छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ फोटों खिचवाकर सुर्खियां बटोरने वाले कथित नेता सूर्यकान्त तिवारी , दोहरी जमानत पर रिहा है , दस्तावेजी प्रमाणों के साथ खबर |  

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रायपुर में एक विवादित मामले को लेकर हाल ही में न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ की पड़ताल में साफ़ हुआ है कि महासमुंद निवासी सूर्यकान्त तिवारी पिता स्वर्गीय शशिभूषण तिवारी उसी मामले में जमानत पर रिहा है , जिस मामले में उन्होंने दो कारोबारियों क्रमशः नंदकिशोर अग्रवाल और गुरमुख सिंह के खिलाफ रायपुर के पंडरी थाने में चार सौ  बीसी का प्रकरण दर्ज कराया था | दोनों ही पीड़ितों ने मामले की शिकायत डीजीपी डीएम अवस्थी से की है | शिकायत में उन्होंने कहा है कि अभियुक्त के बजाए पीड़ितों पर FIR कर उनके साथ अन्याय किया गया है | पुलिस मुख्यालय ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए है | गौरतलब है कि तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता के निर्देश पर यह गैर-क़ानूनी कार्य किया गया था | बताया जाता है कि महासमुंद जिले में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर कई गांव में किसानों की जमीनें गैर क़ानूनी ढंग से खरीदकर करोड़ों की बेनामी संपत्ति खपाई गई है | इस कंपनी से सहानभूति रखने के चलते मुकेश गुप्ता ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि बीजेपी शासनकाल में बड़े पैमाने पर इक्क्ठा की गई ब्लैक मनी महासमुंद में निवेश की गई है |  

दरअसल दोनों ही पीड़ितों ने सूर्यकांत तिवारी और उनकी कंपनी गंगा कंस्ट्रक्शन पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए क्रमशः 15 लाख और 7 लाख का चेक बाउंस होने के मामले में रायपुर की जिला अदालत में वाद पेश किया था | इस मामले में अभियुक्त सूर्यकांत तिवारी ने दिनांक 28/05/2018 को न्यायायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्रशांत कुमार भास्कर की अदालत से 10 हजार रूपये के मुचलके पर जमानत ली थी | जमानतदार निखिल चंद्राकर पिता लक्ष्मण प्रसाद चंद्राकर ग्राम मानसोज तेलीबांधा रायपुर ने अभियुक्त की जमानत ली थी | इसके अलावा गुरमुख सिंह आत्मज गुरुचरण सिंह द्वारा प्रस्तुत वाद में भी अभियुक्त सूर्यकांत तिवारी जमानत पर है | दोहरी जमानत लेने वाले इस शख्स की शिकायत पर तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता के निर्देश पर रायपुर पुलिस ने दोनों ही पीड़ितों के खिलाफ बगैर उन्हें सूचित किये अपराधिक प्रकरण दर्ज कर दिया | सूर्यकान्त तिवारी पिता स्वर्गीय शशिभूषण तिवारी निवासी – एक्जॉटिका शंकर नगर रायपुर वर्तमान में बतौर अभियुक्त जमानत पर रिहा है | उनके खिलाफ दो अलग अलग प्रकरण धारा 138 एन आई एक्ट के तहत रायपुर जिला अदालत में 04/05/2016 को  क्रमशः पूजा टेडर्स और 28/ 04 / 2017 को  मेसर्स चीमा लोकल कैरियर कंस्ट्रक्शन ने दायर किया है | दोनों ने ही उन पर चेक बाउंस और व्यापार में धोखा देने का आरोप लगाया है | मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है | 

यह तथ्य भी सामने आया है कि अदालत में विचाराधीन इस मामले को लेकर अदालत से दोनों ही याचिकाकर्ता क्रमशः पूजा टेडर्स और मेसर्स चीमा लोकल कैरियर कंस्ट्रक्शन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के निर्देश अदालत द्वारा जारी नहीं किये गए है | इसके बावजूद दोनों ही याचिककर्ताआं के खिलाफ 20 / 09 / 2017 को अपराध क्रमांक – 278/17 धारा 420 , 34 के तहत दो अलग अलग मामले दर्ज किये गए | इस दिनांक से नंदकिशोर अग्रवाल का प्रकरण जिला अदालत में लगभग डेढ़ साल से और गुरमुख सिंह आत्मज गुरुचरण सिंह का मामला लगभग छह माह से विचाराधीन था | यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि अदालत में विचाराधीन मामलों में अपराध पंजीबद्ध करने से पूर्व स्पष्ट क़ानूनी प्रावधान और वरिष्ठ अधिकारीयों की अनुमति अनिवार्य है | यह तथ्य भी सामने आया है कि तत्कालीन थाना प्रभारी पंडरी एवं जांच अधिकारी ने मामले के  अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद दोनों प्रतिवादी नंदकिशोर अग्रवाल और गुरमुख सिंह आत्मज गुरुचरण सिंह को बगैर सूचित किये एवं बगैर उनका बयान दर्ज किये दोनों ही याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दिनांक – 20 / 09 / 2017 को अपराध क्रमांक – 278/17 धारा 420 , 34 के तहत दो अलग अलग मामले दर्ज किये गए |  

यह भी स्पष्ट करना चाहते है कि दोनों ही याचिकाकर्ताओं ने सूर्यकान्त तिवारी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत समय समय पर पुलिस अधिक्षक रायपुर , पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज और डीजीपी छत्तीसगढ़ पुलिस को की थी | लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार के शासनकाल में एडीजी मुकेश गुप्ता के प्रभाव के चलते अभियुक्त – आरोपी के बजाए पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही प्रकरण कायम कर दिया | फ़िलहाल शिकायतकर्ताओं ने रायपुर पुलिस अधिक्षक आरिफ शेख और आईजी आनंद छाबड़ा से निष्पक्ष जांच की मांग की है |