ब्यूरो डेस्क / भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी समेत तीन लोगों को गरीबी पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है। अभिजीत के साथ नोबेल पुरस्कार पाने वाले हैं, फ्रेंच अमेरिकल एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर हैं। रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंस ने इस बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि एस्थर डुफ्लोे अभिजीत की पत्नी हैं।
एकेडमी के अनुसार तीनों विद्वानों ने वैश्विक गरीबी से लड़ने के तरीकों पर व्यवहारिक जवाब पाने के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश किया जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अभिजीत अभी MIT में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं | नोबेल पुरस्कार विजेता बनर्जी, कोलकाता यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अभिजीत बनर्जी ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी। अर्थशास्त्र का नोबेल जीतने वाले अभिजीत बनर्जी कोलकाता के रहने वाले हैं। उनके पिता दीपक बनर्जी भी बड़े अर्थशास्त्री रहे हैं। गरीबी उन्मूलन के लिए शोध किया और किताबें लिखीं 2019 के कांग्रेस के घोषणापत्र में गरीबी उन्मूलन से जुड़ी योजनाओं का खाका तैयार करने में अहम भूमिका रही। अभिजीत की किताब जगरनॉट जल्द आने वाली है। अभिजीत से पहले भारतीय मूल के अमर्त्य सेन को 1998 अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था। साल 2019 का नोबेल पुरस्कार तीनों को वैश्चिक गरीबी हटाने के लिए प्रयोगात्मक नजरिया अपनाने के सम्मान में दिया गया।
किताबें और लेख जिसने दुनिया को दिखाई राह
अभिजीत ने दुनिया को राह दिखाने के लिए इकोनॉमिक्स पर कई किताबें लिखी हैं | इनकी पहली किताब 2005 में वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ लिखी थी. तब से लेकर आज तक अभिजीत बनर्जी ने कुल सात किताबें लिखी हैं. लेकिन इन्हें प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब पूअर इकोनॉमिक्सः ए रेडिकल रीथीकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी |
