इस खबर को पढ़ने से पहले पाठको को एक मशहूर शायर के इस शेर पर गौर फरमाना जरुरी है | यू तो कोई बेवफा नहीं होता, जरूर कोई मज़बूरी रही होगी | जी हां, छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की रवानगी को लेकर बहुत हद तक शराब को लेकर उसकी गैर जिम्मेदाराना नीति भी सहभागी रही है | विधान सभा के भीतर और बाहर कांग्रेस के सभी नेताओ ने खासकर पार्टी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने ” कुछ ख़ास ठेकेदारों के ब्रांड को ” बेचने के लिए नियम कायदो को दरकिनार रखने का आरोप तत्कालीन बीजेपी सरकार पर मढ़ा था | कांग्रेस ने इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को भी जमकर कोसा था | उसका सीधा आरोप था कि सरकार अपने निजी लाभ के लिए कुछ घटिया ब्रांडो को तरजीह दे रही है | जबकि नामी गिरामी ब्रांड की शराब पर्याप्त कीमत देने के बावजूद शराब के शौकीनों को मुहैया नहीं हो पा रही है | यहाँ तक कि एक स्थानीय ठेकेदार की ” बीयर ” को लेकर भी कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था | विधान सभा के भीतर तत्कालीन बीजेपी सरकार पर यह भी आरोप था कि वो इस स्थानीय ठेकेदार को जमकर लाभ दिलाने के लिए ” ब्रांडेड बीयर ” उपभोग्ताओ को मुहैया नहीं करा रही है | शराब नीति को लेकर कांग्रेस के तमाम आरोपों से बीजेपी नेतृत्व वाली ” मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार ” सत्ता से हाथ धो बैठी थी |

राज्य में कांग्रेस की सरकार के गठन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि, कम से कम अब आबकारी विभाग में ” कायदे कानूनों ” का राज होगा | लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार भी अब बीजेपी की राह पर चल पड़ी है | आबकारी विभाग से अवैध उगाही के लिए कांग्रेस सरकार ने अपने पूरे ” यंत्र तंत्र ” को झोक दिया है | नतीजतन शराब के शौकीनों को फिर वही स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जो तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान निर्मित था | मसलन ब्रांडेड शराब और बीयर के लिए उन्हें अब भी दो चार होना पड़ रहा है | इसका मुख्य कारण आबकारी विभाग ने बीजेपी सरकार के कार्यकाल के ज्यादातर ठेकेदारों को उसी की तर्ज पर ” उपकृत ” कर दिया है | साफ भाषा में कहा जाए तो टेबल के नीचे वाला ” अवैध कमीशन” बढ़ा कर उनकी हिस्सेदारी तय कर दी गयी है | ” सरकार ” की सहानभूति से पप्पू भाटिया समेत कई शराब क़ारोबारियों की लॉटरी कांग्रेस सरकार में भी निकल आयी है | वही दूसरी ओर इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, शराब के उन शौकीनों को जो पूरी रकम चुका कर एक बार फिर ” ना पसंद ” शराब और बीयर को खरीदने में मजबूर हो रहे है |

बीजेपी के बीते 15 सालो के शासनकाल में अपना अनुभव व्यक्त करते कुछ शराब कारोबारियों की दलील है कि उन्हें साल दर साल बाजार से बाहर करने का काम तत्कालीन आबकारी मंत्री और बीजेपी नेताओ ने किया था | जबकि कम गुणवक्ता और घाटियां ब्रांड वाले कारोबारियों से ” मोटा कमीशन ” लेकर उन्हें बड़ी हिस्सेदारी दी गयी थी | उनके मुताबिक बीजेपी शासनकाल में उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित भी किया गया था | ताकि वे अपने प्रदेश से यह धंधा समेट ले | कांग्रेस की सरकार आने के बाद उन्हें उम्मीद जगी थी कि कम से कम अब उनके साथ न्याय होगा | लेकिन एक बार फिर वही ठेकेदार और कारोबारियों की ” पौ बारह ” है जिन्होंने बीजेपी शासनकाल में ” चांदी की फसल ” काटी थी |
जानकारों की दलील है कि यह मामला जरूर ” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ” के संज्ञान में नहीं है | वरना ऐसे हालात निर्मित नहीं होते | ” सरकार ” से जुड़े एक अधिकारी की दलील है कि मुख्यमंत्री जी लम्बे समय से चुनावी दौरों में व्यस्त है | संभव है इसके चलते बीजेपी से ताल्लुख रखने वाले कुछ अफसरों ने अपने स्तर पर ही ” बन्दरबांट ” की योजना तैयार कर शराब कंपनियों की गैर जरुरी हिस्सेदारी तय कर दी है | फिलहाल जो भी हो लेकिन अनुचित लाभ कमाने की योजना को लेकर बीजेपी के पद चिन्न्हो पर चलना ” सरकार ” के लिए जोखिम भरा हो सकता है | इसका स्पष्ट प्रमाण है, ” चुनावी चंदे ” पर ” आयकर ” विभाग का फंदा |