साल था 2018। एक शख्स भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास पहुंचता है । नाम के पी यादव । वह शख्स शाह से कहता है ” मैं कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता हूं । कांग्रेस में जिला लेवल पर कई पदों पर रहा हूं ।लेकिन अब मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहता हूं । चाहे ज्योतिरादित्य ग्वालियर से लड़े या गुना से । मैं उनसे मुकाबला करूँगा । आप सिर्फ अपना हाथ मेरे सर पर रख दीजिये ।”अमित शाह चौक उठे । बोले ” आप सिंधिया के खिलाफ लड़ना क्यों चाहते हैं ?”
उस युवक के पी यादव ने उन्हें मोबाइल की एक सेल्फी दिखाई और बोला “सर मैंने 20 साल कांग्रेस को दिए । मैंने ज्योतिराज सिंधिया से एक सेल्फी के लिए रिक्वेस्ट किया । लेकिन उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे ने मुझे डांट कर भगा दिया और मुझे बेहद अपमानित किया। ” अमित शाह के अंदर के चाणक्य बुद्धि जाग गई उन्हें लगा कि ये यादव ही मेरे लिए चंद्रगुप्त साबित होगा। उन्होंने सोचा ज्योतिरादित्य सिंधिया तो अजेय है चलो प्रतिशोध की आग में जल रहे इस कांग्रेसी युवा पर जुआ खेला जाए। उन्होंने उस केपी यादव के सर पर हाथ रख दिया । नतीजा यह हुआ कि पिछले डेढ़ साल में के पी यादव ने जमकर मेहनत की ।
इधर ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तर प्रदेश (पश्चिम) के प्रभारी बना दिया गया। वे काफी वक्त यूपी में रहे । तो उनका प्रचार संभाला उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने। चुनावो की घोषणा के बाद जब भाजपा की तरफ से टिकट आया तो उस पर नाम था कृष्ण पाल सिंह उर्फ डॉ के.पी. यादव का।
वही के पी यादव जो कभी सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि होते थे और सालभर पहले ही भाजपा में आए थे। यादव के नाम की घोषणा के बाद प्रियदर्शिनी राजे ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक तस्वीर शेयर की। तस्वीर में गाड़ी के अंदर बैठे हुए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया। गाड़ी के बाहर से सेल्फी ले रहे हैं केपी यादव। तस्वीर के साथ प्रियदर्शिनी ने जो लिखा उसका सार यही था कि जो कभी महाराज के साथ सेल्फी लेने की लाइन में रहते थे, उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी चुना है।
ये एक आत्ममुग्ध पोस्ट थी। लेकिन यादव की एक बार फिर बेइज्जती की गई । दंभ यह था कि ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता सिंधिया गुना से जीती हुई हैं ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया भी गुना से जीते हुए हैं। चार बार ज्योतिरादित्य भी स्वंय यहां से चुने गए हैं। शायद यही वजह है कि प्रियदर्शिनी ने ये पोस्ट करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने वो शिकस्त देखी जैसी दशकों में नहीं मिली थी। भाजपा ने न सिर्फ अपनी पिछली सभी 27 सीटें जीतीं, बल्कि गुना को भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से झटक लिया।
इसलिए कहते है अपने नजदीक के लोगो का सदैव ध्यान रखो। व्यवहार को प्रेमपूर्ण रखो। एक कार्यकर्ता का अपमान बड़े से बड़े नेता को धूल में मिला सकता है । महाराजा ज्योतिरादित्य को यह बात अच्छी तरह समझ आ गयी होगी। सभी को इससे सबक लेना होगा।