
रघुनंदन पंडा \ आमतौर पर घोड़ो पर चाबुक चलाने की बाते आपने सुनी होंगी , किसी इंसान पर चाबुक चलाना गाहे बगाहे ही सुनने को मिलता है | छत्तीसगढ़ में सालो पुरानी एक अनूठी परंपरा दीपावली के दूसरे दिन निभाई जाती है | राज्य में इसे गौरा-गौरी पूजा के रूप में मनाते है | खासतौर पर उन ग्रामीण इलाको में इसकी झलक देखने को मिलती है, जहाँ आज भी खेती किसानी की परंपरा समृद्ध हो | आप जानकार हैरत में पड़ जाएंगे की गौरा-गौरी परंपरा अनुसार किसी आम को इंसान को नहीं बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर चाबुक चलाया गया | दरअसल चाबुक चलाना इस परंपरा का हिस्सा है |

इस दिन परंपरागत ढंग से गायो की पूजा की जाती है | खेती किसानी से जुड़े किसानो का परिवार गायों को एक स्थान विशेष में ले जाता है इस स्थान को गाय के गोबर से लिप कर शुद्ध किया जाता है | फिर इस स्थान पर पूजापाठ और अनुष्ठान की परंपरा निभाई जाती है | परंपरानुसार पैरा को पानी में भिगोकर उसका चाबुक बनाया जाता है औऱ फिर उसी चाबुक की पूजा पाठ करने वाले पुजारी या बैगा से आशीर्वाद स्वरुप चलवाया जाता है |