जल्द गिरफ्तार होंगे मुकेश गुप्ता , लेकिन अदालत को सूचना देने के बाद | काउंटडाउन शुरू |

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रायपुर / रायपुर में EOW मुख्यालय में भारी गहमा गहमी के दौरान यह तय हो गया है कि जल्द ही डकैत डीजीपी मुकेश गुप्ता हवालात की सैर करेगा | उसके खिलाफ फोन टेपिंग मामले में कई अहम सबूत पुलिस को मिले है | इस बाबद आरोपी का बयान भी दर्ज किया गया है | आरोपी ने अपने अपराध से बच निकलने के लिए EOW और मिडिया को गुमराह करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी | लेकिन जांच में सबकुछ साफ़ हो गया है | बताया जाता है कि अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिए मुकेश गुप्ता ने पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और पूर्व ACS का नाम लिए था | लेकिन जांच में पाया गया कि पूर्ववर्ती अधिकरियों ने कुछ मात्र संदेहियँ के लिए निर्देश दिए थे , ना कि मनचाहे व्यक्तियों के लिए | मुकेश गुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारीयों के निर्देश की आड़ में कई लोगों के अवैधानिक रूप से फोन और मोबाइल नंबर टेप किये थे | इसका मकसद उन लोगों से  मोटी रकम ऐठना था | यह भी जानकारी लगी है कि अवैध रूप से फोन टेपिंग कर आरोपी मुकेश गुप्ता और उसका गिरोह लोगों से मोटी रकम वसूलता रहा | इस रकम से मुकेश गुप्ता ने रेखा नायर समेत कई लोगों के नाम से अरबो की बेनामी संपत्ति खरीदी थी | EOW  अब आरोपी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए प्रक्रिया शुरू करने वाला है | इसके लिए बिलासपुर हाईकोर्ट को बकायदा सूचना दी जाएगी | इस सूचना में आरोपी मुकेश गुप्ता के बयानों के साथ साथ उसके खिलाफ मिले तमाम ठोस सबूतों को पेश किया जायेगा | यह भी बताया जा रहा है कि आरोपी मुकेश गुप्ता धूर्त और बदमाश किस्म का निलंबित पुलिस अधिकारी है , वो गिरफ्तारी से बचने के लिए देश से बाहर भी भाग सकता है | इसलिए EOW उसके पासपोर्ट को जब्त करने के लिए   भी अदालत से अनुमति मांगेगा | फ़िलहाल फोन टेपिंग मामले की विवचना जारी है | आगे की पूछताछ के लिए आरोपी मुकेश गुप्ता को EOW दुबारा तलब कर सकता है |   

किसी आरोपी की सहायता के लिये EOW  ने मुकेश गुप्‍ता के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया  , बल्कि उसके अपराधों को ही संज्ञान में रखकर कार्रवाई की जा रही है | आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने अपरधों पर पर्दा डालने के लिए अदालत से लेकर मिडिया की आंखों में धूल झोकना शुरू कर दिया है | ई.ओ.डब्‍ल्‍यू. कार्यालय के बाहर मीडिया को दिये गए वक्तव्य में मुकेश गुप्‍ता ने बहुत सी झूठी बातें कहकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया |  उसने कहा था कि  अवैध अंत:रोधन का अपराध उनके विरुध्‍द अन्‍य प्रकरण में आरोपियो को बचाने के लिये दर्ज किया गया है | आरोपी की यह दलील पूरी तरह से निराधार और शरारतपूर्ण है |  विधि का स्‍पष्‍ट प्रावधान है कि अभियोजन व्दारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य यदि अवैधानिक रूप से भी एकत्रित किए गए हों तो भी इसका लाभ आरोपियों को नहीं मिलेगा | परन्‍तु इसका अर्थ यह नहीं है कि शरारती पुलिस अधिकारी बेधड़क आम नागरिकों के निजता के अधिकार का हनन करते रहें | कोई भी व्‍यक्ति चाहे जितना भी बड़ा क्‍यों न हो देश के कानून से बड़ा नहीं है | बड़े से बड़े पुलिस अधिकारी भी देश के कानून से बंधे हैं | पुलिस अधिकारियो को आपराधिक कृत्‍य करने का लाइसेंस नहीं है | उनपर तो कानून की रक्षा का भार है इसलिये कानून के पालन की और भी बड़ी जिम्‍मेदारी उनकी है | लेकिन मुकेश गुप्ता जैसा बदमाश अफसर कायदे कानूनों को अपने जेब में रखकर लोगों की जेब और तिजोरी ढीली कारने में जुट गया था | 

देश के संविधान में निजता का अधिकार सर्वोपरि है –

संविधान में निजता के अधिकरी की स्पष्ट  व्याख्या है | इसी निजता के अधिकार के तहत बिना वैधानिक प्राधिकारी के आदेश के किसी के टेलीफोन की बात सुनना अपराध है. राज्‍य स्‍तर पर केवल प्रमुख सचिव गृह विभाग को ही टेलीफोन अंत:रोधन का आदेश देने का अधिकार है. यह इसलिये है कि कोई अन्‍य इस प्रावधान का दुरुपयोग करके किसी नागरिक की निजता भंग न करे | 

आरोपी मुकेश गुप्‍ता ने अंत:रोधन के आपात् प्रावधानों का घोर दुरुपयोग करके गंभीर अपराध किया : –

कभी कभी देश की सुरक्षा के लिये आतंकवाद जैसे अपराधों पर रोक लगाने के लिये किसी फोन के तत्‍काल अंत:रोधन की आवश्‍यकता हो सकती है | यह संभव है कि पुलिस के पास प्रमुख सचिव गृह से आदेश लेने के लिये पर्याप्‍त समय न हो और उनके आदेश का इंतज़ार करने में देर हो जाये |  इसके लिये नियमों में आपात् पा्रवधान किये गये है. इन प्रावधानों में आई.जी. स्‍तर के पुलिस अधिकारी को केवल 7 दिनों के लिये टेलीफोन अंत:रोधन का आदेश देने का अधिकार है |  वह भी केवल सर्वाजनक आपात् प्रकृति के किसी अपराध के घटित होने से रोकने के लिये |  मुकेश गुप्‍ता ने इस प्रवधान का घोर दुरुपयोग करके बड़ी संख्‍या में टेलीफोन नंबरों का अंत:रोधन कराया| उनके किसी भी आदेश में इन आपराधिक प्रावधानों के उपयोग का कोई कारण नहीं बताया गया है | मुकेश गुप्‍ता ने आज तक किसी को नहीं बताया कि इस प्रकार बड़ी संख्‍या में टेलीफोन अंत:रोधन करके उन्‍होने कौन से सार्वजनिक आपत्ति की प्रकृति के अपराध रोके | मीडिया को दिये वक्तव्य में उन्‍होने बहुत आसनी से कह दिया कि टेलीफोन अंत:रोधन एक आम बात है और टेलीफोन अंत:रोधन वे करते ही रहते थे | इसी से पता लग जाता है कि उनके मन में कानून का कितना आदर है | 

मुकेश गुप्‍ता ने न केवल बिना प्रमुख सचिव गृह से अनुमोदन प्राप्‍त किये अपने स्‍तर से अंत:रोधन आदेश बड़ी संख्‍या में जारी किए बल्कि बिना प्रमुख सचिव गृ‍ह से अनुमोदन प्राप्त किये हुए 7 दिनों के बाद भी लंबे समय तक ऐसे अंत:रोधन चालू रखे |  इसका उदाहरण है कि फोन नंबर 98261-71941 और 88179-03999, का अंत:रोधन आदेश उन्‍होने दिनांक 09.12.2014 को जारी किया था | दिनांक 16.12.2014 को 7 दिन पूरे हो जाने के कारण यह अंत:रोधन समाप्‍त हो जाना था, परन्‍तु इन फोन नंबरों का अंत:रोधन लगातार दिनांक 14.01.2015 तक जारी रहा जबकि प्रमुख सचिव गृह को इन नंबरों का अंत:रोधन करने का प्रस्‍ताव ही दिनांक 16.01.2015 को भेजा गया और प्रमुख सचिव गृह का अनुमोदन दिनांक 22.01.2015 को दिया गया जो दिनांक 22.01.2015 के बाद की अवधि के लिये ही वैध था.

आरोपी मुकेश गुप्ता ने दस्‍तावेज़ो की कूट रचना भी की :- 

इस आरोपी ने राज्य के नागरिकों की निजता पर जबरदस्त डाका डाला था | वो भी अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए | अब यह आरोपी अपने बुने जाल में खुद फंस गया है | इससे निकलने के लिए वो क़ानूनी दावपेचों का सहारा तो ले ही रहा है , साथ ही साथ जजों को खरीदने का दावा भी कर रहा है | पूछताछ के दौरान इस आरोपी ने बिलासपुर हाईकोर्ट के कुछ जजों का नाम लेकर अधिकारीयों पर धौंस जमाने की कोशिश की थी | लेकिन यह कोशिश बेकार साबित हुई | अधिकारीयों ने यह कहकर उसका मुंह बंद करा दिया कि अदालत किसी के प्रभाव में नहीं आती | यद्यपि मुकेश गुप्‍ता ने बिना वैध आदेश के अंत:रोधन कर लिया था, परन्‍तु तब कुछ प्रकरणों में चालान करने की परिस्थिति बनी तब शायद उन्‍हें विधिक राय मिली होगी कि अवैध अंत:रोधन करने के कारण वे स्‍वयं फंस जायेंगे | मुकेश गुप्‍ता पर आरोप है कि अवैध अंत:रोधनों को वैध करने के लिये उन्‍होने कई दस्‍तावेज़ों को कूटरचना करने पिछली तारीखों में बनाया और इसके लिये अपने अधीनस्‍थ अधिकारियों को डराया धमकाया भी | इतना ही नहीं उनपर यह आरोप भी लग रहे हैं कि वे कई लोगो को डराने के लिये उनके विरुध्‍द प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर लेते थे और बाद में काम निकल जाने पर उन्‍हें फाड़ देते थे | उनपर अनेक लोगों को झूठा फंसाने और डराने घमकाने के अरोप हैं.

गंभीर विवेचना की अवश्‍यकता :-

मुकेश गुप्‍ता पर लगे अरोप अत्‍यंत गंभीर प्रकृति के हैं | यदि उनपर लगे आरोप सिध्‍द होते हैं तो यह गंभीर अपराध तो होगा ही, साथ ही प्रजातंत्र और मानव अधिकारों पर गंभीर खतरा भी होगा |  वर्तमान सरकार प्रजातंत्र और मानव अधिकारों की रक्षा के लिये कृतसंकल्पित है. यदि कोई अधिकारी बेलगाम होकर कानून को अपने हाथ में लेता है और आम नागरिकों को डराता धमकाता और झूठा आपराधिक प्रकरणों में फंसाता है तो उसे इसकी सज़ा मिलनी ही चाहिए |