Sunday, September 22, 2024
HomeChhatttisgarhछत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की सबसे बड़ी और महँगी योजना " तालपुरी इंटरनैशनल...

छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की सबसे बड़ी और महँगी योजना ” तालपुरी इंटरनैशनल प्रोजेक्ट ” के 900 करोड़ में से 500 करोड़ ” राजनैतिक दल ” और ” राज नेताओ ” के साथ साथ ” भ्रष्ट अफसरों ” की तिजोरी में |

छत्तीसगढ़ में तत्कालीन बीजेपी सरकार का एक बड़ा गोलमाल सामने आया है | 900 करोड़ के ” तालपुरी प्रोजेक्ट ” में भारी भरकम कमीशनबाजी और भ्रष्टाचार कर इस योजना को मात्र 400 करोड़ में ही सिमटा दिया गया | भ्रष्टाचार की यह रकम रायपुर , दिल्ली , इंदौर , मुम्बई , जबलपुर , रीवा और भोपाल  में खपाई गयी | हाऊसिंग बोर्ड के तीन अफसर मुख्य रूप से इस घोटाले की रकम की अफरा तफरी में शामिल रहे | अब पोल खुल जाने के भय से भ्रष्ट अफसरों का गिरोह सबूत नष्ट करने में जुटा है | इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों को षडयंत्र पूर्वक नष्ट करने के लिए हाऊसिंग बोर्ड मुख्यालय के कम्प्यूटर कक्ष में शार्ट सर्किट के जरिये आग लगाने की योजना भी तैयार की गयी है |  दफ्तर से फाइलें गायब करते वक्त कुछ अफसरों की निजी सेवा में तैनात कर्मी ” तीसरी आँख ” में कैद हो गए |      

         छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में भ्रष्ट अफसरों ने अपने खिलाफ मौजूद सभी साक्ष्य मिटाने के लिए जोर शोर से मुहीम छेड़ दी है | खासतौर पर दुर्ग जिले के भिलाई में स्थित ” तालपुरी इंटरनैशनल हाऊसिंग प्रोजेक्ट ” के दस्तावेज और महतवपूण फाइलों को गायब किये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है | पांच साल से बंद दफ्तर के एक कमरे को  रातो रात अचानक खोला गया और वहां रखी सभी फाइलों और दस्तावेजों को अफसरों की निजी सेवा में तैनात मुलाजिमों ने ले जाना शुरू कर दिया | इस घटना के फुटेज  दफ्तर में मौजूद किसी शक्श ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया | घटना भिलाई की है |  बताया जाता है कि दुर्ग जिले में  स्थित पद्मनापुर के  हाऊसिंग बोर्ड के दफ्तर में मुख्य सम्पदा अधिकारी सी.एस. बाजवा की निजी सेवा में तैनात मुलाजिम अचानक चाबी लेकर पंहुचा और उस बंद कमरे का ताला खोल कर उसमे दाखिल हो गया | इस कमरे में  ” तालपुरी प्रोजेक्ट ” की सभी महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज रखे हुए थे | दफ्तर में मौजूद कर्मचारियों को ” मनोहर ” नामक इस शख्श के आमद देने और फाइलों को अपने कब्जे में लेने की सूचना  सी.एस. बाजवा पहले ही दे चुके थे | लिहाजा दफ्तर में मौजूद कर्मचारियों ने इसका विरोध नहीं किया, अपितु कमरे में ” मनोहर ”  के फ़ाइल और दस्तावेज इकठ्ठा करते वक्त ये वीडियों फुटेज अपने कैमरे में कैद कर लिए | करीब एक घंटे तक इस व्यक्ति ने तमाम फाइलों को गट्ठा बना कर अपने कब्जे में कर लिया |  ” मनोहर ” नामक शख्श जब तक सारी फाइलें और दस्तावेज इस दफ्तर से लेकर  सी.एस. बाजवा के निजी घर में नहीं पहुंच गया तब तक बाजवा उसकी जानकारी कर्मचारियों से लेता रहा | 


                        बताया जाता है कि  ” तालपुरी इंटरनैशनल ” हाऊसिंग प्रोजेक्ट की गोलमाल वाली कई फाइलें और वैधानिक दस्तावेज अभी भी हाऊसिंग बोर्ड मुख्यालय के कम्प्यूटर में मौजूद है, जिसे अब नष्ट करने का षडयंत्र रचा जा रहा है | 900 करोड़ रूपये की यह योजना बीजेपी शासन काल में वर्ष 2008 में लॉन्च हुई थी | पांच वर्ष के भीतर इस योजना को पूरा किया जाना था , लेकिन आज भी यह योजना आधी अधूरी है |  इसका मुख्य कारण पूरवर्ती अधिकारियों और राजनेताओ की भ्रष्टाचार वाली कार्यशैली जिम्मेदार  है | लगता है,  इस योजना को तत्कालीन बीजेपी सरकार ने सिर्फ भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के लिए ही लॉन्च किया था | इस प्रोजेक्ट के टेंडर जारी होने के पहले ना तो उसकी  प्रशासकीय स्वीकृति ली गयी और ना ही टेक्निकल और लेआउट अनुमति | भ्रष्टाचार करने के लिए हाऊसिंग बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों ने बिना NIT स्वीकृति के इस प्रोजेक्ट का टेंडर जारी किया था | हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अफसरों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर अनुबंध में ” क्लास 3 सी ” के प्रावधान पूरी तरह से हटा लिए थे  | जबकि  इसके पूर्व के  सारे प्रोजेक्ट में ” क्लास 3 सी ” के प्रावधान अनिवार्य थे |


              इस प्रोजेक्ट में  गोलमाल यही तक सीमित  नहीं था बल्कि ठेकेदार को सिक्युरिटी एडवांस और मोबलाइजेशन एडवांस भी बगैर किसी वैधानिक प्रक्रिया को पूर्ण किये  जारी किया  गया |  आमतौर पर इस तरह की प्रक्रिया को अपनाने से पहले प्रोजेक्ट का  ” फिजिकल वेरिफिकेशन ”  के साथ साथ ” मटेरिटयल वेरिफिकेशन ”  की प्रक्रिया पूर्ण कराई जाती है | लेकिन अफसरों ने इस  प्रक्रिया का पालन नहीं किया | यही नहीं किसी भी प्रोजेक्ट के लिए मटेरियल एवं स्टॉक ” अकाउंट की एंट्री ”  किया जाना आवश्यक है | लेकिन ” तालपुरी इंटरनैशनल प्रोजेक्ट ” में सुनियोजित भ्रष्टाचार को अंजाम देने  के लिए जिम्मेदार अफसरों ने ” एसक्लेशन क्लॉस ”  का हर स्तर पर उल्लंघन किया था  |


            भ्रष्टाचार की मोटी रकम ठेकेदारो  के जरिये ही अफसरों और राजनेताओ तक पहुँचती थी, इसलिए ” टाइम एक्सटेंशन ”  बढ़ाने के बहाने ठेकेदार को अधिक भुगतान कर सीधा फायदा पहुंचाया गया | हाऊसिंग बोर्ड के इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार को लेकर हुई एक शिकायत को अफसरों ने फिर भ्रष्टाचार के जरिये ही दफना दिया था | इसके लिए उन्होंने कई शिकायतकर्ताओं से आपसी समझौता भी किया |  बताया जाता है कि मार्च 2013 में इस प्रोजेक्ट में  भ्रष्टाचार की एक शिकायत की जांच के लिए हाऊसिंग बोर्ड ने जांच समिती  का गठन किया  था | लेकिन अपनी पोल खुल जाने के भय से तत्कालीन अफसरों ने इस जांच समिति के प्रतिवेदन को ही ना केवल दबा दिया बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ भी की गयी | यह प्रतिवेदन अब अफसरों के निजी कब्जे में चला गया है | 


                    एक पुख्ता जानकारी के मुताबिक इस हाऊसिंग प्रोजेक्ट की 900 करोड़ की कुल  लागत में से मात्र 400 करोड़ ही खर्च हो पाए थे | शेष 500 करोड़ की रकम की अफरा तफरी के लिए बोगस बिलो और बोगस स्टॉक का सहारा लिया गया था | भ्रष्टाचार से अर्जित इस रकम में से एक राजनैतिक दल के कोष में 120 करोड़ नगद , राजनैतिक प्रष्टभूमि के महत्वपूर्ण और प्रभावशील दो व्यक्तियों की तिजोरी में 150 करोड़ , एक अन्य प्रभावशील व्यक्ति के करीबी शख्श  के घर में 20 करोड़ नगद पहुचाये गए | शेष रकम की बन्दरबांट हाऊसिंग बोर्ड के कर्ताधर्ताओं और ठेकेदारों के बीच हुई थी | भ्रष्टाचार के इस मामले में हाऊसिंग बोर्ड के मौजूदा एडिशनल कमिश्नर एच.के. वर्मा , अपर कमिश्नर हर्ष कुमार जोशी और मुख्य सम्पदा अधिकारी सी.एस. बाजवा की कार्यप्रणाली पूरी तरह से संदिग्ध बताई जा रही है | बताया जाता है कि हाऊसिंग बोर्ड के किसी भी काले कारनामे की जांच को लेकर ये तीनो ही अधिकारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खुद जांच कमेटी में शामिल हो जाते है | इसके चलते ना केवल जांच प्रभावित होती है , बल्कि मामला ही रफा दफा हो जाता है | 


            यह भी  बताया जा रहा है कि कांग्रेस शासन काल में हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट और काले कारनामो की पोल खुलना लाजमी है  | इस अंदेशे के चलते दुर्ग के पद्मनापुर इलाके में स्थित हाऊसिंग बोर्ड के दफ्तर से फाइलों को गायब किया गया है | संभावित जांच से बचने के लिए अब संदिग्ध अफसर उनके खिलाफ मौजूद कम्प्यूटर में दर्ज साक्ष्यों को नष्ट करने की तैयारी में है | इसके लिए हाऊसिंग बोर्ड के मुख्यालय के ” कम्प्यूटर कक्ष ” में शार्ट सर्किट के जरिये आग लगाने की तैयारी की जानकारी सूत्रों ने दी है | सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों पूर्व दो इलेक्ट्रिशियनो को संदिग्ध अफसरों ने अपने साथ ले जाकर  उस कक्ष का मुआयना कराया है, जहाँ कम्प्यूटर का डेटा बेस मौजूद है |  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर से हाऊसिंग बोर्ड के कई ग्राहकों ने अपील की है कि वो ” तालपुरी इंटरनैशनल प्रोजेक्ट ” के घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की जांच कराये | इससे ना केवल हाऊसिंग बोर्ड के ग्राहकों को गुणवत्ता वाला घर उपलब्ध होगा साथ ही साथ सरकारी तिजोरी में होने वाली डकैती में रोक लग सकेगी |            

bureau
bureau
BUREAU REPORT
RELATED ARTICLES

Most Popular

spot_img