” अडानी समूह ” ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और उनके संगठनों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओ से अपील की है कि वे किसी भी दुष्प्रचार का हिस्सा ना बने और हकीकत से वाकिफ हो |
छत्तीसगढ़ में बस्तर स्थित बैलाडीला खदान को लेकर “अडानी समूह ” पर बेवजह हमला करके कुछ लोग अपनी रोटी सेकने में लगे हुए है | बैलाडीला प्रोजेक्ट की स्वीकृति और आबंटन प्रक्रिया को लेकर ” अडानी समूह ” का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है | बावजूद इसके स्थानीय ग्रामीणों को गलत जानकारी देकर कुछ लोग भ्रम की स्थति पैदा कर रहे है | यह दलील है अडानी समूह की |
प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर स्थित NMDC के ” लाल पानी ” के खिलाफ आदिवासियों ने मोर्चा खोला था | उनके आंदोलन के तेज होते ही कई स्वार्थी तत्व इस आंदोलन से जुड़ गए | उन्होंने इस मूल आंदोलन की राह को ” लाल पानी ” के खिलाफ ना करते हुए उसे ” अडानी समूह ” के खिलाफ कर दिया | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों अडानी समूह के खिलाफ आंदोलन एक फैसन बन गया है | जबकि अडानी समूह कानून के दायरे अपनी औद्योगिक गतिविधयों को संचालित कर रहा है | भारत सरकार को या फिर छत्तीसगढ़ शासन ,दोनों के नियमानुसार उनकी औद्योगिक गतिविधियां संचालित हो रही है | यह कुछ असमाजिक तत्वों को रास नहीं आ रहा है | लिहाजा वो आदिवासियों के कंधो पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के हाथ रखकर ” अडानी समूह ” के खिलाफ मोर्चा खोल रहे है | बताया जाता है कि आंदोलन से हटने के लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओ ने ” अपना दाम ” भी “अडानी समूह ” प्रबंधन को बता दिया है | उन्होंने रकम चुकाने के बाद आंदोलन से हटने का भी दावा किया है | ऐसे में जाहिर होता है कि राज्य में
औद्योगिक वातावरण को प्रदूषित करने के लिए भी सामाजिक कार्यकर्ताओ का एक समूह जोर-शोर से जुटा हुआ है |
गौरतलब है कि दंतेवाड़ा में दक्षिण बस्तर में स्थित बैलाडीला लौह अयस्क भंडार भारत सरकार के स्वामित्व में हैं । खनन गतिविधियों की शुरुआत के लिए, केंद्रीय पीएसयू एनएमडीसी लिमिटेड और राज्य पीएसयू, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम लिमिटेड (सीएमडीसी लिमिटेड) ने वर्ष 2008 में एक संयुक्त उपक्रम का गठन किया था । एनएमडीसी ने 2010 से 2014 के बीच ग्राम सभाओं के आयोजन किए, 2015 में पर्यावरण संबंधी मंजूरी और जनवरी 2017 में वन मंजूरी हासिल की । इसके बाद, 2017 में, खनन लीज सरकारी स्वामित्व वाली संयुक्त उपक्रम कंपनी एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड (एनसीएल) को हस्तांतरित कर दी गई। जनवरी 2018 में, कम से कम दस कंपनियों ने बैलाडीला लौह अयस्क भंडार क्रमांक 13 के विकास और परिचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली में हिस्सा लेने के लिए दिलचस्पी दिखाई । बोली लगाने वालों की संक्षिप्त सूची बनाने का काम निविदा के नियमों और शर्तों के अनुसार नियत तकनीकी और वित्त संबंधी योग्यता आवश्यकताओं के आधार पर किया गया था । पारदर्शी रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सफल बोलीदाता के रूप में चुना गया था। दिसंबर 2018 में, एनसीएल ने लौह अयस्क खनन अनुबंध पत्र प्रदान करके एईएल को खनन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में नियुक्त किया । इस तरह, पहले एईएल इस परियोजना के लिए मंजूरी प्राप्त करने में शामिल नहीं था और उसने केवल दिसंबर 2018 के बाद खनन कान्ट्रैक्टर की भूमिका निभाई । इसलिए, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केंद्र और राज्य के स्वामित्व वाला एनसीएल इन खदानों का स्वामी है और एईएल केवल एक अनुभवी और जिम्मेदार खनन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में सहयोग प्रदान करता है । अदाणी समूह ‘ग्रोथ विद गुडनेस’ (अच्छाई के साथ विकास) में प्रबल विश्वास रखता है और यह उसकी गैर-लाभकारी शाखा ‘अदाणी फाउंडेशन’ द्वारा की गई समुदाय उन्मुख पहलों से साफ जाहिर होता है ।