इंसानो द्वारा “इंसानियत” को कायम रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है ,”रक्तदान” |

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“रक्तदान महादान” ,अक्सर ऐसा कहा जाता है , लेकिन चिंताजनक बात यह है कि सार्वजनिक रूप से लगने वाले “रक्तदान शिविरों” में इकट्ठा किया हुआ “रक्त” कई बार “जरुरतमंदो” तक नहीं पहुंच पाता | सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों से गाहे- बगाहे ऐसी खबरे सुर्ख़ियों में रहती है ,कि ब्लड बैंको में सप्लाई किया गया “रक्त” ,रखे -रखे ख़राब हो गया | उसे “जरुरतमंदो” तक पहुंचाने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई | इस तरह के मामलों पर रोक लगाने के लिए अब “रक्तदान शिविर” आयोजित करने वाली संस्थाए गंभीर हो गई है | ऐसी संस्थाए अब “रेड क्रॉस” के जरिए “रक्तदान शिविर” आयोजित कर अपनी जिम्मेदारियां निभा रही है | रायपुर में एक ऐसी संस्था ने “रक्तदान शिविर” आयोजित कर अपनी सहभागिता दर्ज की |

रायपुर के एक निजी अस्पताल में आयोजित यह “रक्तदान शिविर” लोगो में “रक्तदान” को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया है | इस शिविर में “रक्तदान” करने वालो का तांता लगा हुआ है | हर कोई “रक्तदान” ,महादान के संकल्प के साथ यहाँ अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है | खुले मन से लोग “रक्तदान” को लेकर प्रेरित हो रहे है | लोगो को उम्मीद है कि उनका “रक्त” किसी ना किसी मरीज की जान बचाने के लिए उपयोग होगा | उनके अरमानो को पूरा करने के लिए आयोजक संस्था से सदस्य भी तन मन धन से जुड़े हुए है | इस शिविर में सैकड़ो लोगो ने “रक्तदान” कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्रियता दिखाई है |

खून की कमी के कारण देश में हर साल हजारों लोगों की जानें चली जाती हैं | कई बार पीड़ितों को समय पर खून की सख्त जरूरत होती है | लेकिन कभी ब्लड बैंको में “रक्त” नहीं होने कारण तो कभी डोनर के उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज की जान पर बन आती है | ऐसे समय “रक्तदान” करने के इच्छुक लोग ही नहीं बल्कि इस पुनीत कार्य में सहभागी सामाजिक संस्थाए काफी मददगार साबित होती है | “रक्तदान” के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए “सीजी स्पा वेलफेयर सोसाइटी और रेड क्रॉस ” बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है |

इस दौरान सीजी स्पा वेलफेयर सोसाइटी और रेड क्रॉस सोसाइटी के मेंबर ,हॉस्पिटल स्टॉप , सामाजिक कार्यकर्ता ,पुलिस और आमजन ने रक्तदान शिविर में अहम् भूमिका निभाई | इस दौरान लगभग 50 यूनिट रक्तदान किया गया | सीजी स्पा वेलफेयर सोसाइटी के अध्य्क्ष जयदीप बनर्जी ने बताया कि यह एक सामाजिक पहल है जो जरुरतमंदो को जरुरत के समय ब्लड मिल नहीं पाता है उन्हें हम ब्लड उपलब्ध कराते है | इस दौरान उन्होंने ब्लड डोनेशन के फायदे भी बताए | उन्होंने बताया कि रक्तदान करने से कई पढ़े-लिखे लोग तक आज भी डरते हैं । रक्तदान से जुड़ीं कई भ्रांतियां समाज में मौजूद हैं । उन्होंने बताया कि  खून का दान करने के ना सिर्फ शरीर को लाभ होता हैं बल्कि मानसिक संतुष्टि भी मिलती है, कि इस एक कदम से किसी की जान बच जाती है |  जयदीप बनर्जी ने इस दौरान लोग आवाहन भी किया कि आपकी बोल्ड डोनेट करने अगर किसी की जान बच जाती है तो ब्लड डोनेट जरूर कजिए |   

 “रक्तदान” कर जब एक इन्सान दूसरे इन्सान के काम आता है , तो एक दूसरे के प्रति “मानवीय संवेदनाए” बढ़ जाती है | सामाजिक संस्थाओ का मानवीय दृष्टिकोण भी जाहिर होता है | इंसानो द्वारा “इंसानियत” को कायम रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है ,”रक्तदान” | हमारे द्वारा किया गया “रक्तदान” कई मरीजों की जिंदगियों को बचाता है । इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा अपना कोई खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है । उस वक्त हमें “रक्तदान” की पहल का अहसास होता है | “रक्तदान शिविरों” में इकट्ठा होने वाले रक्त को जरुरतमंदो तक पहुंचाने के लिए अब “रेडक्रॉस” भी कड़ी पहल कर रहा है | आयोजकों का दावा है कि “रेडक्रॉस” के जरिए आयोजित होने वाले शिविरों में सहभागिता दर्ज करने वाले डोनरों का “रक्त” हर हाल में मरीजों तक पहुँचता है |

“ब्लड डोनेट” करने के उपरांत हमारे शरीर में नई “ब्लड सेल्स” बन जाती है | यह तर्क गलत साबित हुआ है कि “ब्लड डोनेट” के बाद शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है | इस शिविर में इन गलतफहमियों और भ्रांतियों को भी दूर किया गया | आयोजकों ने बताया कि “ब्‍लड डोनेट” करने के बाद 21 दिनों के भीतर  दोबारा शरीर में नया “रक्त” बन जाता है |