भैरमगढ़ वन भैंसा अभ्यारण्य में वन्यजीवों की रक्षा के लिए जागरूकता पैदा करने के मकसद से एक नायाब कोशिश की जा रही है । इंद्रावती टाइगर रिजर्व की ओर से तीन साल से यहां ‘पारद’ का आयोजन किया जा रहा है । पारद यानी शिकार को हतोत्साहित करने और गांव के लोगों को वन्यजीवों के प्रति जागरूक करना | इसमें तीर तो जरूर चलेंगे लेकिन कोई जानवर नहीं मरेगा ।
वन्यजीवों का मारना अपराध है और लोगों को इस प्रथा से दूर रखना है, इसलिए वन विभाग ने शिकार की प्रथा को बंद करने और इसे हतोत्साहित करने ‘पारद’ को प्रायोजित कर दिया है । इसमें तीरंदाजी स्पर्धा का आयोजन किया जाता है । विजेताओं को नगद पुरस्कार दिया जाता है | इस साल विभाग ने ये स्पर्धा माटवाड़ा में पोटा केबिन के सामने मैदान में 3 मार्च की दोपहर 12 बजे से आयोजित की है । इसमें पारद स्पर्धा के तहत तीरंदाजी, गोण्डी व हल्बी नृत्य स्पर्धा का आयोजन किया जाएगा । इसमें प्रथम आने वाले को 3000, द्वितीय आने वाले को 2000 एवं तृतीय आने वाले को 1500 रूपए नगद दिए जाएंगे ।
दरअसल बस्तर में वेटा या पारद सामूहिक शिकार को कहते हैं । इसमें गांव के लोग सामूहिक रूप से वन्यजीवों के शिकार के लिए एक खास मौसम में निकलते हैं और जंगल में जो भी जानवर मिलता है, वे उसे तीर से मारते हैं । शिकार के बाद इसका मांस भी टोली के लोग खाते हैं ।
यहां होने वाले प्रायोजित पारद को देखने तीन से चार हजार ग्रामीण आते हैं । माटवाड़ा में होने वाले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक विक्रम मण्डावी होंगे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती जमुना सकनी करेंगी ।