” ना बंगला, ना पायलेटिंग गाडी ” सरकारी मलाई को त्याग कर मिसाल पेश की महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने |

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छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद से महाधिवक्ता का पद ” सुविधाभोगी ”  बन चुका था | बंगला, गाडी, नौकर – चाकर , मोटा वेतन और भत्तों के अलावा प्रोटोकॉल और पायलेटिंग व्यवस्था भी ” महाधिवक्ता साहब ” के लिए उपलब्ध करानी पड़ती थी | इस पर प्रति माह लाखो रूपये सरकारी तिजोरी से खर्च होते थे |  लेकिन यह पहला मौका है, जब नए महाधिवक्ता ने बाकायदा पुलिस को पत्र लिख कर ” प्रोटोकॉल ” और ” बंगला ”  लेने से इंकार कर दिया है | गौरतलब है कि सतीशचंद्र वर्मा  को हाल ही में महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त किया गया है | 3 जून सोमवार को उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही दो महत्वपूर्ण सुविधाओं को लौटा दिया | इसमें पहला पत्र उन्होंने बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक को लिखा है | इस पत्र में उन्होंने रोजाना अपने निवास से हाईकोर्ट तक आने जाने के लिए उपलब्ध कराये जाने वाले पायलेटिंग और फॉलोगार्ड को लेने से इंकार कर दिया है | जबकि दूसरा पत्र उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल को लिखा है | इस पत्र में भी उन्होंने महाधिवक्ता को आवंटित होने वाले ” सरकारी बंगले ”  को भी अपने लिए अनुपयोगी बताते हुए लेने से इंकार कर दिया है |  बिलासपुर में  ” बी – 23 ”  महाधिवक्ता बँगला के नाम से प्रसिद्ध है | नव नियुक्त महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने दोनों ही सुविधाओं को लेने से इंकार कर अपनी ना केवल सादगी का परिचय दिया है, बल्कि एक तरह से नजीर भी पेश की है | 

                  बिलासपुर हाईकोर्ट परिसर में महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने  सामान्य रूप से , अपना कार्यभार ग्रहण किया | उन्होंने कानून को सर्वोपरी बताते हुए ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से  काम करने का दावा भी किया | इस मौके पर उन्होंने अपने सहयोगी अतिरिक्त महाधिवक्ता आलोक बक्शी को नई सरकारी टोयोटा वाहन की चाबी सुपुर्द की | इन दिनों महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर प्रदेश में कानून के जानकारों के बीच बहस छिड़ी हुई है | इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार भी पार्टी बन गयी है | मामला जो भी हो लेकिन ” सरकारी मलाई ” त्याग कर सादगी से कार्य करने की इच्छा जाहिर कर नव नियुक्त  महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने ” जनता की अदालत ”  में अपनी बानगी पेश की है | अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार ही नहीं, बल्कि प्रदेश की आम जनता की नजरो में वे कितना खरा उतर पाएंगे | हाईकोर्ट का दरवाजा खुलते ही नान घोटाला , डी.के.एस. घोटाला , फोन टेपिंग काण्ड , अमन सिंह एवं अन्य अधिकारियों  के खिलाफ गठित SIT के मामलो की सुनवाई होनी है | इन मामलो में महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा आखिर कैसे अपना लोहा मनवाते है, यह देखना गौरतलब होगा |