नयी तकनीक से धान का बम्पर उत्पादन खिला किसान का चेहरा |देखिये वीडियों |    

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महासमुंद \ अरविन्द यादव  \ महासमुंद जिले के एक किसान ने नई तकनीक से धान का बम्पर उत्पादन लिया है, खरीब की फसल मे प्रति एकड़ 40 से 42 क्विंटल धान का उत्पादन किया है, रायसायनिक खाद के उपयोग को कम कर माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ]के उपयोग से धान का उत्पादन बढ़ाया है |  छत्तीसगढ़ मे पहली बार प्रति एकड़ धान का उत्पादन 40 से 42 क्वीनटल हुआ है, आसपास के किसान खेत पहुचकर इस तकनीक को समझने और जानने का प्रयास कर रहे है, कृषि विभाग भी मान रहा है की छत्तीसगढ़ मे पहली बार 40 से 42 क क्वीनटल धान का उत्पादन हो रहा है |

 छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है क्योकि यहा मुख्य रूप से धान की ही फसल ली जाती है, छत्तीसगढ़ मे रायसनिक खाद के अधिक उपयोग से मुट्टी अपनी उर्वरा शक्ति खोने लगी और धान का उत्पादन प्रति एकड़ 15 से 25 क्विंटल हो गया, खेतो मे अधिक रायसायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी कड़ी हो गयी  और धीरे धीरे  उपत्पादन कम होता चला गया इस समस्या से कई किसान धान की खेती छोड़ने मजबूर भी हुये |   इस समस्या का हल निकलते हुये महासमुंद के किसान आकाश चंद्राकार ने परंपगत खेती मे बदलाव करते हुये खेतो मे रायसायनिक खाद का कम उपयोग करके उसके बदले मे, माइकोराजा,फेट्रीलोन कोमबी 2, नोवाटेकसोलूब, बासफोलियर केल्प और बासफोलियर केडबल्यूपी जैसे माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ] का उपयोग कर प्रति एकड़ 40 से 42 क्विंटल धान का उत्पादन लेकर धान के खेती हो एक नयी दिशा दिया है |  रासायनिक खाद की तुलना मे  माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ]  का खर्च  भी कम आता है इनके उपयोग से मृदा नरम होती है उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है, धान मे कंशे अधिक निकलते है हर कंशे मे धान की बलिया होती है जिससे धन का उत्पादन बढ़ता है और पर्यावरण भिए स्वच्छ रहता है |  धान का अधिक उत्पादन देख आसपास के किसान भी हदप्रद है और किसान आकाश चंद्राकार के खेत पहुचकर  इस खेती की तकनीक पुछ रहे है | 

इस तकनीक से खेती कर रहे आकाश ने बताया की कई पीढ़ी से हम लोग परंपरागत खेती करते आ रहे थे, लिकिन उसमे धान का उत्पादन कम हो रहा था प्रति एकड़ अधिकतम  25 होता था और रायसायनिक खाद का ख़रच भी बहुत आता था |  लेकिन इस बार मैंने नए तरीके से 25 एकड़ मे धान की खेती किया और उसमे रायसायनिक खाद का उपयोग कम किया और उसके बदले  माइकोराजा,फेट्रीलोन कोमबी 2, नोवाटेकसोलूब,बासफोलियर केल्प और बासफोलियर केडबल्यूपी जैसे माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ] का उपयोग किया इससे मृदा नरम रही धान मे बलिया बहुत आई  फसल मे रोग नहीं लगा और प्रति एकड़ धान का उत्पादन  40 से 42 क्वीनट हुआ |  बहुत अच्छा महसूस कर रहा हु की प्रति एकड़ मुझे  40 से 42 क्वीनट धान का उत्पादन मिल रहा है, छत्तीसगढ़ मे अभी तक किसी किसान ने प्रति एकड़ इतना उत्पादन नहीं लिया था  साथ ही उसने किसानो को संदेह भी दिया है की धान की खेती मे रायसायनिक खाद का उपयोग कम कर  माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ] का उपयोग और अधिक उत्पादन लेवे और पर्यावरण की भी स्वच्छ रखे | 

    धान के बम्पर उत्पादन को देखेने यहा किसान दूर दूर से आ रहे है, किसानो का कहना है कि हम भी खेती कराते  है | लेकिन 25 क्विंटल से अधिक प्रति एकड़ नहीं होता है लेकिन पहली बार देख रहे है कि प्रति एकड़ 40 से 42 क्विंटल हो रहा हैम भी इस इस तकनीक को सीखना चाहते है और खेती करना चाहते है | कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया की अभी तक छत्तीसगढ़ मे प्रति एकड़ 25 से 27 क्विंटल ही धान का उत्पादन होने कि जानकारी है |  महासमुंद मे 40 से 42 क्विंटल हुया है तो उसने खेतो मे  माइक्रोन्यूटनस  [ सूक्ष्म पोशाक तत्व ] जैसे  माइकोराजा,फेट्रीलोन कोमबी 2, नोवाटेकसोलूब, बासफोलिय केल्प और बासफोलियर केडबल्यूपी के उपयोग से फसल का अच्छा उत्पादन होता सकता है  | 

https://www.youtube.com/watch?v=R9sMeDCRF3w&feature=youtu.be