डाक्टर पुनीत गुप्ता के साथ तत्कालीन स्वास्थ मंत्री अजय चंद्राकर , स्वास्थ सचिव सुब्रत साहू और कमिश्नर हेल्थ आर प्रसन्ना भी नपेंगे ? तीनो की भूमिका संदिग्ध |

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छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में राज्य के सबसे बड़े सरकारी ‘ दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल ‘ में हुए घोटाले की सर्जरी अब शुरू हो गयी है | सुप्रीम कोर्ट में घोटाले के मुख्य आरोपी डाक्टर पुनीत गुप्ता की अग्रिम जमानत को लेकर हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार के हौसले बुलंद है | स्वास्थ विभाग ने डाक्टर पुनीत गुप्ता को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है | उन्हें 17 बिन्दुओ का आरोप पत्र सौपा जा रहा है | इसके साथ ही तत्कालीन स्वास्थ मंत्री अजय चंद्राकर , सचिव स्वास्थ सुब्रत साहू और कमिश्नर हेल्थ आर. प्रसन्ना की  भूमिका की भी जांच शुरू हो गयी है | जांच अधिकारियों का मानना है कि तत्कालीन विभागीय मंत्री समेत दोनों जिम्मेदार अधिकारी भी घोटाले में लिप्त है | बगैर उनकी अनुमति के आखिर कैसे डॉ पुनीत गुप्ता गबन और घोटालो को अंजाम दे रहा था |   एक सरकारी मुलाजिम की हैसियत से वो डीकेएस अस्पताल में सर्वे सर्वा बन कर तमाम आर्थिक और प्रशासनिक फैसले लेते रहा और विभागीय मंत्री अजय चंद्राकर ,स्वास्थ सचिव सुब्रत साहू और कमिश्नर हेल्थ आर प्रसन्ना आखिर क्यों चुप्पी साधे  रहे | जांच अधिकारी अब तत्कालीन स्वास्थ मंत्री समेत दोनों  ही अधिकारियों के खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की प्रक्रिया में जुट गए है | तीनो की भूमिका की प्राथमिक जांच के बाद पाया गया है कि ये सभी डाक्टर पुनीत गुप्ता के अपराधों में सहयोगी और सहभागी की भूमिका निभा रहे थे | तीनो के खिलाफ FIR दर्ज करवाने से पहले जांच अधिकारी इनके भी बयान दर्ज करने के लिए उन्हें नोटिस देने की तैयारी में है | 


        जांच अधिकारियों ने घोटालो की पड़ताल के दौरान यह भी पाया कि डॉ पुनीत गुप्ता द्वारा अंजाम दिए जा रहे अवैधानिक कार्यों को जानने बुझने के बावजूद ना तो तत्कालीन स्वास्थ सचिव ने उन्हें कोई ‘ कारण बताओ नोटिस ‘ दिया और ना ही हेल्थ कमिश्नर ने | अलबत्ता दोनों अफसर आरोपी की पीठ थपथपाते रहे | जांच अधिकारियों ने यह भी पाया कि तत्कालीन स्वास्थ मंत्री अजय चंद्राकर ने भी अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं किया | इसके चलते छत्तीसगढ़ सरकार की तिजोरी पर आरोपी ने सीधे सेंधमारी की और 64 करोड़ से ज्यादा की रकम की बन्दरबांट हुई |  जाँच अधिकारियों का मानना है कि तीनो के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत मौजूद है | विभागीय मंत्री टी.एस. सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस बाबत पूरी जानकारी देने के बाद नई FIR दर्ज कराने को लेकर फैसला लिया जाएगा |  


         उधर बड़े घोटालो को अंजाम देने और आर्थिक अनियमितता के चलते “डी.के.एस.” अस्पताल की व्यवस्था चरमराई हुई है | यहाँ कार्य कर रही कई एजेंसियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है | समय पर भुगतान नहीं होने के चलते इस अस्पताल की मेडिकल और आतंरिक व्यवस्था दिनों दिन लड़खड़ा रही है | हालांकि राज्य सरकार के अफ़सर मरीजों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं मुहैया कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है | उनकी कोशिश है कि पूर्व बीजेपी सरकार के आर्थिक घोटालो की कीमत आम मरीजों को ना चुकानी पड़े |