डिमोट होंगे PMGSY चीफ इंजिनियर के.के. कटारे |

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प्रधानमंत्री सड़क योजना में पदस्थ चीफ इंजीनियर  के.के. कटारे  को डिमोट करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है | विकास भवन और मंत्रालय में पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जल्द ही यह मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के टेबल पर  पहुंचने वाला है | इसका मुख्य कारण के.के. कटारे को विधान सभा चुनाव 2018 की आचार संहिता लगने के एक दिन पहले आनन् फानन में दी गयी पदोन्नोती है | बताया जाता है कि चीफ सेकेट्री के पद पर तैनात रहते विवेक ढांड ने के.के. कटारे  के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए थे | उन्होंने इस अफसर की डीपीसी  तक से इंकार कर दिया था |  इसका मुख्य कारण  के.के. कटारे  के खिलाफ लंबित शिकायते और चीफ इंजीनियर के पद के लिए यथोचित अहर्ता का ना होना था | विवेक ढांड के रिटायरमेंट के बाद तत्कालीन चीफ सेकेट्री और अफसरों के एक समूह ने आनन् फानन में डी.पी.सी. कर के.के. कटारे  को चीफ इंजीनियर के पद पर पदोन्नति दे दी थी | इस दौरान उन्होंने इस अफसर के ख़िलाफ़ लंबित ना तो शिकायतों की फ़ाइल का अध्यन किया था और ना ही योग्य इंजीनियरों की पात्रता का | नतीजतन  के.के. कटारे  अपने समीकरणों से चीफ इंजीनियार के पद पर काबिज होने में कामयाब रहे | हालांकि हफ्ते भर पहले राज्य शासन ने उन्हें चीफ इंजीनियार के पद से चलता कर दिया | 
                  पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने चीफ  इंजीनियार के पद से  के.के. कटारे  की हुई रवानगी के बाद अब उनके डिमोशन की प्रक्रिया भी जल्द होने वाली है | इस विभाग के योग्य वरिष्ठ अभियंताओं ने सरकार को शिकायत की है कि  के.के. कटारे  को मोटी रकम लेकर तत्कालीन अफसरों ने पदोन्नति दी थी | जबकि वे इस पद के लिए निर्धारित अहर्ता को पूरा नहीं करते | शिकायत में कहा गया है कि  के.के. कटारे  अनुसूचित जाति वर्ग का जाति प्रमाणपत्र पेश कर  चीफ इंजीनियर  बनने में कामयाब रहे | जबकि वे  छत्तीसगढ़ राज्य में ओबीसी समुदाय के  अंतर्गत आते है |  शिकायत में कहा गया है कि कटारे  मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग  शामिल है | लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य पत्र   में उनकी जाति ओबीसी वर्ग में दर्ज है | ऐसे में उन्हें गलत प्रक्रिया के तहत पदोन्नति दी गयी | शिकायत में यह भी कहा गया है कि उनसे अधिक योग्य अभियंताओं  का नाम डीपीसी में जानबूझ कर शामिल नहीं किया गया था | अफसरों ने इसके लिए  तत्कालीन चीफ सेकेट्री  अजय सिंह , तत्कालीन प्रमुख सचिव एम.के. राउत और अन्य अधिकारियों को  दोषी ठहराया है | शिकायत के मुताबिक डीपीसी में के.के. कटारे  को चीफ इंजीनियर  बनाने का फैसला एकतरफा लिया गया | इस मामले में तत्कालीन पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर की कार्य प्रणाली पर भी सवालियां निशान लगाया गया है | शिकायत में कहा गया है कि अपने स्वार्थो के मद्देनजर तत्कालीन मंत्री ने  के.के. कटारे  की पदोन्नुति पर अपनी मुहर लगाई थी | 


                     तमाम दस्तावेजों और तथ्यपरथ  शिकायत पाए जाने के बाद विकास भवन में  के.के. कटारे को डिमोट करने के लिए एक पत्र शासन को भेजा है | इस पत्र में हवाला दिया गया है कि इस तरह से नियम विरुद्ध पदोन्नुति की गयी है |  के.के. कटारे  के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश किये जाने को लेकर FIR दर्ज करने की मांग भी की गयी है | इसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार की आँखों में धूल झोकने के लिए मध्यप्रदेश से जारी जाति प्रमाण पत्र को शामिल कर उन्हें पदोन्नुति दी गयी है | इससे राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के अभियंताओं के हितो पर कुठाराघात हुआ है | 


                    कई गंभीर शिकायतों की प्रारंभिक जांच के बाद हाल ही में  के.के. कटारे को चीफ इंजीनियर  के पद से हटाया गया था | इस कदम के बाद पंचायत और स्वास्थ मंत्री टी.एस. सिंह देव की जमकर तारीफ़ हो रही है | दरअसल  बीजेपी के  कार्यकाल में तत्कालीन विभागीय मंत्री के संरक्षण के कारण  के.के. कटारे  की तूती बोलती थी | एक से बढ़ कर एक गैर क़ानूनी कार्यों  की शिकायते होने के बावजूद उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं होती थी | यहाँ तक कि कुछ राजनैतिक दलों और उनके नेताओ को चुनावी चंदा देने के चलते उनके खिलाफ लंबित शिकायते रफा दफा हो जाय करती थी | यह पहला मौका है जब उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही के निर्देश सुर्ख़ियों में है | बताया जाता है कि सड़को के निर्माण और रिंग बना कर टेंडर जारी करने के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को करोडो का नुक्सान हुआ है | बहरहाल देखना होगा कि  के.के. कटारे  के खिलाफ डिमोशन की प्रक्रिया कब पूर्ण होती है