नक्सली निर्मलक्का जेल से रिहा , 137 मामलो की खुद पैरवी कर बारह साल बाद आई बाहर | कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई के बदले निर्मलक्का को रिहा करने की हुई थी मांग |

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बारह साल से नक्सली मामले में सजा काट रही महिला नक्सली निर्मलक्का को जेल से रिहा कर दी गई | निर्मलक्का के खिलाफ कोर्ट में पुलिस ने कोई सक्ष्य पेश नहीं किया जिसके आधार पर कोर्ट ने रिहा करने का आदेश जारी किया है | निर्मलक्का पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने के एक दो नहीं बल्कि 150 से ज्यादा केस दर्ज है |  वर्ष 2007 में निर्मलक्का और उसके पति चंद्रशेखर रेड्डी को राजधनी रायपुर में 5 जुलाई 2007 को गिरफ्तार किया गया था | निर्मलक्का के खिलाफ वर्ष 2007, 2008, 2014, 2015 में भी नए-नए मामले दर्ज पुलिस द्वारा किया जाता रहा मगर एक भी सबूत पुलिस कोर्ट में पेश नहीं कर पाई | लिहाजा दंतेवाड़ा के फ़ास्टट्रैक कोर्ट ने सबूत ना होने के एवज में 2 अप्रैल को  रिहाई के आदेश जारी कर दिया, वर्ष 2007 में निर्मलक्का पर जनसुरक्षा कानून के तहत मामला दर्जा किया गया था | इसके अलावा,आईपीसी की धारा 147,148,149,307,398,120 बी तथा 25/27 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज था | जिन धाराओं के तहत पुलिस ने मामला दर्ज किया था उनमें निर्मल का और उसके पति चंद्रशेखर राव भी शामिल थे | चंद्रशेखर राव 1 साल पहले ही रिहा हो गए हैं |  

 दंतेवाड़ा न्यायलय से रिहाई के आदेश सेंट्रल जेल जगदलपुर पहुँचा और निर्मलक्का को रिहा कर दिया गया | उनको लेने समाज सेविका सोनी सोरी लेने पहुंची थी | जेल से बहार आने के बाद निर्मलक्का ने कहा की पिछले सालमेरे पति को भी जेल डाल दिया गया था.हालांकि उनकी रिहाई हो गयी है |  निर्मलक्का  ने बताया कि साल 2007 जुलाई से केस शुरू हुआ था | अंतिम मामले में फैसला दंतेवाड़ा के फ़ास्टट्रैक कोर्ट से किया गया | शासन इस पूरे मामले में कोई भी सबूत जुटा नहीं पाया और कोर्ट को हमें छोड़ना पड़ा |  निर्मलक्का ने बताया की कई प्रकरण तो ऐसे थे जिसे सुनने और निपटाने में 10 साल का समय लग गया  | ‘वर्ष 2007, 2008, 2014, 2015 में भी नए-नए मामले दर्ज होते रहे | लेकिन किसी में भी अपराध साबित नहीं हो पाया | 


कौन है निर्मलक्का 

तेलंगाना के शिरकाल की निवासी निर्मलक्का शादी के बाद पति के साथ चितूर में रह रही थी | पुलिस के मुताबिक निर्मलक्का मादेड एरिया कमेटी की सचिव , डीवीसी मेंबर और दंडकारण्य क्रन्तिकारी महिला संगठन की सचिव थी | वह शहरी नेटवर्क को बढ़ाने इलाज के लिए रायपुर गई थी | जहां पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था | 



कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई के बदले निर्मलक्का को रिहा करने की हुई थी मांग  

2012 में सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई के बदले जिस महिला नक्सली को रिहा करने की नक्सली संगठन ने मांग की थी | वह महिला नक्सली सेंट्रल जेल जगदलपुर से बाइज्जत बरी हो गई है | बस्तर सहित छत्तीसगढ़ में कुल 157 मामले दर्ज थे लेकिन  पुलिस एक भीसाक्ष्य पेश नहीं कर पाई | लिहाजा सभी मामलों में निर्मलक्का को बाइज्जत बरी कर दिया | 

एलेक्स पाल मेनन को रिहा करने के बदले नक्सलियों जिन आठ साथियों को छोड़ने और आपरेशन ग्रीनहंट बंद करने की मांग रखी थी उसे 25 अप्रैल तक पूरा करने का समय दिया था | तत्तकालीन सरकार से नक्सलियों ने जिलाधिकारी की रिहाई के बदले आपरेशन ग्रीनहंट बंद करने,क्षेत्र में तैनात सुरक्षा कर्मियों को वापस बैरक में भेजने,फर्जी मामलों में जेलों में बंद लोगों को रिहा करने और अपने आठ साथियों को रिहाई की मांग रखी थी | जिनको | इनको रिहा करने की मांग की थी  मरकाम गोपन्ना उर्फ सत्यम रेड्डी, निर्मल अक्का उर्फ विजय लक्ष्मी, देवपाल चन्द्रशेखर रेडडी, शांतिप्रिय रेड्डी, मीना चौधरी, कोरसा सन्नी, मरकाम सन्नी और असित कुमार सेन की रिहाई की मांग की थी | लेकिन कलेक्टर को छोड़ने के बाद मांगें पूरी नहीं हुई |  

बतादें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में नक्सलियों ने सुकमा जिले के कलेक्टर तथा वर्ष 2006 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मेनन का अपहरण कर लिया था तथा उनके दो अंगरक्षकों की गोली मार कर हत्या कर दी थी  | राज्य सरकार के ग्राम सुराज अभियान के दौरान कलेकटर केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में कार्यक्रम में शामिल होने गए थे तथा वहां  तैयारियों का जायजा ले रहे थे | इस दौरान लगभग 50 की संख्या में हथियारबंद नक्सली वहां पहुंचे और उनके दो गार्डों को गोली मार दी और उन्हें अगवा कर जंगल की ओर ले गए.मौके पर सुकमा के एसडीएम एस.के वैद्य और अन्य अधिकारी भी वहां मौजूद थे | मगर नक्सलियों ने अन्य अधिकारियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया ।