
दिल्ली | हाई कोर्ट ने कहा है कि शारीरिक संबंधों के बावजूद प्रेमिका से बेवफाई चाहे जितनी खराब बात लगे, लेकिन यह अपराध नहीं है । अदालत ने कहा कि यौन सहमति पर ‘न का मतलब न’ से आगे बढ़कर, अब ‘हां का मतलब हां’ तक व्यापक रूप से माननीय है । अदालत ने रेप के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को बरी करते हुए ये फैसला सुनाया |
दरअसल एक महिला ने अपने प्रेमी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था | उसने अपनी शिकायत में कहा कि उसके प्रेमी ने शादी का वादा करके उसके साथ बेवफाई की औऱ शारीरिक संबंध बनाए | अदालत ने कहा, प्रेमी से बेवफाई भले ही लोगों को खराब बात लगे लेकिन भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध नहीं है |
जस्टिस विभु भाखरू ने कहा कि जहां तक यौन संबंध बनाने के लिए सहमति का सवाल है, 1990 के दशक में शुरू हुए अभियान ‘न मतलब न’, में एक वैश्विक स्वीकार्य नियम निहित है । मौखिक ‘न’ इस बात का साफ संकेत है कि यौन संबंध के लिए सहमति नहीं दी गई है । यौन संबंध स्थापित करने के लिए जबतक एक सकारात्मक, सचेत और स्वैच्छिक सहमति नहीं है, यह अपराध होगा । कोर्ट ने कहा कि महिला का दावा है कि उसकी सहमति अपनी मर्जी से नहीं थी बल्कि यह शादी के वादे के लालच के बाद हासिल की गई थी, इस मामले में साबित नहीं हुआ । कोर्ट ने कहा कि पहली बार रेप के कथित आरोप के तीन महीने बाद, महिला 2016 में आरोपी के साथ अपनी मर्जी से होटल में जाती दिखी और इस बात में कोई दम नजर नहीं आता कि उसे शादी के वादे का लालच दिया गया था ।