उत्तरप्रदेश | पीलीभीत टाइगर रिजर्व की दियूरिया वन रेंज में मानव-वन्यजीव संघर्ष का मामला सामने आया है । क्षेत्र में आतंक के पर्याय बने टाइगर ने इलाके के 9 लोगों को हमला करके घायल कर दिया था । गुस्साए ग्रामीणों ने टाइगर को मौके पर ही घेर लिया था और उसकी लाठी और धारदार हथियारों से जमकर पिटाई कर बेदम कर दिया था । मौके पर जब वन विभाग के अधिकारी पहुंचे तो उनको भी घेर लिया और कुछ कर्मचारियों के साथ मारपीट की थी । मामला जब बिगड़ा ता पुलिस के साथ ही एसडीएम पूरनपुर ने पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया था । इधर ग्रामीणों के हमले से घायल बाघ दूर कहीं जाकर छिप गया था । ग्रामीणों के आक्रोश के कारण कर्मचारी मौके से चले गए, लेकिन बाघ की निगरानी करते रहे । देर रात करीब 12 बजे कर्मचारियों ने देखा कि बाघ बेहोश होकर गिर पड़ा तो उसके पास पहुंच गए और उसे कब्जे में ले लिया । जब तक अधिकारियों को सूचना होती बाघ ने दम तोड़ दिया । कर्मचारियों ने इसकी सूचना डीडी नवीन खंडेलवाल को दी तो हड़कंप मच गया । बहरहाल वनाधिकारियों ने बाग के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
यह घटना पूरनपुर कोतवाली हलके की घुंघचाई पुलिस चौकी छेत्र के ग्राम दंदौल कालोनी नंबर 4 मटेहना की है । एक दिन पूर्व 500 कदम दूर स्थित गाँव से निकलकर बाघ आबादी छेत्र में आ गया था और 1 ग्रामीण पर हमला करके उसे उठाकर जंगल तरफ ले जाने लगा था । गाँव के लोगों ने जब अपने साथी को बचाने का प्रयास किया तो बाघ ने हमलाकर अन्य पौन दर्जन ग्रामीणों को भी घायल कर दिया था । इससे गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ पर जमकर लाठी डंडे बरसाए । इससे बाघ का कमर टूट गया और वह गिर कर अंतिम सांसे लेने लगा था । यह घटनाक्रम बुधवार दोपहर बाद करीब 4 से साढ़े 4 बजे के बीच का था । लंबे इंतजार के बाद वन विभाग की टीम पहुची और बाघ को जंगल मे खदेड़ने का प्रयास किया लेकिन घायल बाघ उठ नही पाया । इसपर जाल लगाकर बाघ को रात में यू ही छोड़ दिया गया । आधी रात के बाद घायल बाघ ने दम तोड़ दिया । उसका शव पोस्टमार्टम के लिए माला रेंज में रखा गया है ।
घंटों तड़पने के बाद तोड़ा दम
बाघ की मौत के लिए बहुत हद तक विभाग ही जिम्मेदार रहा । लेटलतीफी के कारण घायल बाघ को समय रहते इलाज नहीं मिल सका । अगर समय से उपचार मिलता तो शायद उसकी जान बच जाती । बुधवार दोपहर बाद करीब 4 बजे मजदूरों पर हमले के बाद मानव वन्य जीव संघर्ष हुआ था । पूरे 10 घंटे तड़फने के बाद बाघ ने अंतिम सांस ली ।