छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मानव तस्करी मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाई है । हाईकोर्ट ने प्रदेश से गुम हुए बच्चों की तलाश के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण के सुझाव को अमल में नहीं लाने व गोलमोल जवाब देने पर शासन को फटकार लगाते हुए छह सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है । गौरतलब है कि राज्य से गायब हुए नाबालिगों के मामले में पुलिस द्वारा तलाशी में बरती जा रही लापरवाही को लेकर प्रकाशित खबर को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था । मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश से नाबालिग बच्चों के गायब होने व मानव तस्करी की आशंका को देखते हुए कोर्ट ने इस पर रोक लगाने विधिक सेवा प्राधिकरण से सुझाव मांगा था । इसमें विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी व समाज सेवी संगठन के पदाधिकारियों की बैठक लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की । हाई कोर्ट ने सितंबर 2017 को राज्य शासन को विधिक सेवा प्राधिकरण के सुझाव को लागू कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे ।
चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस गौतम भादुड़ी की डिविजन बेंच ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि वो मजदूरों को बंधक बनाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई और कौन से कानून बनाए हैं । ये सवाल बिलासपुर, मस्तूरी के 64 मजदूरों को तेलांगना में बंधक बनाए जाने के संदर्भ में किया गया है । हालांकि सारे मजदूरों को छुड़ा लिया गया है । बिलासपुर के मस्तूरी ब्लॉक के मजदूर काम की तलाश में तेलंगाना राज्य गए हुए थे । वहां मजदूरों को बंधक बनाकर काम लिया जा रहा था, एक मजदूर किसी तरह से वहां से भागकर आया और गांव वालों को पूरी घटना की जानकारी दी । कलेक्टर से इस मामले में शिकायत की गई और हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की गई ।
हाईकोर्ट में कहा गया कि राज्य सरकार मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए कोई काम नहीं कर रही है । शासन की ओर से जवाब दिया गया कि तेलंगाना में बंधक बनाए गए सभी 64 लोगों को वापस ले आया गया है । कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को मुक्त कराना अच्छी बात है, लेकिन जिन लोगों ने उन्हें बंधक बनाया था उन पर राज्य शासन क्या कार्रवाई कर रही है । कोर्ट ने पूछा है कि मजदूरों के पुनर्वास के लिए सरकार क्या कर रही है । इस संबंध में सरकार से छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा गया है ।इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग को इसमें शामिल किया गया है । कोर्ट ने शासन के गोलमोल जवाब पर फटकार लगाते हुए कहा कि यह कोई जवाब नहीं है कि आपने कमेटी बनाकर महिला एवं बाल विकास विभाग को अभियान में शामिल किया है।