छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का नारा “अब होगा न्याय ” ने शहरी इलाको से लेकर ग्रामीण इलाको के वोटरों को खूब प्रभावित किया था | इस नारे से प्रभावित होकर लोगो को उम्मीद जगी थी कि वाकई अब उनके साथ न्याय होगा | लेकिन जिस तरह से राज्य की कांग्रेस सरकार के रंग ढंग दिख रहे है ,उससे बिलासपुर जिले की जनता हतप्रभ है | उन्हें न्याय की गुंजाईश दूर -दूर तक नजर नहीं आ रही है | लिहाजा यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि “अब होगा न्याय ” कही कांग्रेस का ” चुनावी जुमला ” तो नहीं | दरअसल जिले के भदौरा गांव के आदिवासियों का सब्र अब जवाब देने लगा है | इस गांव ने एकतरफा कांग्रेस के समर्थन में वोटो की झड़ी लगा दी थी | उन्हें उम्मीद थी कि वाकई अब उनके साथ न्याय होगा | लेकिन जिस तरह से कानून का माखौल उड़ रहा है , उससे वो मायूस है | अदालत के निर्देश के बावजूद भदौरा कांड के गुनहगार कांग्रेस के ” अब होगा न्याय ” के नारे को शिगूफा करार दे रहे है |
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भदौरा कांड ने बीजेपी शासनकाल में सियासी तूफान ला दिया था | आदिवासियों का खुले तौर पर शोषण करने और उन्हें बे-मौत मरने के लिए मजबूर करने वाले इस कांड की निष्पक्ष जांच कराने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया था | कांग्रेस ने यह भी एलान किया था कि यदि वो सत्ता में आई तो भदौरा कांड के गुनाहगारो की खैर नहीं | लेकिन कांग्रेस सरकार के सत्ता संभाले पूरे पांच माह बीतते होने आए है | लेकिन भदौरा कांड के सभी आरोपी खुल्लेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे है |
बिलासपुर की अदालत ने भदौरा कांड के आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर महीनो पहले निर्देश दिए थे | लेकिन बिलासपुर जिले की पुलिस के हाथ आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचने से पहले ही कांप रहे है | उनकी गिरफ्तारी को लेकर लंबे अरसे से पुलिस टाल मटोल रवैया अपना रही है | लिहाजा बिलासपुर की जनता पूछ रही है कि बीजेपी के तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल के नाते रिश्तेदारों के लिए अलग कानून और आम जनता के लिए क्या अलग कानून की व्यवस्था राज्य की कांग्रेस सरकार ने की है ? क्या उन पर अदालती निर्देश लागू नहीं होते ?
बिलासपुर जिले के थाना मस्तूरी के ग्राम भदौरा में सैकड़ो एकड़ सरकारी और गैर -सरकारी जमीन को तत्कालीन आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल के करीबी नाते रिश्तेदारों ने षड़यंत्र कर खरीदा था | यहाँ तक की घोटाले के उजागर होने के बाद सबूतों को नष्ट करने के लिए भदौरा के तहसील कार्यालय के रिकॉर्ड कक्ष को आग के हवाले तक कर दिया गया था | इस सब के बावजूद इस गंभीर घटना को तत्कालीन बीजेपी सरकार ने रफा दफा करने में कोई कसर बांकि नहीं छोड़ी थी | मामले के तूल पकडे जाने के बाद हुई जांच में यह तथ्य सामने आया था कि राजस्व विभाग और तहसील कार्यालय में तैनात कुछ सरकारी अधिकारियों ने अमर अग्रवाल के परिजनों की कंपनी के साथ कूट रचना और अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर सरकारी और गैर -सरकारी जमीन खरीदी थी | ज्यादातर जमीन आदिवासियों के नाम पर दर्ज थी |
बीजेपी सरकार के तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए भदौरा गांव की जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जा करवाते हुए उसे अपने नाते रिश्तेदारों और परिजनों के नाम करवा दिया था | इलाके के आदिवासियों ने इस गैर -क़ानूनी क्रय विक्रय और कब्जे की शिकायत जिला प्रशासन से की थी | उनकी कड़ी मशक्क्त के बाद मामले की जांच हुई थी | इस जांच में राजस्व अधिकारियों ने 19 विक्रय पत्र फर्जी पाए थे | लेकिन अमर अग्रवाल के हस्ताक्षेप के बाद मात्र सात विक्रय पत्रों के आधार पर ही केवल कुछ ही लोगो के खिलाफ तत्कालीन थाना प्रभारी मस्तूरी ने आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था | अदालत में पेश मामले में हुई सुनवाई के बाद दोष सिद्धि पाई गई थी | अदालत ने अपराध क्रमांक 452/13 ,117/13 , 453 /13 , 454 /13 ,118/13, 455 /13 ,119 /13 ,456 /13 ,085/13 , 457 /13 ,116 /13 ,458 /13 और अपराध क्रमांक 120 /13 के अनुसार ए.के. मार्बल वीरेंद्र लकड़ा ,आरपी तिवारी , कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ,कंपनी के डायरेक्टर ,कंपनी बोर्ड के सदस्यों को अभिरक्षा में लिए जाने व धारा 27 साक्ष्य अधिनियम 1972 के तहत कथन लेखबद्ध किए जाने का निर्देश दिया था | बिलासपुर जिला अदालत के तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल के द्वारा शेष कूट रचित विक्रय पत्रों के आधार पर करीब 12 पृथक- पृथक अपराध थाना मस्तूरी में दर्ज कराया गया था | इसमें भी कंपनियों से जुड़े सभी लोगो की गिरफ्तारी की जानी है | इसमें मेसर्स चिड़ी पाल गैसेस प्राइवेट लिमिटेड , सुमित ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड , ओजोन स्टील एंड पावर लिमिटेड , सुमन रोलर फ्लोर मील्स प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य सब और उप कंपनियों और व्यक्तियों की सलिप्तता पाई गई है |
इनकी होनी है , गिरफ्तारी
थाना मस्तूरी के ग्राम भदौरा में अवैध जमीन क्रय विक्रय के घोटाले के करीब 19 आपराधिक मामले में मुख्य षड्यंत्रकर्ता अमर अग्रवाल के पुत्र आदित्य अग्रवाल उर्फ़ कान्हा को बताया गया है | इसके अलावा शशिकला अग्रवाल ,संबधित कंपनियों के बोर्ड ऑफ़ डायेक्टर , सदस्य अशोक कुमार अग्रवाल , पूरन चंद गुप्ता ,राकेश जिंदल ,सुरेश अग्रवाल , कैलाश चंद्र वाटोइ , महेश गुप्ता , सुब्रता सरकार , महेश कुमार शर्मा , आनंद कुमार अग्रवाल , सुमित जिंदल , मनोज कुमार अग्रवाल , विनोद कुमार , जगदीश राय , रवि भूषण , जवाहरलाल गर्ग , संजय सिंह , आनंद कुमार अग्रवाल , बजरंग कुमार अग्रवाल ,रेनू शर्मा , निर्मल कुमार सोनथालिया , दिनेश कुमार शर्मा , अजय कुमार गोयल , अमर कुमार अग्रवाल , अभिषेक जिंदल , अनुराग बंसल , आशीष गोयल , विनोद कुमार खिरवाल , गीता देवी अग्रवाल , मंजुला गरवाल , मीणा देवी अग्रवाल , नटवर लाल गुप्ता , नवनीत कुमार गोयल , नीमा अग्रवाल , पवन कुमार अग्रवाल , निर्मल कुमार सिसोदिया , प्रवीण देवी गोयल , राजकुमार सोनथालिया ,रामचंद्र अग्रवाल , रंजना जिंदल , साजन अग्रवाल , संगीता अग्रवाल ,सरिता देवी अग्रवाल , सुधा अग्रवाल , सुमित जिंदल , सुनील कुमार गुप्ता , सूर्यकांत अग्रवाल ,वंदना अग्रवाल , विकास कुमार , अग्रवाल ओम प्रकाश सिंघानिया , पूर्व विवेचक आरपी तिवारी का नाम भी संदिग्धों में शामिल है |
छत्तीसगढ़ में भदौरा कांड की गूंज ने तत्कालीन बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी कराई थी | तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे | लेकिन अपने मंत्रिमण्डल के सदस्य अमर अग्रवाल के प्रभाव के चलते इस घोटाले की जांच अंजाम तक नहीं पहुंच पाई थी | अधिकारियों ने आधी अधूरी जांच की और कई आरोपियों और कंपनियों के भागीदारों को बचाने का प्रयास किया | चूँकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से पीड़ितों को काफी उम्मीदे है कि इसलिए वो आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे है |