उपेंद्र डनसेना रायगढ़ /
रायगढ़ में बदहाल यातायात को कम करने के साथ-साथ शहर को सौंदर्यीकरण बनाने के उद्देश्य से केलो नदी के किनारे मरीन ड्राईव का निर्माण किया गया था । देखरेख के अभाव के साथ-साथ पुलिस की लापरवाही से यह मरीन ड्राइव अपना अस्तित्व खो चुकी है । शहर के भीतर से बेखौफ होकर मरीन ड्राइव के रास्ते उद्योगों तक जाने वाले भारी भरकम वाहनों का आना जाना कभी भी बडी दुर्घटना को आमंत्रित कर सकता है । बावजूद इसके किसी भी नेता या अधिकारी ने इस पर पहल तक नही की है । जिसके चलते बद से बदतर हो चुकी पुरानी मरीन ड्राईव अपने अस्तित्व को खोते जा रही है । यही स्थिति रही तो आने वाले समय में यह मरीन ड्राईव बरसाती नाले से कहीं खतरनाक तब्दील हो जाएगी और शहर की यातायात व्यवस्था का मुंह चिढाएगी ।
अस्तित्व की लड़ रही लडाई
सीएसआर मद से बनी केलो नदी के किनारे की मरीन ड्राईव आज अपने अस्तित्व की लडाई लड़ रही है । राजनीतिक दलों की उपेक्षा और अधिकारियों की बढ़ती लापरवाही से यह मरीन ड्राईव किसी बरसाती नाले से भी ज्यादा खतरनाक दिखाई देती है आए दिन स्कूली बच्चे तो छोटी मोटी दुर्घटनाओं के शिकार होते है और देर रात इस सड़क से गुजरने वाले हजारो टन लोड कोयले व आयरन ओर के वाहन बडी दुर्घटना का संकेत देते हैं । कहने को तो यह मरीन ड्राईव शहर की यातायात के दबाव को कम करने के लिए पूर्व कलेक्टर विश्वकर्मा की देन थी और उसके बाद से कुछ कलेक्टरों ने इस पर ध्यान देकर शहर के सौंदर्यीकरण को भी बढाने में मदद की , लेकिन बीते कई माह से यह मरीन ड्राईव अब उद्योगों के वाहन का बडा साधन बन चुकी है । दिन हो या रात यहां से गुजरने वाले वाहन बेरोकटोक उद्योगों तक पहुंचते है | उन्हें रोकने वाला यातायात विभाग, चक्रधर नगर थाना के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं । इतना ही नही रोजाना इस सड़क से लगे कलेक्टे्रट मार्ग से बडे अधिकारी भी गुजरते हैं लेकिन कोई भी जर्जर हो रही मरीन ड्राईव के लिए पहल नही कर रहा है । हाल ही में पुरानी मरीन ड्राईव तालाब में तब्दील हो चुकी है और यहां से अब छोटे मोटे वाहन भी जाने में कतराते हैं पर भारी वाहन बडे आराम से यहां से गुजरते हैं । इतना ही नही शार्टकट मरीन ड्राईव का उपयोग कुछ निजी स्कूलों की बसों द्वारा भी किया जाता है | जिसमें बडी संख्या में सवार स्कूली बच्चे कभी भी बडी दुर्घटना का शिकार हो जाएं तो कोई आश्चर्य नही होगा ।
नगर निगम की जद में आई इस पुरानी मरीन ड्राईव की मरम्मत के लिए कई बार स्थानीय नागरिकों ने पहल की पर निगम के सिर पर जूं तक नही रेंग रही है । पूर्व कलेक्टर से लेकर वर्तमान कलेक्टर ने भी इस जर्जर मरीन ड्राईव के लिए कोई योजना तक नही बनाई है जिसके चलते धीरे-धीरे यह मरीन ड्राईव अपने अस्तित्व खोते जा रही है | वह समय दूर नही जब पुरानी मरीन ड्राईव केवल उद्योग के भारी भरकम वाहन के लिए रहेगी और बाकी स्थानीय लोग यहां जाने से भी डरेंगे । बहरहाल देखना यह है कि शहर की जीवनदायिनी कहे जाने वाली केलो नदी के किनारे बने पुराने मरीन ड्राईव के लिए राजनेता या अधिकारी कोई पहल करते हैं या नही ।