छत्तीसगढ़ में मानसून की बेरुखी से मायूस हुए किसान , राज्य भर में बोनी प्रभावित , फसलों के ख़राब होने की आशंका बढ़ी |

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  छत्तीगगढ में मानसून के सक्रीय नहीं होने से लोगो की बेचैनी बढ़ गई है | अभी हालात ऐसे बने हुए है जैसे की भीषण गर्मी का दौर चल रहा हो | राज्य के तमाम इलाको में दिन का तापमान 42 और 43 डिग्री के बीच स्थिर है | गर्मी और उमस के चलते लोग परेशान है | आमतौर पर जून के पहले हफ्ते में ही राज्य में बारिश का दौर शुरू हो जाता है | लेकिन इसबार ना तो प्री मानसून वाली बारिश हुई और ना ही मानसून के समय पर आने के आसार दिखाई दे रहे है | 


जानकारी के अनुसार सामन्यतः बोनी के लिए दस सेंटीमीटर बारिश की जरुरत होती है | वरना बीजो का अंकुरण प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है | फिलहाल मानसून के रुख को देखते हुए किसानो को बारिश का इन्तजार करने की जरुरत  है | छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में किसानो को लगातार दो साल तक सूखे का सामना करना पड़ा है | पिछले साल मानसून में हुई देरी से कई इलाको में फसले इसलिए  बरबाद हुई थी कि  पीड़ित किसान पूरी तरह से मानसून के ही पानी पर निर्भर थे | उन्हें ना तो नहरों से पानी मिल पाया और वे खुद भी इतने संपन्न नहीं थे कि उनके खेतो में नलकूप हो | इसबार भी मानसून की लेट लतीफी पहले जैसे हालात ना बना दे | इस आशंका से किसान भयभीत है | 


छत्तीसगढ़ में इसबार 70 हजार हेक्टेयर से  ज्यादा के रकबे में धान की बुआई की तैयारी की गई है | जो की पिछले वर्ष की तुलना में 60 हजार हेक्टेयर ज्यादा है | राज्य भर में किसानो ने बुआई की तैयारी कर ली है | कई इलाको में किसानो ने यूरिया भी सहेज कर रखा है | लेकिन मानसून की दगाबाजी से वो हैरत में है | बस्तर और सरगुजा संभाग के ज़्यदातर हिस्सों में पिछले  48 घंटो में हल्के बादल छाए रहे | कही – कही पर बूंदा बांदी भी हुई | लेकिन बारिश नहीं हुई जिसकी सबसे ज्यादा जरुरत इस वक्त है | 


              मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले तीन चार दिनों में मानसूनी बारिश की संभावना है | उसके मुताबिक झारखंड और ओडिशा से गुजरने वाली द्रोणिका से सपोर्ट सिस्टम बन रहा है | इससे उत्तरीय छत्तीसगढ़ में हल्की बारिश के आसार है | फिलहाल किसान टकटकी लगाए आसमान को निहार रहे है | उन्हें उम्मीद है कि इंद्र देवता उन पर मेहरबान होंगे |