छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी आर पी मंडल की कार्यप्रणाली के कायल है , जनता , गोदड़ी के इस लाल से जनता की उम्मीदे बढ़ी – विशेष लेख के.डी सिंह   

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रायपुर / छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता के.डी सिंह अपनी लेखनी के लिए चर्चित है | उन्होंने इस बार राज्य के चीफ सेक्रेटरी आरपी मंडल की कार्य कुशलता की जमकर तारीफ की है | इसलिए नहीं कि कॉलेज के दिनों में आरपी मंडल उनके जूनियर हुआ करते थे | बल्कि इसलिए कि जमीनी स्तर पर उतरकर वो काम कराना जानते है | के.डी सिंह का मनाना है कि लंबे अरसे बाद राज्य को एक ऐसा चीफ  सेक्रेटरी मिला है जो कमरे के भीतर और बाहर रह कर काम कैसे कराया जाता है , इसका बखूबी अनुभव रखता है | छत्तीसगढ़ माटी में पले बढे आर.पी मंडल का अपनी ही मातृभूमि पर बतौर चीफ सेकेट्री बनकर सेवा करना सुखद अनुभव ही नहीं बल्कि गौरवपूर्ण है | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने के.डी  सिंह के इस लेख को जस की तस प्रकाशित करने का फैसला किया है | पढ़े :  

मंडल से बेहतर पशासन और कार्य संस्कृति की अपेक्षा : कृष्ण देव सिंह 

छत्तीसगढ़ के नये मुख्य सचिव आर पी मंडल के पदभार ग्रहण करने के साथ ही घुआंघार दौरे और बैठकों का दौर शुरु हो गया है। श्री मंडल काफी पुराने और अनुभवी अधिकारी है।उनके सामने कई प्रशासनिक और कार्यसंस्कृति में सकाराव्मक बदलावों की चुनैतियाँ है। हलांकिं उनका लम्बा प्रशासनिक अनुभव है ।उन्हें प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के विश्वस्त सहयोगी होने का अनुभव भी है। वे पूर्व मुख्य सचिव विवेक दाड़ के भी भरोसेमंद अधिकारी रह चुके हैं।        
     

प्रदेश के नए प्रशासनिक मुखिया आर पी मंडल ने पद ग्रहण के बाद जिला और संभागीय मुख्यालयों की ओर रूख किया है।लापरवाह अधिकारियों को फटकार भी पड़ रही है।हलांकि सरकारी कामकाज में यह परिपाटी पहले से ही जारी है।उनके जाते ही निचले अधिकारी /कर्मचारी कुछ दिन तक सक़ीयता दिखाते हैं और फिर पुराने ढ़र्रे पर लौट जाते हैं।
       

1987बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के श्री मंडल  को तगमा हासिल है कि वे जिन जिलों में रहे है,वहां  याद किये जाते हैं। बतौर प्रशासानिक मुखिया  मंडल के अनुभव का लाभ छत्तीसगढ़ को मिलना अभी शेष है ।हलांकि अपने तौर – तरीके से तात्कालिक लाभ तो पिछले सभी मुख्य सचिव भी दिलाते रहे हैं परन्तु श्री मंडल से कुछ ज्यादा ही उम्मिद की जा रही है।
      

 वैसे परम्परागत व्यवस्था में  बदलाव लाने के लिए श्री मंडल  को निश्चय ही  किसी छडी का इस्तेमाल करना होगा ।वह छड़ी है सरकारी विभागों में कार्य संस्कृति में व्यापक वदलाव ।आम जनता जानना चाहती है कि क्या वजह है कि सरकारी महकमों से कम अधिकारी/ कर्मचारी,कम-संसाघन ,कम वेतन होने के बावजूद कारपोरेट का काम काज बेहतर तरीके से चलता है।उम्मीद है कि सरकारी महकमों की कार्य संस्कृति में एकाएक बदलाव  भले न आए पर आम जनता को बेहतर नतीजे मिलने लगे ?