देश में हर साल लगभग 8 लाख छात्र इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट होते हैं | पर उनमें सिर्फ 40 फीसदी को ही नौकरी मिल पाती है | करीब 60 फीसदी युवक इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं । युवाओ को उनके डिग्री के अनुसार जॉब नहीं मिल पा रहा है | अगर बमुश्किल से कही जॉब मिल भी रही है तो 5-10 हजार रुपये की । ऐसे में उनकी डिग्री के कोई मायने नहीं रह गए हैं ।
जिसकी वजह से छात्र अब उन सरकारी नौकरियों की तरफ भाग रहे हैं जो भले ही छोटी हैं, मगर है सरकारी तो है । जैसे सहायक ग्रेड-3, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कम्प्यूटर ऑपरेटर । व्यापमं ने बीते साल विभिन्न सरकारी विभागों के लिए इन्हीं पदों पर लिखित परीक्षा आयोजित की । इसके बाद 21 मई 2019 को ऑनलाइन कौशल परीक्षा आयोजित की गई । व्यापमं ने पात्र अभ्यर्थियों की सूची सभी विभाग को भेज दी । चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में सहायक ग्रेड-3 के 78 और डाटा एंट्री ऑपरेटर के छह पदों पर पात्र अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच (स्क्रूटनिंग) की । पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सतेंद्र फुलझले की अध्यता वाली कमेटी जब इन पात्र अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की इनके सामने स्क्रूटनिंग कर रही थी, तो कमेटी के सदस्य चौंक गए । मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल समेत कई ब्रांच के इंजीनियरिंग डिग्रीधारी भी थे । इनका जवाब सिर्फ एक ही था सर, हम बेरोजगार हैं ।
जानकारी के मुताबिक दोनों ही पदों के लिए करीब 40 इंजीनियर को पात्र पाया गया है । ये अब बाबूगिरी करेंगे , ये मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त होंगे । कम से कम जॉइनिंग के बाद 25 हजार रुपये पहला वेतन तो मिलेगा ।
