रायपुर / छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के ग्रामीण इलाकों में दर्जनों गाड़ियों के काफिले और मशीनों को देखकर लोग हैरत में पड़ गए | खुदी हुई सड़को की गुणवत्ता परखी जा रही थी | रविवार की सुबह दिखे इस नजारे को जब ग्रामीणों ने करीब से देखा तो उन्हें मामला समझ में आया | इलाके के लोग प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़कों की दुर्दशा से काफी आहत दिखाई दिए | मौके पर पहुंचे सरकारी अफसरों को वो इस बात के लिए फटकार लगा रहे थे कि एक बारिश में ही सड़के उखड़ गई और उस पर कई जगह से बड़े बे गड्ढे हो गए | सरकारी अफसरों पर ग्रामीण सरेआम भ्रष्ट्राचार के आरोप भी लगा रहे थे | इस बीच मौके पर मौजूद एक अफसर ने अपना परिचय देते हुए ग्रमीणों को आश्वस्त किया कि उनकी सभी शिकायतों की जांच की जा रही है | इस अफसर ने अपना परिचय देते हुए ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि भ्रष्ट्राचार करने वाले ठेकदारों की अब खैर नहीं , जितनी भी सड़के खराब हुई है वे उसे जल्द ही ठीक कराएँगे | यह अफसर और कोई नहीं बल्कि आईएफएस आलोक कटियार थे | पूर्ववर्ती सरकर में भी उन्होंने इसी तरह से मौके पर पहुंचकर सड़कों की गुणवत्ता परखी थी और भ्रष्ट्राचार में लिप्त ठेकेदारों को नयी सड़के बनाने पर विवश कर दिया था |
सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई राज्यों में अखिल भारतीय सेवा के कई अधिकारी भ्रष्ट्राचार के दलदल में गोता लगा रहे है | लेकिन कई ऐसे भी अफसर है जो , अपनी कार्यप्रणाली के चलते शासन-प्रशासन के प्रति लोगों में विश्वास का अलख भी जगा रहे है | ऐसे ही अफसरों में से एक है , छत्तीसगढ़ कैडर में तैनात आईएफएस अधिकारी आलोक कटियार | कांग्रेस की नयी सरकार ने हाल ही में उन्हें उन्हें दोबारा उसी कुर्सी पर बिठाया है , जहां से पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने उन्हें एकाएक हटा दिया था | प्रधानमंत्री सड़क योजना में भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों की नाक में नकेल डालने के मामले में सुर्ख़ियों में आये आलोक कटियार को पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के नेताओं ने जोर आजमाइश कर सीईओ के पद से हटा दिया था | वो भी मात्र आठ- दस माह के कार्यकाल में | मंत्री से लेकर संतरी तक और ठेकेदारों को लगने लगा था कि इस अफसर के रहते उनकी काली कमाई ठप्प पड़ गई है | कमीशनखोरी का खेल भी खत्म होने लगा है | लिहाजा तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इस अफसर की प्रधानमंत्री सड़क योजना से छुट्टी कर दी थी | लोगों को आश्चर्य हुआ था कि बीजेपी सरकार को किस अफसर की ईमानदारी राश नहीं आ रही है | दरअसल पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के नेता और ठेकेदार इसलिए नाराज थे कि सीईओ आलोक कटियार कभी भी लाव-लश्कर के साथ किसी भी सड़क पर निकल जाते है , और फिर वो सड़कों की गुणवत्ता परखने में जुट जाते है | और तो और गुणवत्ता परखने के बाद मामला फाइलों में ही कैद नहीं हो जाता , बल्कि ठेकेदारों पर रिकवरी और विभागीय अफसरों को नोटिस देकर सरकारी कार्य में लापरवाही और नियम कायदों के उल्लंघन को लेकर जवाब देना होता है | वरना दंडनीय कार्यवाही की चेतावनी भी मिलती है | इस तरह की कार्यप्रणाली के चलते सरकारी तिजोरी के करोड़ों रूपये आलोक कटियार ने ना केवल बचाये , बल्कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्ट्राचार मुक्त और गुणवत्ता वाले कामों का रास्ता साफ किया था |
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने आलोक कटियार को एक बार फिर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की जबावदारी सौंपी है | कार्यभार ग्रहण करते ही यह अफसर एक बार फिर अपने रास्ते पर निकल पड़ा है |आलोक करियर ने पहला पड़ाव तय किया धमतरी जिले का | यहां विकास का दावा करने वाली पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में निर्मित होने वाली कई सड़के गुणवत्ता विहीन पाई गई | ग्रमीणों के मुताबिक पंचायत और ग्रामीण विकास निधि से करोड़ों रुपयों की लागत से तैयार सड़के चार – छह महीने में ही उखड़ चुकी थी | कई इलाकों में तो सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे भी निकल आये थे | लाव-लश्कर के साथ गांव कस्बो में पहुंचे आलोक कटियार ने उन सड़कों का जायजा लिया और ठेकेदारों और विभागीय अफसरों को कारण बताओं नोटिस देने के साथ ही साथ उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए है | आलोक कटियार की इस कार्रवाई के चलते पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में खलबली मची हुई है | बताया जाता है कि बीजेपी सरकार के पूर्व पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर के गृह जिले से ही भ्रष्ट्राचार में लिप्त अफसरों और ठेकेदारों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू की गई है | अंदेशा यह भी जाहिर किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री सड़क योजना में भी बड़े पैमाने पर घपला हुआ है | ठेकेदारों ने पूर्ववर्ती सरकार के एक मंत्री के इशारे पर करोडो के टेंडरों का बंदरबाट किया था | अनुचित लाभ कमाने के लिए प्रदेशभर में ठेकेदारों ने रिंग बनाकर एक के बाद एक टेंडर हासिल किये और सरकार को अरबों का चूना लगाया था |
रविवार को धमतरी जिले के कुरुद , मेघा , सिंगपुर समेत आधा दर्जन से ज्यादा इलाकों का दौरा कर इस अफसर ने एक बार फिर सड़कों की गुणवत्ता को लेकर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर की मंशा पर सवालियां निशान खड़ा कर दिया है | दरअसल जब विभागीय मंत्री के गृह जिले में ही सड़कों के घटिया निर्माण के मामले बड़े पैमाने पर सामने आये है | ऐसे में प्रदेश की हालत क्या होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है |
छत्तीसगढ़ में बीते पांच सालों में ग्रामीण इलाकों की उन सड़कों की खस्ता हालत है जिसका निर्माण पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के तहत हुआ था | बताया जा रहा है कि इन सड़कों की गुणवत्ता को परखने के लिए समय समय पर दिल्ली से आये केंद्रीय दल को भी कुछ प्रभावशील ठेकेदारों ने प्रभावित किया था | इसके चलते गुणवत्ता विहीन सड़कों के मामले को रफा-दफा कर दिया गया था | लेकिन अब नए सिरे से राज्य भर की तमाम सड़कों की असलियत केंद्रीय ग्रामीण और विकास विभाग को सौंपी जाएगी | मंत्रालय से यह भी निवेदन किया जायेगा कि ऐसी सड़कों के पुनः निरीक्षण के लिए निष्पक्ष केंद्रीय दल छत्तीसगढ़ भेजा जाए , और केन्दीय मद में हुए भ्रष्ट्राचार में दोषी पाए गए अफसरों से वसूली की कार्रवाई भी की जाए |
फ़िलहाल ग्रामीण इलाकों में रहने वाली एक बड़ी आबादी को उम्मीद जगी है कि नयी सरकर के सत्ता में आने के बाद उन्हें सुगम और सहज यातायात और आवागमन मुहैया होगा | यही नहीं उनके अधिकारों पर डाका डालने वाले अफसरों और जिम्मेदार मंत्रियों से सरकारी धन की लूट खसोट को लेकर वसूली भी होगी |