छत्तीसगढ़ में भालुओं की संख्या में अचानक हुई बढ़ोतरी से इंसानो की जान पर बन आई है । राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में रोजाना भालुओं के हमले हो रहे है । ये भालू जंगलो से निकलकर टाउनशिप और शहरों में आ रहे है । भालुओं के हमले से महीने भर के भीतर सात लोग जान गवा चुके है । पीड़ित लोग मांग कर रहे है कि भालुओं की नसबन्दी कराओ । दूसरी ओर सरकार भी मान रही है कि भालुओ की प्रजनन दर बढ़ी है , और उनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है । लेकिन भालुओ की नसबंदी को लेकर सरकार पशोपेश में है | इसके लिए क़ानूनी राय ली जा रही है |
राज्य के आधा दर्जन इलाको में भालुओ का आंतक
लगातार भालुओ के हमले से लोगो का अपने घरो से बाहर निकलना मुहाल हो गया है | लोगो की दिक्क्त यह है कि भालू पर हमला करना कानूनन अपराध है | लिहाजा लोग सीधे तौर पर उस पर हमला करने से बच रहे है | लोगो की मांग है कि भालुओ की नसबंदी की जाए | वरना वो उनकी जान ले लेंगे | हफ्ते भर पूर्व कांकेर में एक भालू ने दो लोगो की जान ले ली थी और दो लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए थे | हालांकि बाद में ग्रामीणों ने भालू को पीट-पीटकर हत्या कर दी थी | सिर्फ कांकेर ही नहीं, छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों के चालीस से ज्यादा ऐसे गांव है जहाँ भालुओ का आतंक है | कभी दिन तो कभी रात, वक्त बेवक्त वो लोगो को अपना शिकार बना रहे है | कांकेर के अलावा रायगढ़ ,कोरबा ,जशपुर , महासमुंद , सूरजपुर और बिलासपुर के मरवाही और पेंड्रा में भालुओ ने लोगो का जीना मुहाल कर दिया है |
दरअसल ये इलाके खेती किसानी के लिए प्रसिद्ध है | लिहाजा कभी फसल खाने तो कभी दाने पानी की तलाश में भालू इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे है | इंसानी बस्तियों में दाखिल होने के बाद कई बार भालू हादसे का भी शिकार हो रहे है | ग्रामीणों पर हमले के दौरान वो कभी कुए में गिर रहे है तो कभी चोरी छिपे होने वाले शिकार में अपनी जान गवा रहे है | इसके लिए वन्य जीव प्रेमी वन विभाग को आड़े हाथो ले रहे है | उनके मुताबिक वनो की कटाई और जंगल का रकबा कम होने से ऐसे हालात बन रहे है |
भालुओ के संरक्षण और जंगल के भीतर ही उन्हें सिमित रखने के लिए कोई योजना सरकार नहीं बना पाई | दरअसल वन विभाग ने एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था | इसमें जंगल के भीतर भालुओ की मनपसंद वनस्पतियों को रोपने और फलदार पेड़ पौधों को लगाए जाने का प्रावधान किया गया था | वन विभाग ने इस परियोजना को जामवंत नाम दिया था | लेकिन इस योजना की सिर्फ कागजी खानापूर्ति होने से भालुओ ने इंसानी बस्तियों का रुख कर लिया है | सरकार भी मानती है कि भालुओ की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है | लेकिन अभी उसके पास उसके नियंत्रण के लिए कोई योजना नहीं है |
छत्तीसगढ़ के भालू प्रभावित सभी आधा दर्जन जिले जंगलो से घिरे हुए है | यहाँ प्राकृतिक रूप से भालुओ की प्रजनन दर ने देश के सभी हिस्सों को पीछे छोड़ दिया है | एक एक जिलों के जंगलो मे 300 से लेकर 500 भालू है | वन विभाग भी मानता है कि ये इलाके भालुओ की प्राकृतिक शरण स्थलीय है | लेकिन उसके पास भालुओ की संख्या के स्पष्ट आकड़े नहीं है | फिलहाल ये भालू ग्रामीणों पर भारी पड़ रहे है | इन इलाको में भालुओ के हमले से जान गवाने वाले और जख्मी होने वाले लोगो की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है |