छत्तीसगढ़ में मेडिकल एथिक्स के परखच्चे उड़ा दिए डाक्टरों ने | नाते रिश्तेदारों के नाम से दवाओं का उत्पादन और मेडिकल शॉप का गोरखधंधा |

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 छत्तीसगढ़ में ऐलोपैथी   डाक्टर अपनी दुकानदारी चलाने के लिए क्या नहीं कर रहे है | आप जानकार हैरत में पड़ जाएंगे कि राज्य में कई डॉक्टरों ने अपने इस पवित्र कार्य को गोरखधंधे में तब्दील कर दिया है | इसमें कई नामी गिरामी पेशेवर डाक्टर तक शामिल है | इनकी करतुते जब आप को पता पड़ेंगी तो ” डाक्टर ” जैसे पवित्र पेशे पर से आपका विश्वास उठ जाएगा |  रायपुर , बिलासपुर , रायगढ़ , महासमुंद , धमतरी , दुर्ग , राजनांदगांव , कवर्धा , भिलाई , बालोद , कोरबा , मुंगेली , जगदलपुर और कोरिया जैसे जिलों के कई डाक्टर इन दिनों गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए अपने परिवार सहित देश विदेश के ठन्डे प्रदेशो के दौरे पर है | इसके अलावा कई ऐसे डाक्टर है जिनके देश विदेश भ्रमण की तीथि करीब आ गयी है | आपको जानकर हैरत होगी कि देश विदेश की इन यात्राओं का पूरा खर्च दवा कम्पनियाँ उठा रही है | डाक्टरों ने इस यात्रा के लिए फूटी कौड़ी तक खर्च नहीं की है | आने जाने की हवाई टिकटे , होटल , टैक्सी , खाना पीना और सैर सपाटे का पूरा बंदोबस्त दवा कंपनियों के सालाना पैकेज पर है | डाक्टरों को सिर्फ उन कंपनियों की दवाओं को मरीजों पर लादना भर है | चाहे इसकी जरुरत मरीज को हो या ना हो  | इसके एवज में दवा कम्पनियाँ डाक्टरों की मौज मस्ती का पूरा प्रबंध कर रही है | कई डाक्टरों ने तो बाकायदा अपनी डिस्पेंसरी , क्लिनिक, दवाखानो और अस्पतालों के इर्दगिर्द और उसके परिसरों में खुद भागीदार बना कर  दवाई दुकाने तक खोल ली है | 
                छत्तीसगढ़ के मेडिकल पेशे से यह तथ्य भी सामने आया है कि कई डाक्टरों ने अपने परिजनो और नाते रिश्तेदारों के नाम से दवा उत्पादन का काम खुद शुरू कर दिया है | उन्होंने दवाओं के उत्पादन का विधिवत लोन लाइसेंस लिया हुआ है , ताकि उन पर किसी भी तरह से उँगलियाँ ना उठ पाए | चूँकि लोन लाइसेंस परिचितों और नाते रिश्तेदारों के नाम पर है इसलिए उनकी कंपनियों के जरिये दवाओं का उत्पादन हो रहा है | लेकिन डाक्टर साहब खुद ब खुद  उन कंपनियों के मालिक बन बैठे है और मरीजों को वही दवाइयां बेधड़क प्रेस्क्राइब कर रहे है | कई नामी गिरामी अस्पतालों में ख़ास ब्रांड की दवाइयों की खुले आम बिक्री हो रही है | जबकि उन दवाओं की गुणवक्ता परखने को लेकर अभी तक सरकारी एजेंसियों ने भी कोई रूचि नहीं दिखाई है | कई ऐसी दवाइयां है जो गुणवक्ता के साथ साथ बेहद सस्ती है लेकिन अपने निहित स्वार्थो के चलते डाक्टरों का गिरोह उन दवाओं के बजाए महँगी दवाइयां मरीजों को प्रेस्क्राइब कर रहा है | 
           बताया जाता है कि अकेले छत्तीसगढ़ में  बेवजह दवाइयाँ लिख कर कतिपय डाक्टर मरीजों से रोजाना  लाखो रूपये कमा रहे है | इसमें शहरों से लेकर ग्रामीण अंचलो तक के डाक्टर और उनके व्यापारिक प्रतिष्ठान शामिल है | मरीजों को कई तरह की जांच भी बेवजह प्रेस्क्राइब की जा रही है | डाक्टरों का यह गिरोह मरीजों को इतना डरा धमका देता है कि जान माल के नुकसान के सन्देह के आधार पर उन्हें जांच कराने को विवश होना पड़ता है | ज्यादातर डाक्टर उन्ही लेबोरेटरी में मरीजों की जांच प्रेषित करते है जहाँ से उन्हें मोटा कमीशन प्राप्त होता है | 
           छत्तीसगढ़ में अवैध कमाई के लिए कई डाक्टरों ने मरीजों को निचोड़ डाला है | बताया जाता है कि मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव भी अपनी दवाओं की बिक्री के लिए उसकी गुणवक्ता पर नहीं बल्कि डाक्टरों के रहमो करम पर निर्भर है | इसके लिए वो डाक्टरों के घरो में साग सब्जी पहुंचाने , शराब का बंदोबस्त , गैस टंकी भरवाने , मोबाईल , टेलीफोन, जल , कोल्डड्रिंक्स  , पान गुटका  और बिजली का बिल भरने जैसे पारिवारिक कार्यों का भार भी उठा रहे है | इस सेवा के  बदले डाक्टर कुछ ख़ास कंपनियों की दवाइयों को ही बढ़ावा दे रहे है |  कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में डाक्टरी पेशा इन दिनों अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है | इसका खामियाजा उन डाक्टरों को भुगतना पड़ रहा है , जो आज भी अपने मरीजों के लिए ” भगवान् ”  का दर्जा रखते है | ऐसे डाक्टर ना तो दवा कंपनियों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोई लाभ ले रहे है और ना ही मरीजों पर अनावश्यक खर्चे लाद रहे है |   राज्य के कई जिलों में ऐसे डाक्टरों की मौजूदगी के चलते ही मेडिकल प्रोफेशन की लाज बची है | अन्यथा मरीज समय से पहले ही स्वर्ग सिधार जाए | 
             डाक्टरी पेशे में आयी भारी गिरावट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए वरिष्ठ चिकित्सक और मेडिकल काउन्सिल ऑफ इण्डिया के मेंबर डॉ कमलेश्वर अग्रवाल की दलील है कि इस बारे में अभी तक ना तो मरीजों की ओर से और ना ही किसी पीड़ित ने किसी डाक्टर की शिकायत की है | उनके मुताबिक शिकायत प्राप्त होने पर ऐसे डाक्टरों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही होगी |  IMA की सचिव डॉ आशा जैन भी डाक्टरी पेशे में आयी गिरावट से हैरत में है | उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसी कोई शिकायते IMA के पास नहीं आयी है | उनके मुताबिक  ज्यादातर डाक्टर अपने पेशे की गरिमा बरक़रार रख मरीजों की सेवा कर रहे है | बहरहाल छत्तीसगढ़ में डाक्टरों के काम काज के तौर तरीको को लेकर सवालियां निशान लगने लगे है | आये दिन  मरीज शिकायत कर रहे है कि डाक्टरों ने उनके पूरे घर का बजट बिगाड़ दिया है | लेकिन उचित फोरम में शिकायत दर्ज नहीं होने के चलते कतिपय डाक्टरों का गोरखधंधा आसमान छू रहा है | जरुरत है ऐसे डाक्टरों के खिलाफ कड़ी क़ानूनी कार्यवाही की |