छत्तीसगढ़ में कोल आधारित बिजली के बजाए राज्य सरकार “सोलर एनर्जी” को बढ़ावा देने के लिए जोर लगा रही है ,ताकि प्रदेश की जनता को कोयले से निकलने वाले धुंए से ना केवल राहत मिले ,बल्कि प्रदषूण का स्तर भी कम हो सके | छत्तीसगढ़ में “सोलर एनर्जी” को जन उपयोगी बनाये जाने को लेकर अपार संभावनाए नजर आ रही है | लिहाजा इस क्षेत्र में विनिवेश बढ़ाने और देश विदेश की कंपनियों को यहाँ लाकर इस प्रदेश को ” सोलर हब” बनाने पर जोर दिया जा रहा है | न्यूयार्क में छत्तीसगढ़ शासन का “प्रतिनिधित्व” और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के “दूत” बनकर सीनियर आईएफएस अधिकारी अलोक कटियार ने विदेशी निवेशकर्ताओं को राज्य में “आमंत्रित” किया है | उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ सरकार “सोलर एनर्जी” पर आधारित उद्द्योगो को महत्व देगी | इसमें घरेलू काम काज में उपयोग आने वाले फ्रिज ,टीवी ,खाना बनाने की वस्तुओ समेत आवागमन के साधनो में प्रयुक्त होने वाली कार ,जीप ,बस एवं अन्य वाहनों की औद्द्योगिक इकाइयां शामिल है | विदेशी “निवेशकर्ताओं” से कहा गया है कि यदि वे “सोलर एनर्जी” कोई प्लांट स्थापित करने की योजना तैयार कर रहे है तो छत्तीसगढ़ में उनके लिए काफी औद्द्योगिक संभावनाए है |
गौरतलब है कि अलोक कटियार के प्रजेंटेशन देने से पहले छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले कई लोगो ने “भूपेश -भूपेश” के नारे लगाए | ठीक उसी तर्ज पर जैसे की विदेश दौरों के वक्त पीएम मोदी को देखककर भारतीय नागरिक लगाते है | न्यूयार्क के “येल क्लब” में ऊर्जा की उपलब्धता एवं “जलवायु परिवर्तन” के विषय पर क्रेडा के CEO आलोक कटियार द्वारा भारत की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य का पक्ष रखा तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की इस विषय की प्राथमिकता को विश्व के समक्ष रखा । ज्ञात हो कि न्यूयार्क में सेंकत राष्ट्र संघ की समान्य सभा का अधिवेशन चल रहा है एवं साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन का अधिवेशन भी हो रहा है | इस अवसर पर क्रेडा के CEO लोक कटियार ने छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा की “जलवायु परिवर्तन” में भूमिका एवं छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों के बारे में अर्न्तराष्ट्रीय निवेशकों शकों समक्ष विस्तार से बताया । अर्न्तराष्ट्रीय निवेशकों एवं तकनीकी विशेषज्ञों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया । छत्तीसगढ़ सरकार की प्राथमिकताओं को प्रमुखता से रखा ।
छत्तीसगढ़ राज्य अंडर-2 गठबंधन का भाग है एवं इसके गठन का प्रारम्भिक एवं महत्वपूर्ण हस्ताक्षरकर्ता है । इस गठबंधन में अभी तक विष्व के विभिन्न देशो के लगभग 180 राज्यों ने हस्ताक्षर किये है । भारत की ओर से 2 राज्यों ने हस्ताक्षर किये है , जिनमे से छत्तीसगढ़ एक है । दुसरा राज्य तेलंगाना है । अंडर -2 गठबंधन के तहत ग्रीन हाऊस गैसों का उर्त्सजन वार्षिक 2 मेट्रिक टन प्रति व्यक्ति से नीचे वर्ष 2050 तक लाने का लक्ष्य है । क्रेडा के CEO ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में कुल बिजली उत्पादन लगभग 14ए700 मेगावाट में लगभग 12ण्27ः बिजली का उत्पादन नीवकरणीय ऊर्जा द्वारा होता है, जिसमे सोलर के द्वारा लगभग 484 मेगावाट एव बायोमास के द्वारा 250मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है । पिछले दो वर्ष में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 5 गुना की वृद्धि हुई है ,जबकी थर्मल बिजली उत्पादन इस दौरान लगभग स्थिर रहा । छत्तीसगढ़ राज्य में आने वाले समय में नया विद्युत पावर प्लांट नहीं आना है ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से आलोक कटियार, CEO क्रेडा ने अर्न्तराष्ट्रीय निवेशकों एव तकनीकि विशेषज्ञो को छत्तीसगढ़ राज्य आने का “आमंत्रण” दिया । छत्तीसगढ़ राज्य के संसाधनो के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में भूमि, जल, श्रम, कच्चा मटेरियल काफी कम दरों में बहुतायत में उपलब्ध है । इसके साथ ही र्निमाण
लागत भी राष्ट्रीय औसत से कम है । छत्तीसगढ़ में ऊर्जा के स्टोरेज के क्षेत्र में जैसे कि सरप्लस बिजली को बैटरी में स्टोर करने की दिशा में अपार संभावनाये है । इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन एवं उनके चार्जिंग स्टेशन के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ राज्य में निवेश किया जा सकता है, क्योंकि वाहन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य एक बढ़ता हुआ बाज़ार है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर से आपरेटेड मेटरनिटी किट एवं फ्रिज के लिये निवेश किया जा सकता है । इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं एव बच्चों को विशेष लाभ मिलेगा, इसके लिए अर्न्तराष्ट्रीय ग्रांट भी मिल सकता है । कृषि के क्षेत्र में कृषि एव उद्यानिकी के उत्पादों का लगभग 40 प्रतिशत पोस्ट हारवेस्ट क्षति हो जाती है इसके लिये “सोलर ऊर्जा ” ऊर्जा पर आधारित कोल्ड चैन बनाने की आवश्यकता है जिसमें मोबाईल सोलर कोल्ड स्टोरेज की भूमिका अहम होगी । इस बारे में निवेशकों को विस्तार से जानकारी दी गयी । ग्रामीण क्षेत्रों में ईधन की खपत जो कि वन एवं कृषि उत्पादों पर निर्भर है कम करने के लिये कम बिजली खपत वाले एवं “सोलर ऊर्जा” से चलने वाले इन्डक्सन चूल्हा एव बतर्नों को ग्रामीण क्षेत्रो में दिया जा सकता है । इस बारे में पर्याप्त अनुसंधान कर निवेश किये जाने की सम्भावना पर बल दिया गया ।