एक और भदौरा कांड ,136 एकड़ जमीन आयकर विभाग ने की अटैच | जमीन मालिक ही बेनामी संपत्ति की शिकायत लेकर पहुंचा था आयकर विभाग |

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छत्तीसगढ़ में एक और भदौरा कांड की पुर्नावृत्ति हुई है | लेकिन इस बार बिलासपुर जिले में नहीं बल्कि बस्तर में यह कांड सामने आया है | हालांकि मामले से बच निलकने के लिए यहाँ भदौरा कांड की तर्ज पर किसी तहसील कार्यालय को आग के हवाले नहीं  किया गया ,बल्कि जमीन मालिक ने ही खुद उसके हिस्से में आई बेनामी संपत्ति को आयकर विभाग के हवाले कर दिया | देश में  यह पहला मौका है जब लाभार्थी के हिस्से में आई मालिकाना हक़ वाली डेढ़ सौ एकड़ जमीन को स्वीकार करने के बजाए खुद उसने उसे आयकर विभाग के हवाले कर दिया हो | मामला बेहद रोचक है और रायपुर और बस्तर से जुड़ा हुआ है | 

 रायपुर में निवासरत दो भाइयो गजराज पगारिया और  सुशील  पगारिया के बीच पारिवारिक विवाद के बाद करोडो की संपत्ति का बंटवारा हुआ था | यह  बंटवारा कानून के जानकारों की देखरेख में हुआ | लेकिन बंटवारे के उपरांत आदिवासियों के नाम पर खरीदी गई लगभग डेढ़ सौ एकड़ जमीन  सुशील  पगारिया के हिस्से में दी गई थी  | यह जमीन बस्तर के कांग्रेसी नेता और विधायक लखेश्वर बघेल के नाम पर खरीदी गई थी |  बंटवारे  में बेनामी संपत्ति दिए जाने को लेकर  सुशील पगारिया इतने नाराज हुए कि उन्होंने इसे रफा दफा कर अपने कब्जे में रखने के बजाए उसे आयकर विभाग को सौप दिया |  वो भी शिकायतों के बाद | फिर क्या था | शिकायत को लेकर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आयकर विभाग ने  लगभग 136 एकड़ जमीन आखिरकर अटैच कर ली |

रायपुर के बड़े कारोबारी और प्रभावशील पगारिया परिवार ने आदिवासियों की जमीनों को अपने परिचित आदिवासियों के नाम पर खरीदा था | और उस पर अपना कब्जा भी बरक़रार रखा था । बेनामी पूंजी निवेश का यह ऐसा बड़ा मामला है , जिसमें राजनीतिक प्रभाव से होने वाली कमाई से ये बेनामी जमीनें खरीदने के सबूत बात जांच में स्थापित हुए है । आयकर विभाग की कार्रवाई में अभी दो आदिवासियों के नाम पर खरीदी गई ऐसी करीब 14 करोड़ रूपए की जमीन पकड़ाई है । और इन दो आदिवासियों में एक लखेश्वर बघेल है , जो कांग्रेस के मौजदा विधायक हैं  | इसके पहले वो बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रह चुके हैं । दूसरा आदिवासी शख्स एकदम ही गरीब किसान हैं उसका नाम राजेश कर्मा बताया जा रहा है | राजेश कर्मा और ईश्वरीय बघेल के नाम पर करोड़ों की जमीन खरीदी गई थी ।  इन तीनो नामों से बस्तर संभाग के कई हिस्सों में खरीदी गई 136 एकड़ से अधिक जमीनें आयकर विभाग ने अटैच कर ली हैं । आयकर विभाग द्वारा अटैच की गई जमीनों में से सौ एकड़ से कुछ कम जमीन लखेश्वर बघेल के नाम की है, 25 एकड़ से कुछ अधिक जमीन स्व. ईश्वरी बघेल के नाम की है, और 18 एकड़ से अधिक जमीन राजेश कर्मा के नाम पर दर्ज है ।

 गजराज पगारिया एक समय रायपुर के उपमहापौर थे | रियल स्टेट और शिक्षा के क्षेत्र में उनका बड़ा नाम है | वर्तमान में वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य है और रायपुर में निजी विश्वविद्द्यालय ” मैट्स यूनिवर्सिटी ”  के चांसलर के पद पर भी वो अपनी सेवाए दे रहे है | बताया जाता है कि गजराज पगारिया और उनके छोटे भाई सुशील पगारिया ने अपने अलावा अपनी मां की ओर से  भी आदिवासियों के नाम पर ऐसी बेनामी जमीनें खरीदी थीं । आयकर विभाग को शिकायत मिलने के बाद जब जांच की गई तो पाया गया कि पारिवारिक संपत्ति बंटवारे में रायपुर के जिला न्यायाधीश की अदालत में जो बंटवारानामा दस्तखत किया गया, उसमें भी इन सारी आदिवासी जमीनों को आपस में बांट दिए गया था | अदालत में पेश डिक्रीनामे में ऐसी सारी आदिवासी जमीन सुशील पगारिया के हिस्से में दे दी गई थी ।