अब होगा ” न्याय ” – छत्तीसगढ़ गृह मंत्रालय ने आईपीएस मुकेश गुप्ता की “करतूतों” पर से हटाया “पर्दा” |

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क्या मिक्की मेहता को आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने “सुनियोजित रूप” से मौत के घाट उतारा था ? उसकी “हत्या” की गयी  या साजिश के तहत करवाई गयी थी ? या फिर उसे “आत्महत्या” के लिए विवश किया गया था  ? इन सभी तथ्यों का खुलासा अब होगा | लगभग “18 साल” बाद डाक्टर मिक्की मेहता की मौत पर से “रहस्य” हटाने के लिए मौजूदा कांग्रेस सरकार ने बड़ा कदम उठाया है | उसने इस मामले की “तह” तक जाने का “फैसला” किया  है | ताकि पीड़ित परिवार को “न्याय” मिल सके | राज्य के गृह मंत्रालय ने पुलिस को इस मामले की नए सिरे से जांच करने के “निर्देश” दिए है |  इसके बाद डॉ मिक्की मेहता की “रहस्यमयी” मौत की फ़ाइल खुल गयी है | इस फ़ाइल में मुकेश गुप्ता के वो सभी “गुनाह” दर्ज है, जो उसने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए  उन्हें कागज़ों में ही “दफन” कर  दिया था  | पुलिस थाने और रिकार्ड रूम से तमाम दस्तावेज़ों की “धूल” हटाई गयी है  | जांच अधिकारियों ने जब फाइलें खोली और दस्तावेजों में  लिखी गयी  “इबारतों ” को  पढ़ा तो उनकी आँखे फ़टी की फटी रह गयी | जांच अधिकारियों ने पाया कि डॉ मिक्की मेहता को “मौत की नींद” सुलाने के बाद तमाम सबूतों से भी “छेड़छाड़” की गयी थी | ताकि “हत्यारा” सफाई से बच निकले | 


             7 सितंबर 2001  को डाक्टर मिक्की मेहता रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता के ” सरकारी आवास ” में संदेहस्पद परिस्तिथियों में ” मृत ”  पायी गयी थी | जानकारों के मुताबिक मुकेश गुप्ता ने अपने ” पद और प्रभाव ” का इस्तेमाल करते हुए डाक्टर मिक्की मेहता कि लाश को ” जीवित ” दर्शाने का जमकर प्रयास किया था | यहाँ तक कि उसने रायपुर के स्थानीय अस्पतालो में उसे दाखिल करने के बजाए ” भिलाई ” ले जाना मुनासिब समझा था | ताकि षडयंत्र पूर्वक अपने अपराधों पर पर्दा डाल सके | बताया जाता है कि डाक्टर मिक्की मेहता को प्राथमिक इलाज के लिए घटना स्थल के निकटतम अस्पताल में भर्ती कराने के बजाए भिलाई ले जाने का एक मात्र कारण सिर्फ यही था कि वहां पदस्थ अपने करीबी डाक्टर के जरिये अपने मन मुताबिक मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त कर सके | जानकारों के मुताबिक भिलाई अस्पताल में ” इलाज के दौरान होने वाली मौत ”  का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए ही डाक्टर मिक्की मेहता को रायपुर के बजाए भिलाई शिफ्ट किया गया था | डाक्टर मिक्की मेहता की मौत से जुड़े तमाम पहलू उसकी ” संदेहस्पद मौत ” और साजिश  की ओर इशारा करते है | यही नहीं ” पीड़ित परिवार ”  तो मय सबूत ” शासन प्रशासन ”  को कई बार शिकायत कर चुका है कि मुकेश गुप्ता ने ही डाक्टर मिक्की मेहता को ” मौत के घाट ”  उतारा था | हालांकि अब न्याय होगा |

           छत्तीसगढ़ के गृह मंत्रालय ने डॉ मिक्की मेहता की मौत को लेकर जांच के कई बिन्दुओ पर कड़ी “आपत्ति ” जाहिर की है | ” मर्ग रिपोर्ट ” और ” सीन ऑफ क्राइम ” से रूबरू होने के बाद गृह मंत्रालय ने पुलिस को 09 बिन्दुओ पर जांच करने के निर्देश दिए है | इसमें पहले बिंदु में कहा गया है कि तत्कालीन अधिकारीयों ने  प्रकरण का कार्यपालिक दंडाधिकारी से अन्वीक्षण नहीं कराया था | जबकि यह अनिवार्य है |  02 :- रायपुर पुलिस की जगह दुर्ग पुलिस द्वारा प्रकरण की जांच किया गया, जो उनके क्षेत्राधिकार में नहीं था | 03 :- डॉ मिक्की मेहता द्वारा किस दूकान व् किस मार्किट से जहर ख़रीदा गया, यह उनके ड्राइवर द्वारा न बता पाना | 04 :- रायपुर शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जहाँ 04 वेंटिलेटर उपलब्ध थे जो कि डॉ सलीम आईसीसीयू एन्ड क्रिटिकल  नर्सिंग होम बैजनाथ पारा रायपुर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है , डॉ मिक्की मेहता को यहाँ ना ले जाकर 40 किलोमीटर दूर सेक्टर 9 बीएसपी अस्पताल ले जाया  गया | 05 :- 40 किलोमीटर  की दुरी को एक एम्बुलेंस द्वारा 02 घंटा 10 मिनट में तय करना पाया गया | 06 :- एम्बुलेंस के ड्राइवर का नाम और पता ज्ञात नहीं होना पाया गया | 07 :- घटना स्थल का कोई नजरि नक्शा न होना पाया गया | 08 :- विवेचना को लगभग 5 माह के लिए रोका गया | 09 :- डॉ सलीम केयर के अनुसार उन्होंने सिविल लाइन थाना रायपुर में लिखित सुचना दी थी, लेकिन थाने के रिकार्ड में यह सुचना उपलब्ध ना होना पाया गया | 


            डॉ मिक्की मेहता के परिजनों को उम्मीद है कि नए सिरे से होने वाली जांच में उनके पास मौजदू “साक्ष्यों” को भी शामिल किया जाएगा | दरअसल मुकेश गुप्ता के ” पद और प्रभाव ” के चलते तत्कालीन आलाधिकारियों और जांच अधिकारियों ने पीड़ित परिवार की एक ना सुनी थी | पीड़ित परिवार “चीख चीख” कर कई साक्षय  जांच अधिकारियों के संज्ञान में ला रहे थे, लेकिन जांच अधिकारीयों ने अपनी  आँख , कान और नाक ” बंद ” कर लिए थे | डॉ मिक्की मेहता के भाई मानिक  मेहता ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि ” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ” सरकार से उन्हें काफी ” उम्मीदे  ”  है | उन्होंने कहा कि इतने सालो तक उनके परिवार के साथ अन्याय हुआ, क्योकि  किसी भी पूरवर्ती सरकार ने आरोपी अधिकारियों और संदेहियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटाई थी | पीड़ित परिवार ने मांग की है कि डॉ मिक्की मेहता के प्रकरण में अपने कर्तव्यों का पालन ना करने वाले और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही की जानी चाहिए |   बहरहाल देर से ही सही, स्वर्गीय डॉ मिक्की मेहता को अब न्याय मिलेगा |