, मीडिया एवं प्रबुद्ध नागरिकों ने जिला कलेक्टर से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र, ज्ञापन ,प्रदर्शन, सभा एवं विभिन्न छोटे बड़े आंदोलनों के माध्यम से ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सारी रिपोर्ट भेजकर प्रदूषण मुक्त जिला एवं राज्य बनाने की मांग की। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आवश्यक कार्यवाही करते हुए प्रदूषण के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से भी विस्तृत रिपोर्ट एवं प्रदूषण मुक्त के लिए कार्य योजना मांगी है। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के साथी एवं ट्रेड यूनियन कौंसिल रायगढ़ के संयोजक गणेश कछवाहा का कहना है कि वायु, जल, एवं प्रकाश समाज को प्रकृति की नि: शुल्क अनुपम देन है। इस पर समाज का सामुहिक अधिकार है। सरकार की यह संवैधानिक प्राथमिक जिम्मेदारी है कि जनता को शुद्ध हवा और पानी नि: शुल्क मुहैया कराए, लेकिन यह अत्यंत ही दुर्भाग्य जनक है कि सरकारें जनता के अधिकार और प्रकृति की सुरक्षा करने में असफल एवं गैरजिम्मेदार रहीं है। पूंजी की हवश में मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन बन गया है। औद्योगिक घराने और सरकार अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती। मोर्चा का प्रतिनिधि मंडल गत दिवस पर्यावरण अधिकारी से मिला जिसमें गणेश कछवाहा ट्रेड यूनियन कौंसिल, विष्णुसेवक गुप्ता, आरके शर्मा एडवोकेट, जयप्रकाश अग्रवाल ,गणेश मिश्र,के आर यादव, एवं पवन पाटिल आदि शामिल थे। पर्यावरण अधिकारी ने एक रिपोर्ट देते हुए बतलाया कि अभी प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों से निकल रहे फ्लाई एश ,कोल माइन्स के डस्ट, कोल कॉरिडोर के ट्रांसपोर्टेशन,एवं शहरी निकाय के अपशिष्ट हैं। एक रिपोर्ट जो बहुत ही भयावह है कि वर्तमान में एनटीपीसी, कोरबा बेस्ट,चालू नहीं है तथा जेपीएल का 40 प्रतिशत प्रोडक्शन है तब प्रतिदिन लगभग 21600 टन फ्लाई एश निकल रहा है यदि एनटीपीसी की एक यूनिट चालू होती है जिसका उदघाटन और ट्रायल हो गया है, तब लगभग 3500 टन फ्लाई एश प्रतिदिन और निकलेगा याने कि तब बढ़कर लगभग 25100 टन  फ्लाई एश प्रतिदिन निकलेगा जिसकी पर्याप्त समुचित डिस्पोजल की कोई योजना व व्यवस्था नहीं है सोचिए तब क्या होगा?