क्या कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता और “सरकार” के बीच चल रही है नूरा कुश्ती ? चालसाज डीजी की गिरफ्तारी को लेकर सवालों के घेरे में “छत्तीसगढ़ सरकार” |

0
9

रायपुर | कहते है कानून सब के लिए एक है ,लेकिन छत्तीसगढ़ में कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाला शख्स ही पुलिस को मुँह चिढ़ा रहा है | उसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस सुस्त है | आमतौर पर अपराधिक प्रकरण दर्ज होते ही किसी भी आरोपी को धर दबोचने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस यहाँ वहां हाथ पैर मारने लगती है | लेकिन राज्य के कुख्यात डीजी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी को लेकर यही पुलिस अब हीला हवाली कर रही है | आखिर क्यों डकैत डीजी मुकेश गुप्ता को धर दबोचने के मामले में नरमी बरती जा रही है ,इसे लेकर जनता के बीच संदेह की स्थिति निर्मित हो रही है | 

दरअसल आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ चार सौ बीसी की धराओ समेत अन्य गंभीर धाराओं के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज हुए हफ्ता भर बीत चूका है | इसके बावजूद आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस के हाथ बंधे हुए नजर आ रहे है | उसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस हाथ पर हाथ धरी बैठी है | छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली पर बारीकी से नजर रखने वालो का मानना है कि चार सौ बीसी के प्रकरणों के दर्ज होने के तत्काल बाद ही आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर संबधित थाने के पुलिसकर्मी  फौरी तौर पर सक्रिय हो जाते है | लेकिन आरोपी मुकेश गुप्ता के मामले में दुर्ग पुलिस का दस्ता सुस्त पड़ा है | 

छत्तीसगढ़ के कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ दुर्ग जिले के सुपेला  थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था  | यह मामला ” साडा ”  के भूखंड की जालसाजीपूर्ण खरीदी  किए जाने से जुड़ा है | धोखाधड़ी के इस मामले के सभी प्रमाणिक दस्तावेज पुलिस के हाथो में है | इस मामले की ” FIR ”  पूर्ण विवेचना के पश्चात् ही दर्ज की गई थी | मामले में अब विवेचना जैसी कोई खास स्थिति भी नहीं है | इसके बावजूद भी आरोपी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी को लेकर हीला हवाली बरती जा रही है | इसके चलते ना केवल सरकार की साख दांव पर है बल्कि पुलिस के काम-काज के तरीके को लेकर भी जनता के बीच भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है |  लोगो को लगने लगा है कि कही राज्य सरकार और आरोपी मुकेश गुप्ता के बीच कोई नूरा कुश्ती तो नहीं हो  रही है ?

 दरअसल निलंबित डीजी आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ इसके पूर्व दो अलग -अलग प्रमाणित गंभीर अपराधों के तहत FIR दर्ज की गई थी | लेकिन पुलिस ने इस कुख्यात आरोपी को इतना अधिक वक्त दिया कि वो क़ानूनी दांवपेचो का सहारा लेकर अपनी गिरफ्तारी से बच निकला | इस दौरान अपनी कमजोर कड़ी के चलते छत्तीसगढ़ सरकार अदालत में कोई ठोस दलीले पेश नहीं कर पाई | नतीजतन डकैत डीजी की गिरफ्तारी पर लगी अदालती रोक से छत्तीसगढ़ सरकार को बगले झांकना पड़ रहा है |  इस कुख्यात आरोपी के खिलाफ अब दर्ज तीसरी FIR के बाद भी लगता है कि राज्य  की पुलिस सचेत नहीं हो पाई है | पुलिस का रवैया ठीक पहले  जैसी ही दिखाई दे रहा है | लोगो को लग रहा है कि पुलिस एक बार फिर आरोपी मुकेश गुप्ता को क़ानूनी दांव-पेचों को खेलने का पूरा मौका दे रही है , ताकि पहले की तरह इस बार भी भूपेश बघेल सरकार की मंशा पर पानी फिर जाए | 

आरोपी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी को मांग को लेकर राज्य में माहौल गरमाने लगा है | उसे कानून का डंडा दिखाने में  हो रही लेट लतीफी से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में अलग -अलग लोगो के लिए कानून की व्याख्या भी अलग -अलग हो रही है | मसलन वर्दीधारी डकैत और जालसाज आरोपी मुकेश गुप्ता के लिए अलग कानून ,जबकि गैर वर्दीधारी गुंडे बदमाशों के लिए अलग | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और संवेदनशील डीजीपी डीएम अवस्थी से लोगो ने अपील की है कि वो इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश जारी करे |