नारायणपुर : रहस्यमय ढंग से गायब हो गया शिवलिंग |

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    नारायणपुर जिले के अंतर्गत माड़ क्षेत्र में स्थित तुलारधाम की शिवलिंग रहस्यमय रूप से गायब पाई गई है |  इसका पता उस वक्त चला जब भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचे हुए थे  |  शिवलिंग गायब होने से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है कि आखिरकार वह गायब कहा हो गया है |  हालांकि नक्सलियों ने शिवलिंग के आप-पास बैनर पोस्टर लगाए है जिससे इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह नक्सलियों की ही कारतूत है | श्रद्धालुओं ने इसकी जानकारी दंतेवाड़ा पहुंचकर पुलिस अधीक्षक को दी । उसके बाद ही यह पता चला कि इस गुफा में विद्यमान शिवलिंग गुफा में नहीं है । दंतेवाड़ा पुलिस जांच में जुट गई है कि यह नक्सली करतूत है या फिर तस्करों का कारनामा ।

          उल्लेखनीय है कि भगवान की पूजा-अर्चना करने के लिए महाशिवरात्रि के अवसर पर गुफा में पहुंचने की कठिन यात्रा कर जब श्रद्धालु पहुंचे तो उन्हें गुफा में निराशा का सामना यह देखकर हुआ कि गुफा के मुहाने पर पत्थर के चबूतरे पर करीब डेढ़ फीट ऊंचा शिवलिंग अपनी जगह पर नहीं है ।  नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित यह गुफा दुर्गम क्षेत्र में है और वहां पहुंचने के लिए कोई भी पहुंच मार्ग नहीं है । यहां दंतेवाड़ा जिले के सातधार और बीजापुर जिले के गांव मंगनार से होकर पहुंचा जाता है । रास्ता पथरीला और करीब 40 किमी लम्बा है । रास्ते में 5 जगह छोटी-बड़ी नदियों को भी पार करना पड़ता है । यह क्षेत्र नक्सली आतंक से भी ग्रस्त है ।  जहाँ नक्सलियों के स्मारक और लाल सलाम के दर्जनों नारे नजर आते है | पिछले साल इसी गढ़ में तोड़मा के करीब नक्सली पुलिस मुठभेड़ हुई थी | माड़ के जंगलों में बसे तुलार धाम में हर महाशिवरात्रि को हाज़ारों दर्शनार्थी नक्सलियों की मांद को चीरते गुजरते है |  शायद यही वजह से है कि नक्सली अपने वर्चस्व को बचाने इलाके में लोगों की आवाजाही लाल लड़ाकों को नागवार गुजर रही है |  इस बार जब जंगलो का सफर तयकर भक्त तुलार में जिस प्राकृतिक जलाभिषेक करती शिवलिंग के दर्शनों को पहुँचे थे, वह उन्हें अपने स्थान गायब दिखा |  पूजा स्थल पर शिवलिंग की जगह महज एक चांदी का छत्र था |  आखिर लोगों की आस्था का प्रतीक शिवलिंग किसने हटाया |  वैसे तुलार गुफा का इलाका दन्तेवाड़ा-बीजापुर और नारायणपुर तीनों जिले के घने जंगलों से इसका रास्ता है |

         गौरतलब है कि साल भर पहले इसी तरह से एक बार प्राचीन ढोलकल पर्वत पर प्राचीन गणेश प्रतिमा को भी नीचे फेंककर खंडित कर दिया गया था |  जिसके बाद शासन प्रशासन ने बड़े मशक्कत के बाद खंडित प्रतिमा को पुनः मूर्त रूप देकर उसी शिखर पर बैठाया था  |