
दंतेवाड़ा के मौजूदा कलेक्टर ने पूर्ववर्ती कलेक्टर सौरभ कुमार के भ्रष्ट्राचार का चिट्ठा सौंपा “सरकार” को |
दंतेवाड़ा / छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद तत्कालीन सरकार में प्रभावशाली पदों पर तैनात रहे अफसरों के घोटाले अब “प्याज के छिलकों” की तरह सामने आ रहे है | कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कई अफसरों ने भ्रष्ट्राचार की ऐसी गंगा बहाई कि सरकारी तिजोरी खाली कर दी | मौजूदा कांग्रेस सरकार को “लोक कल्याणकारी” कार्यो के संचालन और नयी विकास योजनाओं की नीव रखने के लिए “आर्थिक संकटों” के दौर से गुजरना पड़ रहा है | शायद ही ऐसा कोई सरकारी विभाग हो , जहां अफसरों ने घोटाले को अंजाम ना दिया हो | ताजा मामला दंतेवाड़ा के पूर्व कलेक्टर सौरभ कुमार का है | इस आईएएस अधिकारी ने अपने जिले में लाइवलीहूड कॉलेज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खोले गए “शक्ति गारमेंट” में बिना सामानों की आपूर्ति किए ही सप्लायर को छह करोड़ 37 लाख रुपए का भुगतान कर दिया था । इस अफसर ने एक करोड़ 28 लाख तो भुगतान 11 नवंबर 2018 को किया था । इस दौरान राज्य में आदर्श आचार संहिता प्रभावशील थी | दंतेवाड़ा कलेक्टर टीपी वर्मा ने प्राथमिक जांच कर “सरकारी धन” के दुरुपयोग का सनसनीखेज खुलासा किया है | उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिख कर इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार, तत्कालीन सयुक्त कलेक्टर जीएस राठौर एवं लाईवलीहूड कालेज के तत्कालीन प्राचार्य कृतेश हिरवानी को जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है। हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग दोषी अफसरों के खिलाफ शासकीय धन का दुरूपयोग के मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा इसकी उम्मीद कम है ।दरअसल भ्रष्ट्राचार के खात्मे को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार कार्रवाई तो करना चाहती है लेकिन पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के विश्वासपात्र अफसर उसके अरमानों पर पानी फेर देते है | राज्य सरकार ने “डीएमएफ फंड” के दुरूपयोग पर रोक लगाने की भरपूर कोशिश की है | लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है |

कलेक्टर ने राज्य सरकार को सौंपे “जांच प्रतिवेदन” में साफ़तौर पर लिखा है कि आंध्रप्रदेश के “सोसाईटी फॉर इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन डेवलपमेंट” को दो चरणों में छह करोड़ 68 लाख का कार्यादेश दिया गया था । इसमें से छह करोड़ 37 लाख का पेमेंट किया जा चुका है। भौतिक सत्यापन में सिर्फ तीन करोड़ के सामान मिलें। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 120 महिलाओं की यूनिट की व्यवस्था किए बगैर अतिरिक्त 350 महिलाओं की क्षमता बढ़ाई गई और 95 फीसदी का भुगतान भी इस संस्था को कर दिया गया है । जबकि नियमानुसार सामानों की आपूर्ति हुई ही नहीं है। इसके अलावा भी “डीएमएफ फंड” से करोड़ों के भ्रष्ट्राचार की जानकारी मौजूदा कलेक्टर ने राज्य सरकार को सौंपी है | इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दंतेवाड़ा प्रवास में अपव्यय और स्कूली बच्चों को देशभक्तो से परिचित कराने को लेकर उनकी तस्वीरों की आपूर्ति का फैसला गैरकानूनी ढंग से लिया गया था | कुल मिलाकर दंतेवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार ने सरकारी तिजोरी पर कई करोड़ों का चूना लगाया है | अब देखना होगा कि राज्य सरकार उनके खिलाफ क्या कदम उठाती है |