अल्लाह मेघ दे , पानी दे | छत्तीसगढ़ में मुसीबत में है 26 लाख से ज्यादा किसान | मानसून की दगाबाजी से किसानो के आत्महत्याओं के मामले बढ़ने के आसार |

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छत्तीसगढ़ में मानसून की लेटलतीफी  से किसानो के होश उड़ गए है | राज्य के क  हिस्सों में किसानो को पिछले दो बार से सूखे का सामना करना पड़ा है | इस बार अच्छे मानसून की भविष्वाणी से किसानो की उमीदे बढ़ गयी थी | लेकिन दो हफ्ते से ज्यादा वक्त बीत गया , मानसून नहीं आया | किसान चिंता में है, यदि तीसरी बार भी मानसून की आँख मिचौली हुई  तो वे कही के नहीं रहेंगे | उधर  मानसून को लेकर सरकार भी चिंता में है | क्योकि उसने इस मानसूनी मौसम में किसानो की आमदनी डेढ़  गुनी तक बढ़ाने का लक्ष रखा था |  इस पर अब पानी फिरने के आसार बढ़ गए है | 

 छत्तीसगढ़ में मौजूदा मानसूनी फसलों के लिए खेत खलियान पूरी तरह से तैयार है | निंदाई गुड़ाई करके किसानो ने फसलों की बुआई की पूरी तैयारी कर ली है | कई किसानो ने तो  खाद बीज के अलावा यूरिया को भी सहेज कर रख लिया है | ताकि किसी भी तरह की ना तो चूक हो और ना ही  लापरवाही | लेकिन लगता है मानसून किसानो के साथ आँख  मिचौली कर रहा है | केरल में  मॉनसून ने समय पर दस्तक दी | लेकिन उससे आगे  बढ़ने  में उसने वो सक्रियता नहीं दिखाई  जिसकी की मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की थी | आमतौर पर राज्य में जून के  पहले नहीं तो दूसरे हफ्ते में मानसून दस्तक दे देता था | समय पर बुआई होने से अच्छी पैदावार होती थी | लेकिन इस बार भी किसान पशोपेश में है |  आसमान में बादल तो दिखाई देते है , लेकिन बारिश नहीं हो रही है |  बुआई के लिए कम से कम  दस मिलीमीटर बारिश की जरुरत होती है | किसान इस चिंता में है , कि मानसून की दगाबाजी कही उनका सुख चैन ना छीन ले | 

 छत्तीसगढ़ में इस बार 70 हजार हेक्टेयर से  ज्यादा के रकबे में धान की बुआई की तैयारी की गई है | वही मौसमी साग सब्जियों के लिए भी 30  हजार हेक्टैयर से ज्यादा का रकबा निर्धारित किया गया है | सरकार की कोशिश थी कि इस मानसूनी मौसम में किसानो की आय डेढ़ गुनी की जा सके | लेकिन मानसून के दो हफ्ते की लेट लतीफी से सरकार की मंशा पानी फिरने लगा है |  कृषि वैज्ञानिको ने एलर्ट जारी किया है कि  किसानो को नहरों और दूसरे जल श्रोतो से पानी दिया जाए | ताकि  समय पर बुआई हो सके | वरना फसलो के खराब होने और उसमे कीड़े लगने का अंदेशा ज्यादा है |        
 छत्तीसगढ़ भी उन राज्यों में शुमार है जहाँ के किसान कभी कर्ज से परेशान हो कर तो कभी फसलों के बर्बाद होने से आत्महत्या कर रहे है | मानसून के नदारद होने से फिलहाल  वातावरण में नमी बढ़ गयी है | इसके चलते खेत खलियानो में कई ऐसे कीटपतंगे उतपन हो गए है जो फसलों की नुक्सान पहुंचाते है | किसान इन कीट पतंगों को नष्ट करने में ही अपना जन धन लगा रहे है |  ऐसे में फसलों की बुआई में होने वाली लागत बढ़ गयी है |