रायपुर / रायपुर में एक अनोखे शादी समारोह के हजारों लोग गवाह बने | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों के अलावा कई जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों ने इस विवाह समारोह में हिस्सा लिया | ये शादी किसी वीवीआईपी या वीआईपी परिवार की नहीं थी | बल्कि बेहद साधारण परिवारों से जुड़े सदस्यों की थी | समाज में लोग इन्हे किन्नरों के नाम से जानते है | अंग्रेजी में इन्हे थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है | इस विवाह समरोह में 15 जोड़े दाम्पत्य सूत्र में बंधे इनमे से छह जोड़े छत्तीसगढ़ के और शेष नौ जोड़े बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल से थे | यह पहला मौका था जब किन्नर समुदाय ने धूमधाम के साथ सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया था | इस विवाह समारोह नेगोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में अपना स्थान बनाया है | खास बात यह है कि सामान्य लड़कों ने दूल्हा बनकर किन्नर महिलाओं के साथ शादियां रचाई | अपने भविष्य को लेकर सभी जोड़े आशान्वित नजर आये |
रायपुर की सड़कों पर शनिवार को गाजे-बाजे के साथ अनूठी बारात निकली | देश के इतिहास में पहली बार किन्नरों का सामूहिक विवाह हुआ। बैंड बाजा और बारात के साथ रायपुर के कई चौक चौराहों से होकर जब ये बारात गुजरी, तो लोग भी इस जश्न का हिस्सा बन गये। रायपुर में एक साथ 15 किन्नर जोड़ों ने पुरूषों के साथ शादी रचाई। हिंदू रीति-रिवाज से सभी रस्में पूरी की गईं। दुल्हन के रूप में सजी किन्नरों के साथ युवकों ने शादी की रश्में निभाईं और अग्नि के सात फेरे लेकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।किन्नरों की शादी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। किन्नर समुदाय के लोग ढोल-नगाड़ो पर नाचते गाते नजर आए। बारात सिविल लाइंस से दोपहर में निकली और अंबेडकर भवन, घड़ी चौक, कालीबाड़ी से टिकरापारा होते हुए बारात पुजारी पार्क स्थित मंडप में पहुंची। जहां पर मंत्रोच्चार के साथ पंडितों ने शादी कराई।
जानकारी के मुताबिक इन जोड़ों में कई ऐसे भी है जो काफी समय से एक दूसरे के साथ रह रहें है , लेकिन शादी ना होने की वजह से वह अपने रिश्ते का नाम नहीं दे पा रहे थे। विवाह का आयोजन चित्रग्राही फिल्म हंसा एक संयोग की ओर से किया गया है। बता दें कि पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी (IPC) की धारा 377 पर फैसला सुनाते हुए इसे कानूनी रुप से वैध ठहराया था। कोर्ट ने कहा था कि एनजीबीटी समुदाय को भी समानय नागरिकों की तरह ही अधिकार प्राप्त है। समलैंगिता को अपराध नहीं माना जा सकता है। इसके बाद से ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी रुप से मान्यता मिली थी। अब इनके स्थिति में सुधार की दिशा में एक नई पहल देखने को मिली है। ऐसे में यह पहला मामला है जहां किन्नर पुरुषों से शादी कर रहे हैं।