देखिए छत्तीसगढ़ के कुख्यात मसूद अजहर को , इसके आतंक के चलते कई RTI कार्यकर्ता ,पत्रकारों और नेताओ की जान जोखिम में |

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छत्तीसगढ़ कैडर के कुख्यात आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की तुलना आतंकी मसूद अजहर से की जाने लगी है | पर्याप्त सबूतों और गंभीर धाराओं के तहत FIR  दर्ज होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी में लेट लतीफी होने से राज्य की कांग्रेस सरकार कटघरे में है | दूसरी ओर इस कुख्यात अधिकारी और कई संगीन मामलों के आरोपी के खौफ के चलते प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कवर को अपनी सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी है | ऐसे में आमजनता का क्या होगा इसे समझा जा सकता है | क्या राज्य सरकार मुकेश गुप्ता के खिलाफ सबूत जुटाने वाले सरकारी कर्मियों और व्यक्तियों की सुरक्षा की जवाबदारी लेगी | इसे लेकर लोगो के माथे पर बल पड़ने लगा है | दरअसल कुछ दिनों पहले यह खबर आई थी कि मुकेश गुप्ता अपने गिरोह के कुछ लोगो से मिलकर उसके खिलाफ आवाज उठाने वालो को सबक सिखाने के लिए सुपारी किलरो की व्यवस्था करने में जुटा है | 

 
इस खबर की तस्दीक होने के बाद पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के अलावा कई ऐसे लोगो को अपनी जान की चिंता सता रही है , जिन्होंने आरोपी मुकेश गुप्ता के काले कारनामो का खुलासा करने की पहल की है | इस कुख्यात आरोपी की असलियत सामने आने के बाद अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि वो कुछ मीडिया कर्मियों और RTI कार्यकर्ताओ पर भी हमला करवा सकता है | हाल ही में पुलिस मुख्यायलय ने दो RTI कार्यकर्ताओ वासु चक्रवर्ती और हमर संगवारी के राकेश चौबे को सुरक्षा देने की सिफारिश की थी | इन दोनों ही RTI कार्यकर्ताओ ने नान घोटाले के कई ऐसे तथ्यों का खुलासा किया है ,जिसे पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार और मुकेश गुप्ता ने जांच में शामिल ही नहीं किया था | इस खुलासे के बाद दोनों ही RTI कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में बता रहे है | 


बिलासपुर लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक कांट रहा चक्कर 

 कुख्यात आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता इन दिनों बिलासपुर से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक में निवासरत कानून के जानकारों और वकीलों का चक्कर कांट रहा है | ताकि उसके खिलाफ होने वाली सभी जांचो पर अदालती रोक लग सके | बताया जाता है कि अदालती कार्रवाई में होने वाले खर्च के इंतजाम के लिए इस वर्दीधारी आरोपी ने कई थानेदारों को डरा धमका कर आर्थिक सहयोग भी लिया है | इसकी शिकायत कुछ RTI कार्यकर्ताओ ने पुलिस मुख्यायलय में भी की है | अवैध उगाही और साजिश रचने के मामले में दुर्ग के एक कारोबारी भोपाल खंडेलवाल नामक शख्स का भी नाम सामने आया है | बताया जाता है कि रायपुर के नंजय चौधरी नामक व्यक्ति के साथ मिलकर यह शख्स मोटी रकम इकट्ठा कर रहा है और उसे कुछ चुनिंदा लोगो को सौप रहा है | भोपाल खंडेलवाल के दुर्ग स्थित फॉर्महॉउस में मुकेश गुप्ता के साथ होने वाली कुछ आईपीएस अधिकारीयों की बैठके भी  सुर्ख़ियों में है | बताया जाता है कि उसके फॉर्म हॉउस में  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए लगातार बैठके होती है | इन बैठकों में मुकेश गुप्ता के अधीनस्थ कुछ  अधिकारीयों के अलावा अपराधिक प्रवित्ति के कई बदमाश भी शामिल होते है | यह भी बताया जा रहा है कि आरोपी मुकेश गुप्ता पुलिस के हत्थे चढ़ने से बचने के लिए अब रायपुर एयरपोर्ट के बजाए नागपुर से आवाजाही कर रहा है |

 
नंजय चौधरी नामक व्यक्ति के बारे में बताया जा रहा है कि यह संयुक्त मध्यप्रदेश में बीजेपी के एक कद्दावर लेकिन ” स्वर्गीय ” नेता के करीबी रिश्तेदार है | रायपुर में इनके कई कारोबार है | उन कारोबार के आलावा नंजय चौधरी एमजीएम हॉस्पिटल के लिए चंदा इकट्ठा करने के साथ साथ मुकेश गुप्ता के लिए अवैध उगाही का भी काम करता है | पूर्वबर्ती  सरकार में आरोपी मुकेश गुप्ता जब किसी भी पीड़ित से उगाही का निर्देश देता था तब रकम को लाने ले जाने और उसे ठिकाने लगाने की जवाबदारी इसी नंजय चौधरी की होती थी | एक जानकारी के मुताबिक EOW और ACB में पदस्थापना के दौरान इस  कुख्यात अधिकारी ने कई सरकारी अफसरों और संस्थानों से करोडो की  वसूली की | यहां तक कि कई भ्रष्ट अफसरों के यहां छापा मारी करने के बाद मामलों को रफा दफा कर दिया गया था |  उन अफसरों से वसूली का जिम्मा इसी नंजय चौधरी के कंधो पर था | यह भी जानकारी लगी है कि अदालत में चालान पेश करते वक्त कई भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ या तो सबूत ही पेश नहीं किए गए या फिर उन्हें नष्ट कर दिया गया | पूर्व विधायक वीरेंद्र पांडे ने EOW में हाल ही में इस कुख्यात अफसर के खिलाफ एक नामजद शिकायत की थी | इस शिकायत में उन प्रकरणों और FIR का हवाला दिया गया था , जिसमे आरोपियों से वसूली के बाद FIR ही नष्ट कर दी गई थी |    


मुकेश गुप्ता और नंजय चौधरी का नक्सली कनेक्शन 

 यह भी बताया जा रहा है कि विस्फोटक और बारूद का कारोबार करने वाले नंजय चौधरी ने कई बार मुकेश गुप्ता को रूस की यात्रा करवाई | इनके पासपोर्ट की जाँच की जाए तो कई ऐसे तथ्य जाहिर हो सकेंगे जो देश की सुरक्षा से जुड़े हो सकते है | बताया जा रहा है कि झीरम घाटी कांड को अंजाम दिए जाने के चार माह पूर्व हैदराबाद से बारूद लेकर चला एक ट्रक बस्तर में गुम हो गया था | इस ट्रक में सैकड़ो टन बारूद भरा था | एक साजिश के तहत इस दौरान ट्रक के गायब होने की सूचना सुनियोजित रूप से पुलिस को दी गई थी | चंद दिनों बाद यह खाली ट्रक बस्तर से ही बरामद हुआ था , लेकिन मुकेश गुप्ता के प्रभाव के चलते ना तो इस साजिश में लिप्त कारोबारियों से कोई पूछताछ हुई और ना ही बारूद सप्लाई करने वाली कंपनी के कर्ताधर्ताओं से | सूत्रों द्वारा बताया जा रहा कि इस बड़ी घटना को बीजेपी शासनकाल में रफा दफा कर दिया गया था | सूत्रों के मुताबिक बारूद की यह खेप नक्सलियों को सुनियोजित रूप से भेट की गई थी | लिहाजा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुख्यात आरोपी आईपीएस  अधिकारी मुकेश गुप्ता के गिरोह की नक्सलियों से  भी सांठगाठ हो सकती है | 

       
  NIA समेत दूसरी सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की भी जाँच करनी चाहिए की अखिरकर नक्सलियों को बारूद की खेप कहां से मुहैया हो रही है | दअरसल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के सैकड़ो जवान बारूदी सुरंगो की चपेट में आने से मारे गए है | प्रेशर बम और बारूदी सुरंगो में बड़े पैमाने पर विस्फोटकों का उपयोग होता है | ऐसे में यह गंभीर घटना इस ओर इशारा करती है कि नक्सलियों को बारूद की खेप कही न कही से सुनियोजित रूप से मुहैया हो रही है | यही नहीं बारूद के ठेकेदार कही दूर नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में ही पैर जमाए बैठे है | 


सिर्फ बारूद के ट्रक की गुमशुदगी दर्ज 


बस्तर में बारूद से भरे ट्रक के गायब होने की पड़ताल जब हमारे संवाददाता ने की तब पता पड़ा कि मुकेश गुप्ता के इशारे पर इस मामले की फाइल ही बंद कर दी गई | सिर्फ बारूद के ट्रक की गुमशुदगी दर्ज की गई थी | खाली ट्रक बरामद होने के बाद नियमानुसार कोई कार्रवाई नहीं की गई | जबकि बारूद की खेप की आवाजाही के लिए सरकार ने विशेष दिशा निर्देश और मापदंड तय किए है | इसमें बारूद से भरा ट्रक जब कभी भी कंपनी से निकलकर जिस मार्ग से आवाजाही करता है , उन इलाको के थाने और पुलिस चौकियों को इस बाबत सुचना देनी होती है | यही नहीं बारूद की आवाजाही के लिए एक निर्धारित वाहन होता है | यह वाहन भी आम वाहनों या ट्रक से भिन्न होता है | लेकिन इस घटना क्रम में किसी भी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था | इससे जाहिर होता है कि बारूद की यह खेप सिर्फ नक्सलियों तक पहुँचाने के लिए की गई थी | यह भी स्पष्ट करना जरुरी है कि नंजय चौधरी के बारूद गोदाम  में आमद देने वाला यह ट्रक नक्सलियों के कब्जे में कैसे चला गया | जबकि इसकी आवाजाही की सूचना सिर्फ नंजय चौधरी और उसके कर्मचारियों को थी |    

   
फ़िलहाल देखना होगा कि छत्तीसगढ़ के इस कुख्यात आतंकी जिसकी तुलना पाकिस्तानी आतंकी सरगना मसूद अजहर से की जा रही है , उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अभयदान देते है या फिर उसे उसके असली ठिकाने जेल की सलाखों के पीछे भेजते है | दरअसल आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है | इनमे से कई गैरजमानती धाराए है | यह भी गौरतलब है कि मुकेश  गुप्ता की गिरफ्तारी में हो रही लेट लतीफी से कई RTI कार्यकर्ताओ , मीडिया कर्मियों और नेताओ की जान जोखिम में है | यही नहीं यह कुख्यात आरोपी स्वतंत्र रूप से घूम फिरकर जिस तरह से उसके खलाफ चल रही जाँच को प्रभावित कर रहा है , उससे कांग्रेस सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लग रहे है |