
उपेन्द्र डनसेना
रायगढ़ । छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने एक बड़ी कार्यवाही करते हुए आदिम जाति विकास, सह आयुक्त कार्यालय रायगढ़ के लेखापाल वाई के पंडा का निलंबन आदेश जारी कर दिया है। सामग्रियों के क्रय(खरीदी) एवं भंडारण के क्रय संबंधी अपने वित्तीय अधिकारों के उलंघन संबंध में यह निलंबन आदेश जारी हुआ है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ के आदिवासी विकास विभाग में लेखापाल के पद पर पदस्थ वाई के पंडा के द्वारा अपने विभाग के ही पूर्व ट्रायबल कमिश्नर संकल्प साहू के कार्यकाल के दौरान विभाग के ही हॉस्टल, सरकारी भवन के निर्माण कार्य के लिए आए एलॉटमेंट की राशि को अधिकारी के मौखिक आदेश के आधार पर परिवर्तन करके लाखों रूपए की गड़बडी का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि विभाग में काम करने वाले इस ठेकेदार के द्वारा भुगतान लंबित होनें की स्थिति में उनके खिलाफ मंत्रालय में गुपचुप ढंग से शिकायत की गई थी। जिसमें संबंधित लेखापाल के खिलाफ एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि का मद परिवर्तन करके अन्य मदो में बिना शासन के आदेश के राशि खर्च करने का आरोप लगाया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच के लिए पिछले दिनों में राजधानी रायपुर से भी दो अधिकारी रायगढ़ आए थे और पूरे मामले की जांच के बाद ऐसा माना जा रहा है कि उनके रिपोर्ट के आधार पर ही संबंधित लेखापाल के खिलाफ राज्य स्तर पर निलंबन का आदेश जारी हुआ है। गौरतलब रहे कि मद परिवर्तन करके विभागीय राशि की हेराफेरी करने के ही मामले में कुछ समय पहले विभाग के ट्रायबल कमिश्नर संकल्प साहू का पूर्व में निलंबन हो चुका है और लेखापाल पर कार्रवाई उसी की एक कडी है। उन्हें सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम 3 के उल्लंघन तहत उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। 10 अक्टूबर को मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार वाई के पंडा का अपनी निलंबन अवधि के दौरान उनका कार्यालय महानदी भवन रायपुर आदिम विकास एवं अनुसूचित जाति विकास कार्यालय रहेगा। इस दौरान उन्हें जीवन यापन भत्ता देय होगा।