जंगलो से लेकर इंसानी बस्ती तक पीने के पानी को लेकर मचा हाहाकार , मानसून की बाट जोहने लगी एक बड़ी आबादी |

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राज्य भर में जल संकट गहराया हुआ है | राज्य का ऐसा कोई भी इलाका नहीं है , जहाँ पानी को लेकर लोग त्राहिमाम त्राहिमाम ना कर रहे हो | ग्रामीण इलाका हो या शहरी या फिर जंगल ही क्यों ना हो , पानी को लेकर वहा भी जंगली जानवरो की  जान पर बन आयी है | वो जंगलो में रहने के बजाए अपनी प्यास बुझाने के लिए इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे है | इसके चलते कई बार वो हादसे का शिकार भी हो रहे है | तो दूसरी ओर वन्य जीवो के हमले से ग्रामीणों की सांसे भी फूली हुई है |  
मासमुंद ,धमतरी , रायगढ़ , कोरबा , जशपुर , सूरजपुर और अंबिकापुर के कई इलाको में जंगलो के करीब बसी बस्तियों में हाथियों ने लोगो का सुख चैन छीन लिया है | अपनी भूख प्यास मिटाने के लिए हाथी इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे है | इस बार हाथियों के हमले चौबीसो घंटे हो रहे है | आमतौर पर गांव कस्बो में देर रात या सुबह सबेरे हाथियों के झुण्ड दस्तक देते थे | लेकिन अब समय का कोई तौर ठिकाना नहीं है | वक्त बेवक्त वो गांव में आ धमकते है और अपनी भूख प्यास मिटा रहे है |    

आमतौर पर राज्य में मई जून के महीने में पानी के लिए लोगो को दो चार होना पड़ता है | लेकिन इस बार मार्च महीने में ही जंगलो के पानी के ज्यादातर श्रोत सूख गए | घने जंगलो के नदी नाले को या फिर तालाब | उनमे पानी का स्तर रोजाना कम होते चला गया | जंगलो के कई इलाको में पानी के अलावा वनस्पतियां और जंगली फल फूलो के पौधे भी सूख गए | ऐसे में वन्य जीवो के सामने अपना पेट भरने के लिए दाना पानी की समस्या खड़ी हो गयी | नतीजतन वो इंसानी बस्तियों का रुख करने लगे | उधर सरकार का दावा है कि वो जंगलो में पानी के टैंकर भेज रही है | 

पानी को लेकर जहाँ जंगलो में धमाचौकड़ी मची है , वही शहरी और ग्रामीण इलाको में भी गहमा गहमी मची है | सुबह से लेकर रात तक लोगो का ज्यादातर वक्त पानी का बंदोबस्त करने में बीत जाता है | रायपुर के अलावा धमतरी , महासमुंद , बालोद , बिलासपुर , दुर्ग ,बेमेतरा और मुंगेली में अप्रेल माह के दस्तक देते ही पानी को लेकर मारा मारी शुरू हो गयी है | सरकारी योजनाओ और नगर निगम और नगर पालिकाओं से मुहैया होने वाले पानी की मात्रा में रोजाना होने वाली कटौती से लोगो का बुरा हाल है | कई इलाको में रोजाना 15 से 20 मिनट तक पानी मुहैया होता है |  तो कई ऐसे भी इलाके है जहा एक दिन के अंतराल में पानी मुहैया होता है | वो भी टैंकरों के जरिये | ऐसे में पानी का टैंकर देखते ही लोग उस पर टूट पड़ते है |   

छत्तीसगढ़ में पानी की समस्या दिनों दिन विकराल रूप धारण करती जा रही है | शहरी इलाके हो या फिर ग्रामीण दोनों ही जगह ग्राउंड वॉटर लेवल आठ सौ फीट से नीचे जा चूका है | इसके चलते कई बस्तियों में नलकूप सूख चुके है | ऐसे में एक बड़ी आबादी सरकारी वॉटर सप्लाई सिस्टम पर निर्भर है | अप्रेल माह में ही लोगो को  पानी ने ऐसा झटका दिया है कि वो अभी से मानसून का इंतजार करने लगे है | अब उनके बीच यह धारणा बन गयी है कि जल्द  मॉनसून नहीं आया तो पानी को लेकर हालात बेकाबू हो जाएंगे |