रायपुर / “तीतर के आगे दो तीतर , तीतर के पीछे दो तीतर , अब बताओं कितने तीतर” ? यह पहेली बचपन में आपने कई बार बुझी होगी | लेकिन छत्तीसगढ़ में EOW के आला अधिकारी इस पहेली को लेकर भरी जवानी में माथापच्ची कर रहे है | दरअसल EOW के तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह के बयान दर्ज होने के बाद एक नई पहेली सामने आई है | वो है , नान घोटाले और फोन टैपिंग के आगे “दो मगरमच्छ ” इस मामले में अदालत में आधा अधूरा चालान पेश करने और तमाम गैर-क़ानूनी गतिविधियों के पीछे “दो मगरमच्छ ” | इससे पहले कि मंगलवार को यह पहेली भी बुझती , सस्पेंड डीजी और कई मामलों का कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता EOW मुख्यालय से कट लिया |
मंगलवार को 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता का EOW मुख्यालय में बेसब्री से इंततजार हो रहा था | लेकिन वो नदारत रहे | उनकी ओर से उनके वकील अमीन खान पहुंचे | उनके मुताबिक मुकेश गुप्ता पुछताछ के लिए ही रविवार को दिल्ली से रायपुर आये थे | लेकिन अचानक बेटी की तबीयत खराब होने की वजह से वो मंगलवार की सुबह वापस दिल्ली लौट गए । उनकी गैर-हाजरी को लेकर EOW से कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई है | लेकिन यह जानकारी लगी है कि 6 जून को उन्हें फिर तलब किया गया है | ताकि वो अपना बयान दर्ज करवा सके | मेडिकल ग्राउंड पर आरोपी मुकेश गुप्ता की गैर-हाजरी EOW ने स्वीकार की है |
उधर अंदरखाने की बात काफी चौकाने वाली है | बताया जाता है कि नान घोटाले और फोन टैपिंग मामले में आरोपी बनाये गए EOW के तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह के बयानों से आरोपी मुकेश गुप्ता की कलई खुल गई है | सोमवार को थैला भरकर दस्तावेज और कई फाइलों को अपने साथ रखकर सस्पेंड एसपी रजनेश सिंह अपना बयान दर्ज करवाने के लिए EOW मुख्यालय पहुंचे थे | उन तमाम दस्तावेजों और फाइलों को आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ बड़ा वैधानिक सबूत माना जा रहा है | आरोपी रजनेश सिंह ने मय दस्तावेज जो बयान लगभग चार घंटे तक दर्ज कराये है , उन बयानों से आरोपी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है | अंदरखाने से यह जानकारी भी आई है कि EOW आरोपी रजनेश सिंह को मुकेश गुप्ता के खिलाफ महत्वपूर्ण गवाह के रूप में पेश कर उन्हें हवालात की सैर करवा सकती है |

EOW के तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह ने फोन टैपिंग की तमाम घटनाओं की सत्यता को स्वीकार किया है | उन्होंने बताया है कि नागरिक आपूर्ति निगम के नान घोटाले में तमाम फोन कॉल तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता के लिखित और मौखिक निर्देशों के आधार पर रिकार्ड किये गए थे | उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि फोन टैपिंग की कोई वैधानिक इजाजत की कोई लिखित सूचना अथवा निर्देश उन्हें प्राप्त नहीं थे | अलबत्ता डीजी EOW और अपने सीनियर अधिकारियों के निर्देशों का उन्होंने पूरी तरह से पालन किया था | आरोपी रजनेश सिंह ने नान घोटाले की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अदालत में जानबूझकर ना पेश करने और कई दस्तावेजों को नष्ट करने की बात भी स्वीकार की है | एक जानकारी के मुताबिक उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि नान घोटाले और फोन टैपिंग की तमाम गैर-क़ानूनी गतिविधियां आरोपी मुकेश गुप्ता के निर्देश और आदेशों के तहत पालन की गई थी | EOW की टीम ने रजनेश सिंह से लगभग 35 सवाल पूछे थे | EOW के तमाम सिलसिलेवार सवालों के जवाब में आरोपी मुकेश गुप्ता ही खड़े नजर आ रहे थे | रजनेश सिंह के बयानों के उपरांत आरोपी मुकेश गुप्ता से पूछे जाने वाले सवालों की फेहरिस्त EOW ने रातोंरात तैयार कर ली थी | बताया जाता है कि रजनेश सिंह के पूछे गए सवालों और उनके जवाबो की जानकारी जैसे ही आरोपी मुकेश गुप्ता को लगी , वैसे ही उनकी नींद उड़ गई | हालांकि अपनी बेटी के खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर आरोपी मुकेश गुप्ता मंगलवार की सुबह वापिस दिल्ली रवाना हो गए |
एक जानकारी के मुताबिक रजनेश सिंह के बयानों को लेकर आरोपी मुकेश गुप्ता पसोपेश में है | उन जवाबों का तोड़ निकालने के लिए एक बार फिर उन्होंने अपने चारों ओर कानून के कई जानकारों और वकीलों का जमावड़ा लगा दिया है | सूत्र तो यह भी बता रहे है कि आरोपी मुकेश गुप्ता के सहयोगी , रजनेश सिंह की हर एक गतिविधियों पर नजर रखे हुए है | बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता के सामान्य रिटायरमेंट के लिए कुछ महीने ही शेष बचे है | उनके खिलाफ दर्ज ज्यादतर मामले गंभीर अपराधों और सरकार और पुलिस संगठन की छवि खराब करने वाले है | यही नहीं उन पर ED और इनकम टेक्स विभाग की नजरे कभी भी इनायत हो सकती है | जाहिर है खराब ट्रेक रिकार्ड होने के चलते MHA और कार्मिक मंत्रालय कभी भी उन्हें समय पूर्व रिटायर या बर्खास्त भी कर सकता है | जबकि रजनेश सिंह को हाल ही में “आईपीएस अवार्ड” की सिफारिश हुई है | उन्हें वर्ष 2011 का बैच मिल सकता है | लेकिन आरोपी मुकेश गुप्ता के गैर-क़ानूनी निर्देशों को अमली जामा पहनाने का खमियाजा भी अब उन्हें भोगना पड़ सकता है | संभव है , उन पर भी समय पूर्व रिटायरमेंट अथवा बर्खास्तगी की गाज गिर सकती है | ऐसे में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रजनेश सिंह सरकारी गवाह बनने को तैयार हो सकते है | यदि ऐसा होता है तो आरोपी मुकेश गुप्ता का भविष्य चौपट हो सकता है | लिहाजा आरोपी मुकेश गुप्ता का गिरोह रजनेश सिंह को अपनी राडार में रखा हुआ है |
फ़िलहाल आरोपी मुकेश गुप्ता रजनेश सिंह के बयानों से चौकन्ने हो गए है | अब देखना होगा कि 6 जून को वो अपने साथ वकीलों के फ़ौज फाटे के साथ साथ और भी क्या लेकर पहुंचते है |